मोहम्मद साहब ने 1500 साल पहले ही बता दिया था कोरोना से बचने का तरीक़ा

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Globaltoday.in | तस्कीन फैय्याज़ | रामपुर

दुनिया भर में कोरोनावायरस लगभग 10 लाख से ज़्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका है जिसमे लगभग 24000 लोगों की मौत की खबर है. इटली और स्पेन में मरीज़ों और मरने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा बताई जा रही है.

कोरोनावायरस(Coronavirus) को लेकर दुनिया भर में साइंटिस्ट सर जोड़े बैठे हैं और इसकी उत्पत्ति और रोकथाम पर रिसर्च में जुटे हुए हैं.

लेकिन भारत में तब्लीग़ी जमात(Tablighi Jamaat) के मरकज में हुए एक कार्यक्रम में शरीक लोगों में कोरोनावायरस के लक्षण पाए जाने के बाद भारतीय मीडिया ने कोरोना वायरस को इस्लाम(Islam) से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

कोरोनावायरस(Coronavirus) जैसी बीमारी से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर उठाए जा रहे कदम सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन व कोरेण्टाइन जैसी शब्दावली भले ही आज की मेडिकल साइंस द्वारा दी गई लगती हो लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि आज से पंद्रह सौ साल पहले इस्लाम के आखरी रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कोरोना जैसी खतरनाक बिमारी के बारे में क्या उपदेश दिए थे.

उन्हें जानने के बाद अब जो साइंस की टर्मेनोलॉजी है, उसमें कुछ नया नजर नहीं आता. मानो यह सब तो पहले ही दिए गए एहकामात के मुताबिक ही है।
वाइरल रोग को लेकर इस्लाम धर्म में घरों में नमाज़ अदा करने और एक दूसरे से दूरी बनाए रखने को के उपदेश पहले ही बताए जा चुके हैं.

इस्लाम धर्म के आखिरी रसूल हजरत मोहम्मद सा0 के उपदेशों को बताते हुए, रामपुर के क़ाज़ी शहर सय्यद खुशनूद मियां ने बताया कि मोहम्मद(स.अ. व) साहब के ज़माने में जब इस तरह की बीमारी फेली तो उन्होंने हुक्म दिया था कि जहां पर वबाई बीमारी हो वहां पर मत जाओ और अगर तुम वहां पर हो जहां वबाई बीमारी फैली हो तो वहां से बाहर नहीं निकलो।

उन्होंने कहा के रसूल सा0 ने फरमाया था कि ऐसे में अपने घर में ही बैठ जाएं। अगर उस बीमारी से कोई सब्र करते हुए हलाक हो गया तो अल्लाह उसको शहीद का अजर देगा और अगर बच गया और बाद में अपनी मौत से मरा तब भी शहीद ही होगा।

हदीस का हवाला देते हुए काजी जी ने यह भी बताया के रसूल मोहम्मद स0 ने ऐसी स्थिति में एक दूसरे से एक नेज़े यानि 6-7 फिट या इससे भी ज़्यादा दूरी बनाने का हुकुम दिया था.

काजी जी ने कहा कि जो लोग जुमे की नमाज मस्जिदों में पढ़ने की जिद कर रहे हैं या जांच के लिए आने वाले डॉक्टरों का विरोध कर रहे हैं वह जहालत के चलते ऐसा कर रहे हैं उनको समझाना चाहिए और ऐसा करने से बाज़ आना चाहिए!

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