एशिया के कुछ देशों में कोविड बढ़ोतरी पर: संक्रमण नियंत्रण और जन-स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार हैं ज़रूरी-बॉबी रमाकांत

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हालाँकि एशिया के कुछ देशों में कोविड से संक्रमित लोगों की संख्या में फिर से बढ़ोतरी होने लगी है, इसके बावजूद अनेक देशों ने कोविड नियंत्रण नियमों में ढिलाई करनी आरम्भ कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी का अंत अभी दूर है, इसलिए संक्रमण नियंत्रण के साथ ही सामान्य जीवन यापन करना सर्वोपरि रहेगा। सरकारों को जन स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त करना चाहिए, और रोग नियंत्रण पर अत्याधिक ध्यान देना चाहिए।

ऑर्गनायज़्ड मेडिसिन ऐकडेमिक गिल्ड (ओएमएजी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनीला गर्ग और महासचिव डॉ ईश्वर गिलाडा ने कहा कि एस.एम.एस.वी अभियान के साथ ही सामाजिक और आर्थिक गतिविधियाँ पुन: सक्रिय हों – एस.एम.एस.वी. यानि कि सैनिटेशन, मास्क, सामाजिक दूरी और वैक्सीन। ओएमएजी के वरिष्ठ विशेषज्ञ ग्रेटर नॉएडा में आयोजित बाल रोग विशेषज्ञों के राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्बोधित कर रहे थे।

भारत समेत अनेक देशों के आँकड़े देखें तो लगभग हर १० में से ९ लोग जो कोविड के कारण इस साल अस्पताल में भर्ती हुए थे, उनका टीकाकरण नहीं हुआ था। साफ़ ज़ाहिर है कि पूरा टीकाकरण करवाए लोगों में कोविड रोग होने पर गम्भीर परिणाम कम होते हैं, अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत कम पड़ती है, वेंटिलेटर या ऑक्सिजन आदि की ज़रूरत कम पड़ती है और मृत्यु दर भी कम रहता है (टीकाकरण न करवाए लोगों की तुलना में)।

वरिष्ठ संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ ईश्वर गिलाडा ने वही दोहराया जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिक भी कह चुके हैं कि कोविड महामारी का अंत तुरंत न मुमकिन हो पर जो तुरंत मुमकिन है वह यह कि कोविड को महामारी स्वरूप का अंत हो, अस्पताल-वेंटिलेटर या ऑक्सिजन की आवश्यकता न पड़ें, कोई गम्भीर बीमार न पड़े, और न ही मृत हो। कोविड के टीकाकरण से यह काफ़ी हद तक मुमकिन है। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि लोग, विशेषकर कि वह लोग जिन्हें कोविड होने पर गम्भीर परिणाम होने का ख़तरा है, कोरोना वाइरस से संक्रमित ही न हों। कोरोना से बचाव मुमकिन है (मास्क, सामाजिक दूरी, सफ़ाई और टीकाकरण आदि) तो क्यों न संक्रमण नियंत्रण को जीवन यापन में अंगीकार करते हुए हम लोग सामाजिक और आर्थिक गतिविधियाँ चालू रखें?

कोविड महामारी का अंत अभी नहीं: डबल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेडरोस अधनोम घेबरेएसस ने भी दोहराया कि अनेक हफ़्तों से कोविड से संक्रमित हो रहे लोगों कि संख्या में गिरावट आ रही थी पर पिछले हफ़्ते से एशिया के कुछ देशों में चिंताजनक बढ़ोतरी हो रही है। एक ओर अनेक देशों में कोविड के परीक्षण में बहुत गिरावट आयी है पर दूसरी ओर कुल संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। असल में संक्रमित लोगों की संख्या अधिक होगी क्योंकि परीक्षण कम हो रहे हैं। जब कोविड से संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है तो ज़ाहिर बात है कि अस्पताल में भर्ती, ऑक्सिजन, वेंटिलेटर और मृत्यु दर में बढ़ोतरी होगी। अनेक देशों में टीकाकरण बहुत कम हुआ है जिसका तात्पर्य है कि कोविड होने पर अस्पताल में भर्ती होने का ख़तरा अधिक रहेगा, ऑक्सिजन वेंटिलेटर आदि की ज़रूरत पड़ने की सम्भावना अधिक रहेगी और मृत्यु का ख़तरा भी अधिक रहेगा। हम सब को याद रखना चाहिए कि कोविड महामारी का अभी अंत नहीं हुआ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने सभी सरकारों से अपील की कि वह सावधानी बरतें, टीकाकरण को प्राथमिकता दें, कोविड परीक्षण और जीन सीक्वन्सिंग परीक्षण को महत्व दें, ज़रूरतमंद लोगों को सभी मुमकिन स्वास्थ्य सेवा बिना विलम्ब उपलब्ध करवाएँ और जन स्वास्थ्य कार्यकर्ता और आबादी को संक्रमण से बचाने का पूरा प्रयास करें।

डॉ ईश्वर गिलाडा ने भारत सरकार की एनटीएजीआई समिति (टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह) को सराहा कि उसने ओएमएजी विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझाव को पारित किया है और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उनको लागू करवा रहा है।

वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा अहम: डॉ सुनीला गर्ग

ओएमएजी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश की वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सुनीला गर्ग ने कहा कि चिकित्सकों समेत सभी जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के समूह को एकजुट हो कर स्वास्थ्य प्रणाली के सशक्तिकरण का प्रयास करना होगा जिससे कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना साकार हो सके। एक-दुनिया-एक-समान-स्वास्थ्य-सुरक्षा का सपना साकार हो। चाहे वह दवा प्रतिरोधकता हो या टीबी या ग़ैर-संक्रामक रोग हों या संक्रामक, सभी के लिए चिकित्सकीय सेवा के साथ-साथ जन-स्वास्थ्य सेवा और सहयोग और सामाजिक सुरक्षा भी अत्यंत ज़रूरी है।

डॉ सुनीला गर्ग ने कहा कि ७ साल पहले दुनिया की सभी सरकारों ने सतत विकास लक्ष्य को २०३० तक पूरा करना का वादा किया। सतत विकास लक्ष्य में यह बात निहित है कि बिना स्वास्थ्य सुरक्षा के सतत विकास सम्भव ही नहीं है।

डॉ गर्ग ने अपील की कि सभी विभिन्न चिकित्सकीय और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के संगठन एकजुट हों और बेहतर समन्वयन के साथ जन स्वास्थ्य सुरक्षा के सपने को साकार करने में अपना योगदान दें।

डॉ ईश्वर गिलाडा ने बताया कि भारत में चौथी कोविड लहर आने का ख़तरा बहुत कम है क्योंकि आबादी के एक बड़े भाग को कोविड होने के कारण प्राकृतिक रूप से प्रतिरोधकता उत्पन्न हो गयी है और आबादी के बड़े भाग का पूरा टीकाकरण भी हो चुका है। शोध से ज्ञात हुआ है कि आबादी के ९०% लोगों में कोविड एंटीबॉडी थीं जिसका तात्पर्य है कि उन्हें कोविड हो चुका है। भारत में १८ वर्ष की उम्र से अधिक लोगों में ९७% को कोविड टीके की पहली खुराक लग चुकी है और ८३% को दूसरी खुराक (पूरा टीकाकरण)।

डॉ गिलाडा ने महत्वपूर्ण बात कही कि भारत सरकार को बिना विलम्ब वैज्ञानिक शोध को तेज करना चाहिए जिससे कि वैज्ञानिक आधार पर यह स्पष्ट हो कि आगामी बूस्टर डोज़ के संक्रमण नियंत्रण के लिए क्या लाभ रहेंगे, क्या वैक्सीन की मात्रा कम होगी, या विभिन्न वैक्सीन को मिलाजुला के देना लाभकारी रहेगा? बच्चों और युवाओं में टीकाकरण के लाभ पर भी शोध अधिक होने चाहिए। वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित आधार पर यदि जन स्वास्थ्य नीतियाँ बनेंगी और कार्यक्रम लागू होंगे तो वांछित परिणाम भी होने की सम्भावना अधिक रहेगी। यह शोध न सिर्फ़ भारत बल्कि दुनिया के सभी सरकारों के लिए लाभकारी रहेंगे।

जितना कोरोना वाइरस हमारी आबादी को संक्रमित करेगा उतना ख़तरा बढ़ेगा कि उसके नए प्रकार उत्पन्न हों। इसीलिए यह और भी ज़रूरी है कि हम लोग संक्रमण नियंत्रण को तिलांजलि न दें। स्वयं भी संक्रमित होने से बचे और यदि संक्रमित हो जाएँ तो हर सम्भव प्रयास करें कि कोई अन्य जन संक्रमित न हों। मास्क सही से पहने, यथासंभव भौतिक दूरी बना के रखें, साफ़-सफ़ाई रखें, और टीकाकरण करवाएँ।

लेखक- बॉबी रमाकांत – सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि ग्लोबलटुडे इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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