वन्यजीवों के अधिकारों लिए सोसाइटी बनाकर कर रहे हैं सेवा

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उत्तर प्रदेश के जनपद में पिछले 10 सालों से सोसाइटी बनाकर अब तक अनगिनत वन्यजीवों का उपचार कराया गया है और उनके अधिकारों का हनन करने वालों पर कार्यवाही भी करवाई है।

जिस तरीके से इंसानो के लिए हमारे संविधान में कानून बनाए गए हैं ठीक उसी तरह से वन्यजीवों के रहन सहन के साथ ही उनसे जुड़े अधिकार भी संविधान में संरक्षित हैं। अगर इन जीवो के साथ कोई अमर्यादित व्यवहार करता है तो ऐसे शख्स के खिलाफ हमारे देश का कानून उसके लिए सजा निर्धारित करता है।


रामपुर( Rampur) उत्तराखंड से सटा जनपद है। यहां पर आए दिन जंगलों से भटक कर वन्य जीव आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं। इन वन्यजीवों को कभी-कभी आवारा कुत्तों के हमलो का भी सामना करना पड़ता है। अधिकांश हमलो में यह वन्यजीव घायल हो जाते हैं।

ऐसी स्थिति में इन घायल पशु पक्षियों की हिफाजत का जिम्मा बानी वेलफेयर एनिमल सोसाइटी (Bani Welfare Society) ही उठाती है इस सोसाइटी द्वारा अब तक अनगिनत पशु पक्षियों का इलाज कराया गया है और उन्हें ठीक होने के बाद वन विभाग के सुपुर्द कर दिया जाता रहा है ताकि उपचार के बाद इन्हें फिर से उनके जीवन से जुड़े वातावरण में जीने की आजादी मिल सके।

बानी सोसाइटी द्वारा अब तक राजकीय पशु बारहसिंघा व राजकीय पक्षी सारस के साथ ही नीलगाय, पाड़ा, तेंदुआ, हिरण और अजगर आदि को उपचार के बाद उनको सुरक्षित ठिकानों पर वन विभाग के माध्यम से छुड़वाया गया है।

ताजा मामला जनपद के थाना अजीम नगर क्षेत्र में स्थित गांव नगलिया आकिल का है जहां पर विलुप्त की कगार पर पहुंच चुके एक घायल गिद्ध को अपने कब्जे में लेकर उसका उपचार कराया गया और फिर उसे वन विभाग को सौंप दिया गया।

इस सोसाइटी द्वारा वन्यजीवों के हित में सराहनीय किए जा रहे कार्यों की जहां समाज के लोगों द्वारा तारीफ की जाती है वहीं वन विभाग भी उनके इस काम की प्रशंसा करते नहीं थकता है।

बानी एनिमल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष हिफाज़त अली बानी के मुताबिक,”मैं बानी एनिमल वेलफेयर सोसायटी का अध्यक्ष हूं। पिछले 11 वर्षों से अपने आसपास होने वाले तमाम बेजुबान जानवरों की हित में हम अपनी सोसाइटी के माध्यम से काम कर रहे हैं। देखिए मैं एक रोज अपने मेडिकल स्टोर पर बैठा हुआ था, मेरे वालिद साहब भी बैठे थे। वहीं सामने से एक पक्षी खंबे से जमीन पर गिरा और लहूलुहान हो गया। हम उसको उठाकर लेकर आए और उसका उपचार करना चाहा और उसी वक्त मेरे वाले वालिद साहब के ख्याल में एक शेर आया जो उन्होंने पढ़ा-

“कफस में डाले गए दर्द की पनाह में हैं,

इन्हें खबर ही नहीं कैद किस गुनाह में हैं,

मैं चाहता हूं इन्हें भी उड़ान हासिल हो,

लहूलुहान परिंदे मेरी निगाह में है,

पशु बीमार हो जाए तो लाजिम है इलाज इनका,

दर्द इन्हे भी होता है मगर कुछ कह नहीं सकते,

खुले आकाश में प्रवास करना फितरत है इनकी,

परिंदे कैद में जिंदा बहुत दिन रह नहीं सकते,”

….तभी से इस शेर को और अपने वालिद साहब को देखा की वो इस परिंदे की कितनी मदद करना चाहते हैं। पहले मैं इस काम को अकेले करता था लेकिन जब मैंने देखा कि यहां एक समूह की जरूरत है तब मैंने इस सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन कराके और जब ही से ऐसे बेजुबान जानवरों के लिए काम करना शुरू किया।

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