नई दिल्ली, 4 जुलाई: हाथरस के सत्संग में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत (रजि॰) के उपाध्यक्ष प्रोफ़ेसर मुहम्मद सुलैमान ने कहा कि ऐसी घटनाएँ भारतीय लोगों की नियति बन गई हैं, और प्रशासन समय पर सक्रिय नहीं होता।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान नहीं जाती अगर…
आज यहाँ जारी एक बयान में उन्होंने हाथरस के सत्संग में भगदड़ में हुई मौतों पर गहरा अफ़सोस व्यक्त करते हुए उनसे अपनी गहरी संवेदनाएँ व्यक्त कीं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन समय पर सक्रिय होता और पुलिस की ओर से पर्याप्त प्रबंध किया गया होता तो यह घटना नहीं घटती और इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान नहीं जाती। उन्होंने कहा कि इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य-व्यवस्था की पोल खोल दी है और घायलों को इलाज के लिए पड़ोस के अनेक ज़िलों में लेकर जाना पड़ा। अगर समय पर इलाज मिल जाता तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
प्रोफ़ेसर सुलैमान ने सरकार से माँग की कि घायलों का जल्द से जल्द इलाज किया जाए और अपराधियों को कड़ी सज़ा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो। इसके साथ ही उन्होंने दुर्घटना में मारे जानेवालों (के परिजनों) और घायलों को प्रति व्यक्ति एक करोड़ का मुआवज़ा देने की भी माँग की है।
जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द ने भगदड़ की निष्पक्ष जांच की मांग की
उधर जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द ने हाथरस भगदड़ की निष्पक्ष जांच की मांग की है। मीडिया को जारी एक बयान में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने उत्तर प्रदेश के हाथरस जिला में भगदड़ में हुई मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। इस दुखद घटना में 120 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि “हम इस हृदय विदारक त्रासदी से बहुत दुखी हैं। इस अत्यंत कठिन समय में हम शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सरकार को घटना के मूल कारणों का पता लगाने के लिए गहन एवं निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। यह जांच करना आवश्यक है कि क्या ऐसी आपदा को रोकने के लिए उचित सावधानी और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पर्याप्त रूप से पालन किया गया था।
प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने जिला प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि कार्यक्रम में एकत्रित होने वाली भारी भीड़ का पूर्वानुमान लगाने में प्रशासन स्पष्ट रूप से विफल रहा। प्रशासन को भीड़ की भयावहता का अंदाजा नहीं था और उसके पास आपात स्थिति के लिए कोई आकस्मिक योजना भी नहीं थी। इस चूक ने आपदा में अत्यधिक योगदान दिया। उन्होंने सरकार से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि धार्मिक समारोहों और सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार को जीवन की रक्षा करने और ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत (रजि॰) के कोषाध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता मुहम्मद शम्सुज़्ज़ुहा ने भी इस घटना पर अपना गहरा दुख व्यक्त किया और आसपास के सभी मुस्लिम संगठनों से अनुरोध किया कि वे मुसीबत की इस घड़ी में घायलों और (मरनेवालों के) परिजनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों और उनकी आवश्यकतापूर्ति के लिए अपने साधनों का उपयोग करें क्योंकि हमारा धर्म हमें लोगों की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की भगदड़ की घटनाएँ जनसभाओं और धार्मिक समारोहों में होती रही हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार इस मामले में पर्याप्त प्रबन्ध नहीं करती, जिसके कारण ऐसी दुर्घटनाएँ घटित होती रहती हैं।
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