बिहार में चरम पर पहुंचा सियासी घमासान
बिहार जो लोग मोदीजी (Modi Ji) को बीते एक दशक से देखते-सुनते आए हैं उन्हें महसूस हुआ होगा कि आज की चुनावी सभाओं में उनके भाषणों में न तो चपलता थी और न ही तरलता। निस्तेज चेहरे और थके-थके से दिख रहे मोदीजी सासाराम, गया और भागलपुर की जन सभाओं में वही घिसे-पिटे रिकॉर्ड बजा गए, जिन्हें पता नहीं वो कितनी बार बजा चुके हैं। सासाराम की सभा में मंच पर मोदीजी के साथ नीतीश कुमार भी मौजूद थे। वहां मोदीजी से उम्मीद थी कि वो बिहार चुनाव में एनडीए के सबसे बड़े कन्फ्यूजन एलजेपी को लेकर कुछ बोलेंगे, मगर उन्होंने चिराग पासवान का नाम तक नहीं लिया। जो खुद को मोदी का हनुमान बताकर नीतीश की नाक में दम किए बैठे हैं।
लालू यादव और परिवार पर निजी हमला
कांग्रेस (Congress) पर मोदीजी का हमला कमजोर रहा और तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) के खिलाफ उनके पास कहने को कुछ नहीं था। लिहाजा वो अपने पूरे भाषण में 15 साल पुराने लालू-राबड़ी यादव राज के कुशासन और जंगलराज के जुमलों से आगे नहीं बढ़ पाए। और तो और नीतीश कुमार से दो कदम आगे बढ़कर मोदीजी जेल में सजा काट रहे लालू यादव (Lalu Yadav) और उनके परिवार पर निजी हमले करने से भी बाज नहीं आए। वहीं नीतीश कुमार ने अपने करीब 15 मिनट के भाषण में अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए बार-बार, यानी कम से कम एक दर्जन बार यही कहते रहे कि अगर आप हमें आगे मौका दीजिएगा तो हम एक विकासशील बिहार का निर्माण करेंगे। मानो या तो उन्हें फिर से मौक़ा मिलने का भरोसा न हो, या फिर 15 साल का वक्त कम पड़ गया हो।
वहीं दूसरी तरफ नवादा की रैली में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ मंच पर तेजस्वी यादव( Tejaswi Yadav) भी थे। दोनों के बोलने का अंदाज हमलावर था और वो पैंतरा बदल-बदल कर नीतीश और मोदी सरकार पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे थे। मानो उन्हें इस बात का अहसास हो कि बिहार की सत्ता अब महज कुछ कदम ही दूर रह गई है। इस रैली में मंच पर राहुल और तेजस्वी की अच्छी केमेस्ट्री भी नजर आई। ऐसा लगा मानो दोनों खूब तैयारी करके आए हों। और उन्हें पता हो कि किसे किस बात का जवाब देना है और किसे सत्ताधारी दल कि कौन सी कमजोर नस दबानी है।
राहुल और तेजस्वी मंच पर साथ
पहले मंच संभाला तेजस्वी ने। उन्होंने नीतीश की बजाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। तेजस्वी इतने जोश और उत्साह में थे कि नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य, कल-कारखानों और पलायन पर नीतीश को घेरने के बाद उनकी विदाई की तारीख का एलान तक कर डाला। तेजस्वी ने कहा, ‘नौ नवंबर को मेरा जन्मदिन है और उसी दिन लालू यादव की रिहाई होगी और 10 नवंबर को यानी मतगणना के दिन नीतीश कुमार की विदाई हो जाएगी। दरअसल राहुल के सामने ये कहकर तेजस्वी ने एनडीए के नेताओं के इस तंज का जवाब भी दे दिया कि पोस्टरों में लालू-राबड़ी देवी के नहीं होने का ये मतलब नहीं है कि वो खुद को उनसे अलग कर रहे हैं। तेजस्वी ने साफ कहा कि लड़ाई एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं है, बल्कि एक तानाशाह और जनता के बीच है। और बिहार की प्रगतिशील जनता ने ये तय कर लिया है कि इस तानाशाही को जड़ से उखाड़ फेकेंगे।
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नवादा के मंच पर जब राहुल बोलने आए तो उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ मोदी थे। उन्होंने मोदी के एक-एक सवालों का जवाब दिया। सबसे उन्होंने मोदी के लद्दाख की गलवान घाटी में बिहार के जवानों की शहादत को नमन करने के सवाल पर कहा, केवल सिर झुकाने से काम नही चलेगा। ये बताइए मोदीजी कि आपने झूठ क्यों बोला कि हिंदुस्तान की सरहद के भीतर कोई चीनी सैनिक नहीं आया। उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा नहीं किया है। आप ये बताएं कि 1200 वर्ग किलोमीटर जमीन, जिसे चीनी सैनिकों ने कब्जा कर लिया है, उसे आप कब छुड़ाएंगे। चीन को कब खदेड़ेंगे।
राहूल गांधी(Rahul Gandhi ) ने कोरोना, बिहारी मजदूरों के पलायन और नए कृषि कानूनों पर भी मोदी को घेरने में कोई कोताही नहीं की। उन्होंने कहा कि 4 घंटे की नोटिस पर मार्च में लॉकडाउन कर आप कोरोना को 22 दिनों में भगा रहे थे और आज 7 महीने बाद देश में कोरोना के 77 लाख मरीज हैं। अबतक 1 लाख 17 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। लॉकडाउन के दौरान बदइंतजामी का आलम ये रहा कि बिहार के दिहाड़ी मजदूरों को हजारों किलोमीटर पैदल चलकर बिहार पहुंचना पड़ा। जहां उनके रहने-खाने और इलाज के कोई इंतजाम नहीं किए गए। ट्रेन और बसों के इंतजामात तो नदारद थे ही। यहां तक कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने उनके बिहार में घुसने तक पर रोक लगा दी थी।
लोगों को नौकरियां दीं नहीं, उनकी नौकरियां छीन लीं
राहुल गांधी ने नोटबंदी का सवाल फिर से उठाते हुए दोहराया कि दो करोड़ रोजगार सालाना देने का वादा किया लेकिन नौकरियां नहीं दीं। करोड़ों लोगों की नौकरियां छीन लीं। जनता से बैंको में नकद जमा कराया और उससे अडाणी और अंबानी के लाखों करोड़ का कर्ज माफ कर दिया। मोदीजी पर एयरलाइंस, रेलवे, माइन्स और सरकारी नवरत्न कंपनियों को औने-पौने भाव में अपने दोस्तों के हाथों बेचने का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि सरकार अडाणी-अंबानी के लिए रास्ता साफ कर रही है। इसी कड़ी में तीन नए कृषि कानून लाए गए हैं, जिसके सहारे सबकी खेती-किसानी और जमीन पर बड़े पूंजीपतियों का कब्जा हो जाएगा।
मोदी जी का राहुल को जवाब
वहीं मोदीजी ने राहुल के इन आरोपों का जवाब अपने गया और भागलपुर की सभा में दिया। उन्होंने कहा कि सत्ता के लालची लोग आज भ्रम फैला रहे हैं। इनका इतिहास बिहार को बीमारू राज्य बनाने का रहा है। बिहार में 15 साल पहले अपराध चरम पर था। लालू राज में दिन-दहाड़े डकैती, अपहरण की वारदातें होती थीं। उनके परिवार के लोग लूट मचाकर तिजोरी भरने का काम कर रहे थे। नौकरी दिलाने के नाम पर कारोबार किया जाता था और एक सरकारी नौकरी के लिए लाखों रुपए लिए जाते थे। लेकिन अब बिहार में लालटेन युग लौट कर आनेवाला नहीं है। क्योंकि अब गांव-गांव में 24 घंटे बिजली रहती है।
मुफ्त गैस कनेक्शन, किसान क्रेडिट कार्ड, किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन के तहते शौचालयों का निर्माण, कोरोना काल में मुफ्त राशन के इंतजाम जैसी योजनाओं का बखान भी जब श्रोताओं में कोई जोश पैदा नहीं कर पाया तो वो भागलपुर में फिर से भावनात्मक मुद्दों को लेकर हुंकार भरने लगे। उन्होंने ट्रिपल तलाक कानून, राम मंदिर का निर्माण और धारा 370 का जिक्र करते हुए राहुल गांधी पर इन सबका विरोध करने का आरोप लगाया और साफ कहा कि इन फैसलों को पलटने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
मगर ध्रुवीकरण की राजनीति के माहिर खिलाड़ी मोदीजी के इस जाल में फंसने से तेजस्वी ने साफ इंकार कर दिया है। सभाओं के बाद जब उनसे इन सबके बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा, रोजगार, गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बिहारियों को सम्मान दिलाना और तानाशाही से मुक्त कराना ही इस चुनाव के असली मुद्दे हैं। इनसे भटकने और किसी के बहकावे में आने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।