Globaltoday.in | राहेला अब्बास | मुरादाबाद
कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया है. लॉकडाउन (Lockdown) से जहां कोरोना संक्रमण को नियंत्रित किया जा रहा है, वहीं इससे लोगों को जरूरी कामों में देरी का सामना भी करना पड़ रहा है.
उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद (Moradabad) में मौत के बाद परिजनों को अस्थि विसर्जन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है क्यूंकि मृतकों की अस्थियों को श्मशान घाट में बने लॉकरों में रखा जा रहा है.
अब परिजन स्थानीय प्रशासन की अनुमति मिलने या फिर लॉकडाउन समाप्त होने के बाद अस्थि विसर्जन की तैयारी कर रहें हैं.
1 -हिन्दू धर्म में गंगा में प्रवाहित करते हैं अस्थियाँ।
2 – लॉक डाउन के चलते लाकर में रखी जा रही हैं अस्थियाँ।
3 -हरिद्धार या ब्रजघाट ले जाते हैं अस्थियाँ।
दरअसल, अस्थि विसर्जन के लिए अस्थि कलशों को हरिद्वार या बृजघाट ले जाया जाता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते वाहनों की आवाजाही बंद होने से परिजन इंतजार करने को मजबूर हैं. हिन्दू मान्यताओं में मृतक शरीर का अंतिम संस्कार करने और अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा रही है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते आजकल लोगों के सामने अजीब परेशानी उतपन्न हुई है. अंतिम संस्कार के तीसरे दिन परिजन श्मशान घाट से अस्थियों को अस्थि कलश में लेकर गंगा में प्रवाहित करने ले जाते हैं.
लॉकडाउन के चलते मृतकों के परिवार के सदस्य अस्थियां लेकर गंगा तक नहीं पहुंच पा रहें हैं जिसके कारण अस्थियों को श्मशान घाट में ही रखा गया है.
अस्थियों के लिए बनाये लाकर भी हुए फुल
श्मशान घाट में अस्थियों को रखने के लिए बनाये लॉकर जहां भर चुके है, वहीं कई लोग स्थानीय नदियों में भी अस्थियां प्रवाहित कर रहें है.
श्मशान घाट की व्यवस्थाओं को देखने वाले लोग भी स्वीकार कर रहें है कि पहले के मुकाबले लोग अब अस्थियां प्रवाहित करने के लिए इंतजार कर रहे हैं.
मझोला क्षेत्र स्थित लोकोशेड मोक्षधाम में बनाये लॉकरों में कई अस्थि कलश विसर्जन का इंतजार कर रहें है.
प्रदेश में लॉक डाउन के चलते हरिद्धार और ब्रजघाट तक जाने के लिए वाहन की अनुमति नहीं है. लिहाजा लोगों ने अपने मृतक परिजनों के अस्थि कलश को अभी रोक कर रखा है. जनपद के ज्यादातर श्मशान घाटों में यही स्थिति है.
कोरोना वायरस के चलते जहां आम आदमी घरों में रहने को मजबूर है वहीं अस्थि कलश भी गंगा में प्रवाहित होने का इंतजार कर रहे हैं.
कुछ परिजन ज्यादा देर होने पर स्थानीय नदियों में अस्थि विसर्जन कर अंतिम संस्कार की क्रिया को पूरा कर रहें है लेकिन ज्यादातर लोग मृतकों को मोक्ष दिलाने के लिए गंगा में अस्थि कलश प्रवाहित करने का इंतजार कर रहे हैं.