राहुल गाँधी ने प्रेस वार्ता में कहा- कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ सभी को साथ मिलकर लड़ने की ज़रूरत है, अगर सभी फैसले पीएमओ से ही होते रहे तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा
Globaltoday.in | नई दिल्ली | वेबडेस्क
आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ज़ूम(Zoom) द्वारा एक लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये पत्रकारों से सीधे बात की।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इस वार्ता सभी पत्रकारों के सवालों के बड़ी ही सूझ-बूझ के साथ जवाब दिए और उन्होंने विपक्ष के नेता होने के बावजूद इस कोरोना(Covid-19) काल में लगातार सरकार की नीतियों के प्रति तीखा आलोचनात्मक रवैया और हमलावर तेवर रखने के बजाय सहयोग का रुख़ दिखाया.
मीडिया से बातचीत में कुछ पत्रकारों के सवालों पर उन्होंने साफ़ कहा कि यह सरकार की आलोचना का समय नहीं है इसलिए मैं आलोचना नहीं करूँगा।
उन्होंने साफ़ कहा कि इस वक़्त कांग्रेस , बीजेपी, आरएसएस में बँटकर बातें करने का वक़्त नहीं है। हम सबसे पहले भारतीय हैं। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार का रवैया विपक्ष से बातचीत का नहीं है और हमने यह स्वीकार भी कर लिया है। फिर भी इस संकट में सरकार को सुझाव देने का कर्तव्य हम निभाते रहेंगे।
राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर अभिजीत बनर्जी(Abhijeet Banerji) जैसे तमाम जानेमाने विशेषज्ञों से अपनी हालिया संवाद श्रंखला को भी सरकार के प्रति सहयोग की मंशा से जोड़ा और कहा कि सरकार को इन विशेषज्ञों की राय और सुझावों पर ध्यान देना चाहिए और कांग्रेस की ‘न्याय’ योजना को तुरंत अमल में लाना चाहिए ताकि आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे सभी वर्गों ग़रीबों और किसानों को मदद मिल सके।
उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगों के साथ साथ बड़े उद्योगों को भी संरक्षण की ज़रूरत है। राहुल गाँधी ने मज़दूरों से आने-जाने का किराया लेने को भी ग़लत बताया।
गौरतलब है कि इस वार्ता में संवाददाताओं ने राहुल गांधी से उकसाने वाले तमाम सवाल पूछे लेकिन वह विवादास्पद टिप्पणियों से बचते रहे। उन्होंने बार-बार कहा कि यह समय ऐसी बातों के लिए सही नहीं है।
प्रधानमंत्री की स्ट्रांग छवि के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यह उनकी स्टाइल हो सकती है लेकिन फ़िलहाल स्ट्रांग राज्य सरकारों और ज़िलाधिकारियों की भी ज़रूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को इस संकट काल में राज्य सरकारों, ज़िलाधिकारियों से उनके बाॅस की तरह नहीं, अपने साझेदारों की तरह बात करना चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा कि मौजूदा हालात सामान्य नहीं हैं इसलिए इसके समाधान भी सामान्य नहीं हो सकते। अगर सब चीज़ें केंद्रीकृत करके सिर्फ़ पीएमओ तक सीमित रहेंगी तो समाधान नहीं निकल पाएँगे।
मीडिया को सलाह
राहुल गांधी ने मीडिया को भी सलाह देते हुए कहा कि कोरोना को लेकर डर और सनसनी का माहौल न बनाए। यह ज़िम्मेदारी कांग्रेस की भी है, मीडिया की भी है और प्रधानमंत्री की भी।
सरकार की निंदा का समय नहीं
राहुल गाँधी ने कहा कि ये समय निंदा करने का नहीं है। हमें लॉकडाउन खोलने की स्ट्रैटजी बनानी चाहिए। लॉकडाउन कोई ऑन-ऑफ स्विच नहीं बल्कि एक ट्रांजिशन (परिवर्तन का समय) है। इसके लिए केंद्र, राज्य और जनता का एक-दूसरे को सहयोग करना जरूरी है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई को डी-सेंट्रलाइज करने की जरूरत है। अगर सारे फैसले प्रधानमंत्री कार्यालय से ही होते रहे तो बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
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