उत्तराखंड के पहाड़ों में हुई बरसात की कीमत अब मैदानी क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रही है। किसान अपने खून पसीने की कमाई से उगाई गई फसलों पर पानी फिरता हुआ देखने को मजबूर हैं। ये किसान सरकार की तरफ से मदद की आस लगाए हैं। उधर प्रशासन भी दावा कर रहा है कि किसानों के हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी हालांकि अभी तक किसानों को सहायता तो दूर सांत्वना देने वाला भी कोई नहीं पहुंचा है।
जनपद रामपुर के कुछ इलाक़ों में उत्तराखंड के रामनगर बैराज से छोड़ा हुआ पानी सैलाब की शक्ल में आया हुआ है जिसमें गांव के गांव डूब गए, स्कूल डूब गए और लाखों किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।
किसान अंजलि ने बताया,” बहुत फर्क पड़ा है, हमारी सारी खेती खत्म हो चुकी है और हमारे पापा अकेले हैं कमाने वाले और हम पांच बहने हैं, यह हाल है कि हम कहीं जा नहीं सकते, अपने खेतों में ही काम करते हैं, हमारी पढ़ाई है सारा खर्चा हमारे पापा उठा रहे हैं, इससे हमारे जीवन में बहुत सारी मुसीबतें आ गई हैं, बहुत सारी परेशानियां आ गई हैं फिर भी हम कर रहे हैं क्योंकि हमें यह उठाना है क्योंकि इसके अलावा हमारा कोई जरिया नहीं है, कोई चारा नहीं है और हम चाहते हैं कि हमें सरकार से सहायता मिल जाती और अच्छा होता और घर भी हमारे बहुत कच्चे हैं टपक रहे हैं, हमें कोई देखने के लिए आ जाए, कोई अधिकारी आए हमारी हेल्प करें हमें अच्छा लगेगा हमारी कुछ हेल्प हो पाएगी।
उधर जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदर ने बताया,”सबसे पहले तो इस माध्यम से मैं सभी जनपद वासियों को यह कहना चाहूंगा कि सभी लोग बिल्कुल सतर्क रहें और निडर रहें, पूरी जो प्रशासनिक व्यवस्था है आपके साथ जुटी हुई है, अभी हमने बहुत डिटेल में हमारे सभी एसडीएम और अधिकारी और सभी पुलिस के अधिकारियों की मीटिंग ली है, सभी की जिम्मेदारी हमने तय की है, कहीं पर भी जनहानि, पशु हानि और फसल हानि ना हो और हो तो उसका न्यूनतम असर हो उसके लिए हम लोग प्रयासरत हैं.
सबसे पहले तो मैंने निर्देश दिए हैं कि सभी गांवों में यह अलर्ट जारी किया जाए कोई भी नदियों के पास ना जाए कहीं भी किसी के अगर भवन कच्चे हैं या गिरासू हैं या जर्जर अवस्था में हैं तो उन भवनों में लोग ना रहें, उसके लिए हम लोगों ने सभी गांव में विद्यालयों को शेल्टर होम में बदलने के निर्देश दिए हैं, इसके लिए हमारी टीम में तत्काल जुड़ गई है सभी प्रधानों से और सचिवों से और लेखपाल से मेरी यह अपील रहेगी कि प्रत्येक कर्मचारी अपने दायित्व को भलीभांति समझे और यह सेवा का अवसर जो हमें मिला है तो हम पूरी तरह सेवाओं में जुटे और जो फसल हानि हो रही है बहुत सारे मैसेजेस बहुत सारी फीडबैक मेरे पास आ रहे हैं, लोग बिल्कुल निश्चित रहे, किसान भाइयों को मैं यह कहना चाहूंगा कि हम लोग स्वयं ही बहुत संवेदनशील हैं सभी किसान भाइयों को फसल हानि होने पर मुआवजा ना मिलने की कोई ऐसी घटना ना हो इस पर भी हम पूरी तरह मुस्तैद हैं, इस बार हमने एक नया सिस्टम बनाया है सचिव और प्रधान जो आपके गांव के प्रधान आपके नेतृत्व भी होते हैं उनका भी हमने एक रजिस्टर बनाने को कहा है जिस जिस की भी कहीं भी फसल हानि होती है तो संबंधित प्रधान को रजिस्टर में नोट करा दें और जो पंचायत सहायक है वह इसके फोटोग्राफ कोऑर्डिनेट के साथ में ले लेंगे ताकि हमारे पास पूरा रिकॉर्ड रहे इस प्रकार से पूरी तरह प्रयासत है और आपकी सेवा में हम तत्पर रहेंगे।
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