Globaltoday.in | रईस अहमद | रामपुर
प्रेमी की खातिर अपने ही परिवार के 7 लोगों की हत्या करने वाली शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारियों की खबरों पर उसका बेटा अपनी माँ से मिलने अपने पालने वाले माँ-बाप के साथ रामपुर जेल आया।
झकझोर कर देने वाली कहानी की किरदार “शबनम” यह ऐसा नाम है जिसको सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और रूह काँप जाती है।
2008 में जनपद जेपीनगर में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के खातिर अपने ही परिवार के 7 लोगों की निर्मम हत्या की थी।
इस मामले में शबनम बावनखेड़ी हत्याकांड के नाम से जानी जाती है और तभी से क़ैद में है और इसे फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है। फिलहाल वह रामपुर ज़िला कारागार के महिला बैरेक में बंद है।
राष्ट्रपति द्वारा दयायाचिका खारिज किये जाने के बाद अब कभी भी शबनम को फांसी हो सकती है।
शबनम इस वक्त रामपुर के जिला कारागार में बंद है और डेथ वारंट मिलते ही कभी भी वह मथुरा के लिए रवाना हो सकती है। वह रामपुर ज़िला जेल की महिला बैरक नंबर 14 में है। जेलर का कहना है कि उसका व्यवहार सामान्य है और कोऑपरेटिव है। महिला बंदियों के साथ में जेल प्रशासन के साथ में हंसना बोलना बात करना उसमें कोई भी असामान्य गतिविधि नहीं है।
शबनम ने अपने परिवार के 7 लोगों की हत्या अंजाम देने के बाद लंबी कानूनों लड़ाई लड़ी। ज़िला सेशन अदालत से फांसी की सज़ा हुई। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा।
2008 से चल रही इस लंबी कानूनी लड़ाई के बीच शबनम ने अपने उस प्रेमी सलीम से शादी भी कर ली थी और उसका एक बेटा भी पैदा हुआ था।
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दोनों को फांसी की सज़ा सुनाई जाने के बाद शबनम की एक मित्र ने उसके बेटे को गोद ले लिया था। अब गोद लेने वाले यही माँ-बाप आज शबनम के बेटे को उसकी माँ शबनम से मिलवाने रामपुर जेल लेकर आये।
वहीं शबनम का बेटा आज उस्मान के साथ रामपुर जिला कारागार पहुँचा जहां पर उस्मान और शबनम के बेटे ताज ने शबनम से जेल में बात की।
जेल से बाहर निकलने के बाद हमने उस्मान से पूछा कि शबनम से क्या बात रही तो उस्मान ने कहा ताज को मेरे साथ रहते हुए 5 साल 6 महीने से ज्यादा हो गए। इन 5 सालों में पहली दफा मैंने शबनम से पूछा कि तुम्हें जो सजा मिली है अखबारों में और टीवी पर देखा जा रहा है कि तुम्हें फांसी होने वाली है तो क्या यह सही है ? तुम ने ये गुनाह किया है? शबनम ने कहा,”मैंने ऐसा कोई गुनाह किया ही नहीं है, मुझे फंसाया जा रहा है और कोर्ट में भी पहले वे सीबीआई की मांग करती रही है शायद उसकी बात सुनी ही नहीं गई। इतनी बड़ी न्याय व्यवस्था पर सवाल उठना यह बहुत बड़ी बात है या तो शबनम को मीडिया से बात करने की इजाजत दी जाए शबनम बाहर आए और मीडिया से बात करे या फिर इसकी जांच सही तरीके से की जाए।
शबनम के बेटे को लेकर उस्मान ने कहा,” ताज बुलंदशहर के एक अच्छे स्कूल में पढ़ रहा है और जो भी बेहतर से बेहतर शिक्षा है उसे दी जा रही है। शबनम के बच्चे की पहचान उजागर होने पर उस्मान ने कहा यह तो मीडिया का काम है कि जब बच्चे की फोटो हो तो उसको ब्लर कर देना चाहिए क्योंकि जब वह स्कूल जाएगा तो पड़ोस में बैठा हुआ बच्चा उसे कहेगा यह शबनम का बेटा है। ये तो मीडिया की जिम्मेदारी है इन 5 सालों में अभी तक किसी को नहीं पता चला कि मोहम्मद ताज कौन है? तीन दिनों में ही पता चल गया के ताज कौन है।
ताज को अपनी माँ की फांसी के बारे में पता है? इस पर उस्मान ने कहा,”ताज 6 साल 7 महीने 21 दिन जेल में ही रहा है। आजकल की जनरेशन पहले जैसी नहीं है उन्हें सब कुछ पता होता है।
मैं यही चाहूंगा कि शबनम को फांसी हो-उस्मान
मीडिया ने सवाल किया कि इतने साल बाद ही शबनम ने अपने आप को बेगुनाह क्यों बताया पहले क्यों नहीं कहा? इस पर उस्मान ने कहा जब मैं शबनम से फर्स्ट टाइम मिला था तो मैंने उनसे यही सवाल किया था कि आपने अपने घर वालों को क्यों मारा ? शबनम ने मुझसे कहा था कि मुझे आपसे बात ही नहीं करनी है और बात भी नहीं की। जब बात ही नहीं की तो सवाल को दोहराने से क्या फायदा। आज जब लग रहा है उसकी फांसी बहुत नजदीक है तो आज भी वह सवाल वहीं का वहीं खड़ा है…अरे तुमने वह गुनाह किया है तो कम से कम इंसान उस गुनाह पर गिल्टी फील तो कर ही सकता है। उसको फिर बचाने की भी कोशिश कर सकते हैं और गुनाह किया है और गिल्टी फील नहीं कर रहे हैं तो में नहीं चाहूंगा के शबनम बचे। मैं यही चाहूंगा कि शबनम को फांसी हो।
दया याचिका खारिज हो जाने और फांसी की तैयारियां शुरू हो जाने के बाद अब एक नया शिगूफा शबनम की बेगुनाही को लेकर छोड़ना बेमानी है। लेकिन इतनी बात तो ठीक है कि एक नाबालिग़ बच्चे की तस्वीर या उसका असली नाम मीडिया में प्रसारित होना उसके भविष्य पर एक काला साया बनकर मंडरा सकता है।
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