बांग्लादेश के छात्र: राजनीतिक जागरूकता के अलंबरदार !

Date:

कहते हैं अगर कोई पत्थर भी तबियत से उछाले तो आसमान में सुराख हो सकता है। बांग्लादेश के छात्रों ने यह कारनामा एक बार नहीं बल्कि कई बार कर दिखाया है। संघर्ष, दृढ़ता और अपनी युवा शक्ति के सहारे छात्रों ने हमेशा उत्पीड़न को अस्वीकार किया है और लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन किया है। यह भावना देश के लंबे छात्र आंदोलनों और राजनीतिक रूप से जागरूक जनता में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन का इतिहास पुराना है। 1952 के भाषा आंदोलन से लेकर 1960 के दशक के अय्यूब खान विरोधी प्रदर्शनों तक, छात्रों ने लगातार राजनीतिक आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई है। उनके प्रयास 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका में परिणत हुए। छात्रों ने न केवल पाकिस्तानी शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए, बल्कि स्वतंत्रता के लिए हथियार भी उठाए। उनकी बहादुरी और बलिदानों ने बांग्लादेश के एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जन्म लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वतंत्रता के बाद, बांग्लादेश के छात्रों का संकल्प बना रहा। उन्होंने लोकतंत्र को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का जमकर विरोध किया, जिसमें सैन्य शासन के दौर भी शामिल थे। 1990 का जन आंदोलन, जिसका नेतृत्व छात्रों ने किया, इस अडिग भावना का प्रमाण है। इस आंदोलन ने जनरल एच.एम इरशाद के तानाशाही शासन को सफलतापूर्वक उखाड़ फेंका, लोकतांत्रिक शासन को पुनः स्थापित किया और राष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में छात्र सक्रियता की भूमिका को सुदृढ़ किया।

Mutyim Kamalee
लेखक: मुतईम कमली (फिल्म लेखक एवं निर्देशक)

उल्लेखनीय रूप से, इस राजनीतिक जुड़ाव की परंपरा को 20वीं सदी की शुरुआत तक देखा जा सकता है। अखिल भारतीय मुस्लिम लीग, जिसने पाकिस्तान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, 1906 में ढाका में स्थापित की गई थी। यह ऐतिहासिक घटना ढाका और उसके लोगों के लंबे समय से राजनीतिक महत्व को रेखांकित करती है। हालांकि लीग ने शुरुआत में ब्रिटिश भारत में मुस्लिम हितों का प्रतिनिधित्व करने का लक्ष्य रखा था, इसकी स्थापना ने क्षेत्र में संगठित राजनीतिक गतिविधि की शुरुआत की जो अंततः बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने में मददगार साबित हुई।

लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा में छात्रों और सामान्य जनता के सतत प्रयास बांग्लादेश की अडिग भावना को उजागर करते हैं। जैसे ही राष्ट्र आगे का मार्ग प्रशस्त करता है, ये आंदोलनों की विरासत सामूहिक कार्रवाई की शक्ति और राजनीतिक सतर्कता बनाए रखने के महत्व की याद दिलाती है।

आखिर में यह कहा जा सकता है कि बांग्लादेश का इतिहास अपने लोगों विशेष रूप से युवाओं की शक्ति का गवाह है जो लोकतंत्र और न्याय के लिए मर कट सकता है। उम्मीद है छात्र आंदोलनों की यह विरासत, एक राजनीतिक रूप से जागरूक जनता के साथ मिलकर, भावी पीढ़ियों को इन मूल्यों को बनाए रखने और एक बेहतर, अधिक लोकतांत्रिक समाज के लिए प्रयास करने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related

देहरादून में फिर भीषण सड़क हादसा, चेकिंग के लिए रोके वाहन से टकराकर 6 गाड़ियां पलटीं, 1 की मौत 3 घायल

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बुधवार देर रात...

चीन: तलाक़ से नाखुश ड्राइवर ने दर्जनों लोगों पर चढ़ा दी कार, 35 लोगों की मौत

चीन में एक तेज़ रफ़्तार कार ने दर्जनों लोगों...

Rampur News: रामपुर पहुंचे अखिलेश यादव, आज़म खान के परिवार से की मुलाक़ात, कहा- सपा सरकार बनने पर आज़म खान पर लगे झूठे मुकदमे...

रामपुर(रिज़वान खान): समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव...

Sambhal: गेहूं के नकली बीज का बड़ा भंडार मिला, तीन गोदाम सील

बीज निर्माता कंपनी के अधिकारियों की सूचना पर हुई...
Open chat
आप भी हमें अपने आर्टिकल या ख़बरें भेज सकते हैं। अगर आप globaltoday.in पर विज्ञापन देना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें.