बावनखेड़ी हत्याकांड: इस शख़्स ने शबनम को फाँसी से बचाने के लिए मानव अधिकार आयोग से गुहार लगाई

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Globaltoday.in | रईस अहमद | रामपुर

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिला में बावन खेड़ी की खलनायिका शबनम को फांसी दिए जाने की चर्चाएं बड़ी जोरों शोर के साथ शुरू हुई थीं। यह चर्चाएं इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया की सुर्खियां भी बनी थीं। लेकिन उसको शीघ्र फांसी दिए जाने की मांग करने वाले सोशल एक्टिविस्ट दानिश खान का मन अब पूरी तरह से बदल चुका है और उन्होंने अब उसकी फांसी की सजा को माफ करने की गुहार राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से एक याचिका के माध्यम से लगाई है। हालांकि याचिका दर्ज होने के 24 घंटे के बाद आयोग ने उसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

जनपद रामपुर निवासी दानिश खान सोशल एक्टिविस्ट के साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं जो अक्सर सूचना के अधिकार के तहत स्थानीय अधिकारियों के कार्यालयों से जुड़ी सूचनाओं के साथ ही पीएमओ कार्यालय, राष्ट्रपति कार्यालय एवं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के आदेशों को लेकर भी सूचनाएं मांगते रहते हैं।

उन्होंने पिछले दिनों जनपद अमरोहा के बावन खेड़ा नरसंहार की खलनायिका के रूप में जानी जाने वाली शबनम को शीघ्र फांसी दिए जाने की मांग को लेकर उच्च स्तरीय गुहार लगाई थी। जिसके बाद उसको फांसी दिए जाने को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई थीं और मीडिया का फोकस पूरी तरह से रामपुर की जेल पर हो गया था। लेकिन कानूनी दांवपेच के चलते उसकी फांसी की तारीख टल गई थी।

शबनम पिछले दिनों जब रामपुर की जेल में बंद थी तो तब उसका बेटा जेल में उससे मिलने आया तो सभी लोग की निगाहें उस पर टिकी थीं। जिसके बाद मासूम ने अपनी मां की फांसी को रुकवाने के लिए राष्ट्रपति से मीडिया के माध्यम से गुहार लगाई थी।

शबनम के बेटे को देखते हुए सोशल एक्टिविस्ट दानिश खान का मन बदल गया और वह रिट के माध्यम से माननीय संवेदना को देखते हुए शबनम की फांसी की सजा को रद्दोबदल करने की गुहार लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहुंच गए। इसी साल के 21 फरवरी को उन्होंने आयोग में रिट फाइल किया जिसके बाद 20 मई को उनकी रिट को दर्ज कर लिया गया। हालांकि महज 24 घंटे में ही उनकी रिट को मानव अधिकार आयोग ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह प्रकरण उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। यह मामला न्यायालय से जुड़ा हुआ है जिसके बाद अब वह यूएनओ में जाने का मन बना चुके हैं।

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