उर्दू अदब

अहमद फ़राज़-अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

अहमद फ़राज़ हिंदो-पाक के मश्हूरो मारूफ तरक़्क़ी पसंद शायर अहमद फ़राज़ को दुन्याए फानी से गुज़रे 10 बरस बीत गए लेकिन उनकी शाइरी अब भी...

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