उत्तर प्रदेश के बलिया जिला अस्पताल के बाहर एक महिला को 10 साल पहले लापता हुआ उसका पति अचानक मिल गया।
उत्तर प्रदेश/बलिया: उत्तर प्रदेश के बलिया में शुक्रवार को एक महिला जिला अस्पताल में इलाज के लिए आई। महिला अस्पताल के गेट के बाहर फुटपाथ पर बैठे एक अधेड़ उम्र के भिखारी को देख ठिठक कर रुकी। ग़ौर से देखने पर महिला उसके पास दौड़ती हुई पहुंची और अपना दुपट्टा उतारकर उस व्यक्ति पर डालकर रोने लगी। यह देख आसपास लोग हैरान रह गए। साथ में महिला का बेटा भी था।
महिला का बेटा भी हैरान था
महिला ने भिखारी के क़रीब जाकर उसके बदन को अपने दुपट्टे से ढका और उसके बाल संवारने लगी। कभी उसके सिर में जुंए देखती तो कभी उसका सर सहलाती। महिला के बेटे को समझ नहीं आ रहा था कि मां ऐसा क्यों कर रही है। महिला ने किसी की परवाह नहीं की और रुंधे गले से उस व्यक्ति से बातें करने लगी। वह व्यक्ति किसी को पहचान भी नहीं पा रहा था। बेटे ने जब पूछा तो महिला ने जो बताया, उसे सुनकर सब हैरान रह गए।
भिखारी था महिला का बिछड़ा पति
महिला ने अपने बेटे को बताया कि यह भिखारी कोई और नहीं बल्कि उसका पति मोतीचंद वर्मा है, जो 10 वर्ष से लापता था। मां के साथ आए बेटा कभी बाप का चेहरा निहारता तो कभी मां का।
लोग भी हुए भावुक
यह भावुक पल देख वहां खड़े लोगों के आंखों से आंसू निकलने लगे। लोग भगवान के चमत्कार की बात कहते हुए धन्यवाद देने लगे।
मोतीचंद वर्मा दस साल पहले हुए थे लापता
कभी कभी क़िस्मत भी अजीब चमत्कार दिखाती है। ऐसे चमत्कार जो फिल्मों में ही देखने को मिलते हैं। दरअसल बलिया शहर से सटे सुखपुरा थाना के देवकली गांव निवासी मोतीचंद वर्मा दस वर्ष पहले लापता हो गए थे। उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। एक दिन वह घर छोड़ कर चले गए।
पत्नी जानकी देवी ने पति की काफी खोजबीन की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। तीन बेटों के साथ किसी तरह गुजर-बसर करने लगीं।
शुक्रवार को जानकी देवी डॉक्टर से मिलने जिला अस्पताल पहुंची। इसी बीच 10 साल से बिछड़े पति पर नजर पड़ी तो वह रोने लगीं। भावुक भरे क्षण में बेटा भी साथ आया और पिता को सहारा देकर साथ ले गया। यह वाकया जिसने भी देखा, वह भावुक हो गया। सबने जानकी को बधाई दी और कहा कि भिखारी जैसे हालत में पति को पहचानकर पास गई, यह काबिले तारीफ है। अबका समाज किसी को देखकर मुंह मोड़ लेता है।
बहरहाल, दस साल बाद मोतीचंद अपने परिवार से मिल गए। उनकी मानसिक हालत अब भी ठीक नहीं है, लेकिन पत्नी व बेटे का सहारा मिला तो खुशी-खुशी उठकर चल पड़े। अब बेटे उनका इलाज कराएंगे। बेटे का कहना था कि पिता का साया सिर पर नहीं था। मां ही सहारा थी। अब मां-बाप का साया रहेगा।
- MP-MLA कोर्ट ने दी आज़म ख़ान को राहत, एक साथ सुने जाएंगे 27 प्रकरण
- रामपुर जल निगम के दफ़्तर पर अधिकारियों का घिराव
- Winter Vaccation Anounced In J&K Degree Colleges
- National Urdu Council’s Initiative Connects Writers and Readers at Pune Book Festival
- पुणे बुक फेस्टिवल में राष्ट्रीय उर्दू परिषद के तहत ”मेरा तख़लीक़ी सफर: मुसन्निफीन से मुलाक़ात’ कार्यक्रम आयोजित
- एएमयू में सर सैयद अहमद खान: द मसीहा की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित