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एक ऐसा मदरसा जहाँ संस्कृत पढ़ना ज़रूरी है - globaltoday

एक ऐसा मदरसा जहाँ संस्कृत पढ़ना ज़रूरी है

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राहेला अब्बास,मुरादाबाद

भारत विविधिताओं का देश है और अनेकता में एकता इस देश की सदियों से चली आ रही पहचान है। सांप्रादियक सौहार्द के ज़रिये पूरे विश्व को शांति का संदेश देने वाले इस देश में एक दूसरे का सम्मान करना, जीवन जीने की कला है।

मदरसों का नाम ज़ेहन में आते ही धार्मिक शिक्षा के लिए बने केंद्र नजर आते हैं। लेकिन मुरादाबाद में एक मदरसे ने एक ऐसी पहल की है जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।

मुरादबाद(Moradabad) के भोजपुर क्षेत्र में क़ायम एक मदरसे में छात्रों को संस्कृत(Sanskrit) पढ़ाई जा रही है और राम चरित्र मानस से लेकर गीता तक के श्लोक का अर्थ समझाया जा रहा है। छात्र जहां संस्कृत की पढ़ाई मैं रुचि ले रहे हैं, वहीं मदरसा प्रबंधक इसे देश को जानने और समझने की पहल बता रहे हैं।

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एक ऐसा मदरसा जहाँ संस्कृत पढ़ना ज़रूरी है-Bhojpur(Moradabad)

मासूम दिलनवाज जिस शिद्दत से कबीर के दोहों को अपने सुर मे पिरोते हैं, उसे सुन हर कोई हैरान रह जाता है। गाजियाबाद के रहने वाले दिलनवाज मुरादाबाद के चांदपुर क्षेत्र स्थित मदरसा अलजामिया मक्किया खजाइनुल इरफान के छात्र हैं।

इस मदरसे में डेढ़ सौ से अधिक छात्र तालीम हासिल कर रहे हैं। मदरसे में सभी विषयों की शिक्षा के साथ-साथ संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है और संस्कृति के पौराणिक ग्रंथों के ज़रिये छात्रों को तालीम दी जा रही है।

एक तरफ रामचरितमानस के ज़रिये पुरुषोत्तम राम के जीवन से जुड़े पहलू हैं, तो दूसरी तरफ गीता के ज़रिये श्री कृष्ण और अर्जुन संवाद छात्रों को इतिहास की जानकारी दे रहे हैं।

इंटर मीडिएट तक की शिक्षा दे रहे इस मदरसे में छात्रों के लिए संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य है और हर दिन बच्चों को संस्कृतिक भाषा में लिखे गए इस लोक को का अनुवाद कर समझाया जाता है बच्चों को दी जा रही इस तालीम से अनेक अभिभावक भी संतुष्ट हैं और पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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एक ऐसा मदरसा जहाँ संस्कृत पढ़ना ज़रूरी है _Globaltoday.in

मदरसे के प्रबंधक इससे जहां सामाजिक सद्भाव बढ़ाने का कदम मानते हैं, वहीं उनके मुताबिक धर्म विशेष से जुड़ी जानकारियों के अभाव के चलते लोगों मे अफवाहों पर विश्वास करना आसान हो जाता है। इसलिए छात्रों को ज़रूरी है कि वे सभी विषयो की जानकारी हासिल करें और समाज में मुकम्मल इंसान के तौर पर जीवन गुज़ारें।

मदरसे में संस्कृत की पढ़ाई से बच्चों को जहां भारतीय पौराणिक ग्रंथों और जीवन दर्शन की जानकारी हो रही है, वहीं उनके सवालों के जवाब भी मिल रहे हैं।

यहाँ पढ़ने वाले छात्र भी मानते हैं कि समाज में अगर आपसी भाईचारा और पूरा प्यार बढ़ाना है तो शिक्षा के ज़रिये यह काम आसान हो जाता है। मदरसे में इस पहल को लोगों का भी समर्थन मिल रहा है।

देखना होगा कि इस पहल के बाद क्या दूसरे मदरसे भी इस दिशा में कदम बढ़ा कर खुद को सामने लाने की कोशिश करते हैं या फिर खुद को अपने ही दायरे में रखकर आगे बढ़ना चाहते हैं।

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