केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी की बहन और अपना हक़ फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नक़वी अदालत में 12 साल तक सुनवाई चलने के बाद भी अपने पति व बाकी ससुराल वालों पर लगाए गए दहेज उत्पीड़न के आरोप साबित नहीं कर पाई।
ग्लोबलटुडे, 08 अगस्त(राहेला अब्बास): केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी की बहन और अपना हक़ फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नक़वी का तलाक़ को लेकर अदालत में एक केस चल रहा था जिसको वह हार गयी हैं। तीन तलाक़ बिल पास होने के बाद क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने फरहत नक़वी का वीडियो भी ट्वीट किया था।
दरअसल फरहत नकवी का निकाह रोहिली टोला के रहने वाले सैय्यद रेहान हैदर के 28 अप्रैल 2005 को साथ हुआ था। शादी के कुछ ही अरसे समय बाद उनका तलाक हो गया। फरहत नक़वी ने एसपी के कहने पर थाना क़िला में अपने शौहर सैय्यद रेहान हैदर समेत अपनी सास, जेठ, जेठानी और देवर के खिलाफ 30 अगस्त 2007 को दहेज उत्पीडन की एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमे उन्होंने आरोप लगाया था कि शादी के बाद जब फरहत विदा होकर ससुराल गई तो उनके शौहर रेहान हैदर, सास नाज़मीन, जेठ रिजवान, इरफान, जेठानी रोमाना और देवर ज़ीशान हैदर दहेज में मारुति ज़ेन कार की मांग को लेकर सताने लगे।
फरहत नक़वी का कहना था कि उन्होंने 8 जून 2006 को अशोक किरन अस्पताल में एक बेटी को जन्म दिया लेकिन ऑपरेशन और इलाज का खर्च फरहत के पिता ने उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि बेटी की पैदाइश के बाद ससुरालवाले दहेज में कार के साथ एक लाख रुपये की भी मांग करने लगे और मांग पूरी ना होने पर ससुराल वालों ने उनके साथ मारपीट की और एक जनवरी 2007 को ससुराल से निकाल दिया।
फरहत नक़वी द्वारा की गयी एफआईआर में दहेज उत्पीड़न के आरोप में फंसे सभी आरोपियों को अदालत में हाज़िरी देकर ज़मानत करानी पड़ी थी।
इस मामले 12 साल केस की सुनवाई चली लेकिन इन 12 सालों में भी फरहत नक़वी अदालत में अपने दहेज उत्पीड़न के आरोप साबित नहीं कर पायीं।
खबरों के अनुसार फरहत नक़वी के शौहर रहे रेहान हैदर के अधिवक्ता सुरेश कुमार सिंह ने अदालत में दलील दी कि शादी के बाद रेहान और उनके रिश्तेदारों ने फरहत को बहुत ही लाड़-प्यार से रखा, यहाँ तक कि शौहर ने फरहत की बीकॉम की अधूरी पढ़ाई पूरी करने के लिए बरेली कालेज में उनका एडमीशन भी कराया था। उन्होंने कहा कि रेहान अपनी बीवी फरहत से बहुत प्यार करते थे।
शादी के बाद जब विदा होकर फरहत ससुराल आयीं तो उनकी जेठानी अस्पताल में भर्ती थीं, जबकि फरहत का आरोप था कि विदा के तुरंत बाद ही उनकी जेठानी दहेज के लिए सताने लगी थी।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुरेश सिंह ने अपनी बेटी के पैदायश के वक़्त का रेहान द्वारा अस्पताल का जमा किया गया बिल, नैनीताल और मंसूरी में घूमने के फोटोग्राफ भी अदालत में पेश किये थे, जबकि फरहत नक़वी अपने इलज़ाम साबित करने में नाकाम रहीं। ऐसे में ठोस सबूतों के अभाव में अदालत ने फरहत नकवी के पति रेहान हैदर, जेठ रिजवान, इरफान, जेठानी रोमाना और देवर जीशान हैदर को दोषमुक्त करने के बाद बरी कर दिया।
दूसरी तरफ फरहत का कहना है कि मेरे केस में कब और कैसे फैसला हो गया। मुझे और मेरे वकील को इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। मैं बरसों से इंसाफ की जंग लड़ रही हूं। इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगी। सब जानते हैं मेरे साथ अन्याय हुआ है। न्याय के लिए मैं हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगी।