भूमि ज़ब्त मामले में जौहर विश्वविद्यालय को झटका

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Globaltoday.in | रईस अहमद | रामपुर

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान द्वारा रामपुर में स्थापित जौहर विश्वविद्यालय की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले पा रही हैं।

जौहर विश्वविद्यालय की 12:50 एकड़ से अधिक भूमि को जब्त किए जाने की कार्रवाई अपर जिलाधिकारी प्रशासन के न्यायालय में चल रही है, जिसमें अंतिम अवसर प्रदान करते हुए सोमवार की तारीख दी गई थी।

लेकिन आजम खान के वकील द्वारा जौहर विश्वविद्यालय के ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे अब्दुल्ला खान के सीतापुर जेल में निरूद्ध होने की बात कहते हुए कोर्ट से मांग की गयी कि कमिश्नर एडवोकेट नियत करते हुए बयानों के लिए सीतापुर जेल भेज दिया गया।

हालांकि आजम खान की मांग को ठुकराते हुए एडीएम प्रशासन जगदंबिका प्रसाद गुप्ता ने आजम खां के वकील की दलील निरस्त करते हुए अंतिम बहस के लिए अगली तारीख तय कर दी है।

वहीं इस मामले पर सरकारी वकील अजय तिवारी ने बताया,” जौहर विश्वविद्यालय में जो साढे 12 एकड़ से अधिक जमीन है उसको सरकार में निहित करने का मुकदमा चल रहा है। एडीएम प्रशासन जेपी गुप्ता  की कोर्ट में जो पूर्व की तिथि थी उसमें माननीय न्यायालय ने साक्ष्य हेतु अंतिम अवसर दिया था। जोहर ट्रस्ट को उनका स्थगन  100 रुपये हरजे पर मंजूर किया था। आज उस पर सुनवाई थी। जोहर ट्रस्ट के अधिवक्ता है रमेश पाठक उन्होंने दो प्रार्थना पत्र दिए थे। एक तो प्रार्थना पत्र इस बाबत था जोहर ट्रस्ट के जो अध्यक्ष है माननीय सांसद मोहम्मद आजम खान साहब और उनकी विधायक पत्नी तंजीम फातिमा जो ट्रस्ट में सचिव है और उनके बेटे पूर्व विधायक अब्दुल आज़म वह तीनों सीतापुर जेल में बंद है जो भी फैक्ट है जो भी साक्ष्य हैं वह उनकी जानकारी में है। लिहाज़ा एक एडवोकेट कमिश्नर अप्वॉइंट किया जाए वे वहां सीतापुर जेल में जाकर इन तीनों के बयान दर्ज करें। जो कि साक्ष्य में पढ़े जा सके। और जो एक आख्या जिला प्रशासन ने भेजी थी सरकार को उस आख्या को तलब करने के लिए एक प्रार्थना पत्र उन्होंने अलग से दिया था। सरकारी वकील ने कहा मैंने उन प्रार्थना पत्र का इन आधार पर विरोध किया क्योंकि माननीय न्यायालय द्वारा पूर्व में ही अंतिम अवसर दिया जा चुका है साक्ष्य के लिए। यह दोनों जो प्रार्थना पत्र साक्ष्य  के श्रेणी में नहीं आते हैं। इसलिए मेरे द्वारा इन दोनों प्रार्थना पत्रों का विरोध किया गया। उसी को आधार मानते हुए माननीय न्यायालय द्वारा साक्ष्य का अंतिम अवसर दिया गया था। लिहाजा साक्ष्य का अंतिम अवसर समाप्त करके पत्रावली को बहस में लगा दिया है अब इस मामले में 18 नवंबर को बहस होगी।

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