उत्तराखंड के रामनगर बेराज से छोड़े गए 1 लाख 46 हज़ार क्यूसिक पानी ने रामपुर ज़िले में क़ेहर बरपा किया हुआ है। 55 गाँवों में हर तरफ पानी ही पानी नज़र आ रहा है। बचाव के लिए प्रशासन ने एसडीआरएफ मंगाई और पीएसी की एक टीम भी रामपुर पहुँच चुकी है।
बाढ़ में फंसे लोगों की राहत के लिए प्रशासन ने कंट्रोल रूम बनाया है और बाढ़ से ग्रस्त इलाक़ों में फ़ूड पैकेट और कच्चा राशन बांटने की व्यवस्था की है।
रामपुर (Rampur) के डीएम ने कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया और बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता और मुआवज़े के लिए निर्देश दिए हैं। रामपुर नगर के आसपास भी पानी जमा हो चुका है और आबादी में भी पानी आ चुका है। पानी का बहाव इतना तेज़ है था कि उसकी धार में हाइवे पर रोड़वेज बस भी फंस गयी।
जिला प्रशासन अलर्ट है और सभी अधिकारी बाढ़ पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए हैं। एनडीआरएफ का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। कई गांव बाढ़ में डूबे हुए हैं। वहां से लोगों को और उनके पशुओं को एनडीआरएफ की टीम निकाल कर सुरक्षित स्थान पर ले जाकर रख रही है।
जनपद रामपुर इस वक्त चारों तरफ से बाढ़ की मार झेल रहा है। रामपुर से तीन नदियों होकर गुजरती हैं कोसी नदी,राम गंगा नदी और भाखड़ा नदी। ये तीनों ही नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और इनके आसपास जितने भी गांव हैं सब बाढ़ की चपेट में है। जिसके कारण से कोसी नदी के किनारे सभी गांव बाढ़ की चपेट में हैं उसके अलावा रामगंगा नदी में भी पानी का बहाव काफी है और वह भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। तीसरा है भाखड़ा डैम जिसकी वजह से बिलासपुर में कई मोहल्लों में बाढ़ का पानी भर गया है जिस वजह से आम आदमी का जीवन अस्त-व्यस्त है।
टांडा दढ़ियाल में भी बाढ़ ने अपना रौद्र रूप धारण कर रखा है और यहाँ भी प्रशासन द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
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