उत्तराखंड में 88 पन्नों की एक एफआईआर(FIR) लिखी जा रही है जिसको लिखने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं, ये एफआईआर 7 दिन में पूरी होगी
ग्लोबलटुडे, 21 सितंबर-2019
काशीपुर, उत्तराखंड
उत्तराखंड(Uttarakhand) के उधम सिंह नगर की पुलिस देश में एक नया इतिहास रचने जा रही है, जहां दो अस्पतालों पर 5 दिन से मुकदमा लिखा जा रहा है। एफआईआर(FIR) लिखते-लिखते चार दिन गुजर चुके हैं लेकिन अभी तक ये रिपोर्ट पूरी नहीं हो पाई है। बताया ये जा रहा है कि इसमें अभी 3 दिन और लग सकते हैं।
एफआईआर(FIR) लिखने के चक्कर में पुलिस महकमे के कर्मचारियों के पसीने छूट गए हैं। यही नही कर्मचारियों के पास मौजूद क़लम की स्याही तक खत्म हो गयी है। ये एफआईआर(FIR) पुलिस के लिए सर दर्द बन चुकी है।
दरअसल ये एफआईआर(FIR) पुलिस को हाथ से लिखना पड़ रही है क्यूंकि पुलिस के एफआईआर टाइप करने वाले सॉफ्टवेयर की क्षमता 10 हजार शब्दों से अधिक नहीं होती।
मामला केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही अटल आयुष्मान योजना से जुड़ा हुआ है, जहाँ घोटाले के चक्कर मे काशीपुर में 4 अस्पतालों पर पूर्व में मुकदमा दर्ज हो चुका है और दो अस्पतालों पर मुकदमे दर्ज करने की कार्यवाही चल रही है।
क्या है पूरा मामला
मोदी सरकार की एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना अटल आयुष्मान योजना में गड़बड़ झाले का खुलासा उस वक्त हुआ जिस वक्त एक युवक ने सूचना मांग मामले को हाई कोर्ट में जन हित याचिका दायर की। जिसके बाद हाई कोर्ट हरकत में आया और एक जांच टीम गठित करने का राज्य सरकार को आदेशित किया।
जांच टीम के सामने एक ऐसा चौकाने वाला सच सामने आया जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। योजना में हो रही गड़बड़ी और घोटाले को लेकर केंद्र से मॉनिटरिंग करने में हुई धांधली पकड़ने के बाद शासन स्तर पर करीब आधा दर्जन निजी अस्पताल को इस योजना से सस्पेंड करते हुए 5 अस्पतालो के मालिको के खिलाफ विभाग द्वारा मुकदमा पंजीकृत कराया गया है।
सबसे बड़ी एफआईआर(FIR)
अब इस केस को लेकर उत्तराखंड के काशीपुर कोतवाली की कटोराताल ओर बांसफोडान चौकी में देश के इतिहास की पहली सबसे बड़ी एफआईआर लिखी जा रही है, जिसे लिखने में करीब 5 दिन लग चुके हैं और पूरा होने में दो से तीन दिन का समय और लग सकता है।
अटल आयुष्मान घोटाले में दो अस्पतालों के खिलाफ दर्ज की जा रही एफआईआर पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है। हिंदी और अंग्रेजी भाषा में भेजी गई एफआईआर लिखने में मुहर्रिरो के पसीने छूट रहे हैं। इसकी बड़ी वजह है कि ये एफआईआर पुलिस को हाथ से लिखना पड़ रही है।
क्यूंकि पुलिस के एफआईआर टाइप करने वाले सॉफ्टवेयर की क्षमता 10 हजार शब्दों से अधिक नहीं होती।
लोगों का हो रहा था फर्जी उपचार
ऊधम सिंह नगर जनपद के काशीपुर निवासी मुनिदेव विश्नोई ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार की अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा और धांधली करते हुए एक ही मरीज के रिश्तेदारों और परिचितों को निजी अस्पतालों में भर्ती कर एक जैसी बीमारियों के इलाज़ कराने और ऑपरेशन करने को रेफर करने की केंद्र सरकार के अटल आयुष्मान योजना के सॉफ्टवेयर ने पकड़कर शासन को अवगत कराया था।
जिसके बाद शासन ने इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए जिला ऊधमसिंह नगर के स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी थी, जिसके बाद शासन स्तर पर एक जाँच कमिटी बनाई गई। ऊधमसिंह नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी जाँच कमेटी में शामिल करते हुए जाँच में काशीपुर क्षेत्र के प्राइवेट अस्पताल अली नर्सिंग होम , एम पी मेमोरियल अस्पताल, सौहोता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल समेत, जन सेवा हॉस्पिटल, देवकी नंदन हॉस्पिटल सहित आधा दर्जन अस्पतालों को अटल आयुष्मान योजना से हटाते हुए उक्त अस्पताल के मालिकों पर मुकदमा दर्ज़ कर कार्यवाही शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत रामनगर रोड स्थित एमपी अस्पताल और तहसील रोड स्थित देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं।
जांच में दोनों अस्पतालों के संचालकों की ओर से नियम विरुद्ध रोगियों के फर्जी उपचार बिलों का क्लेम वसूलने का मामला पकड़ में आया था। आरोपों में मुख्य आरोप यह है कि इस योजना के लाभ के लिये सरकारी अस्पतालों ने इन पैनल अस्पतालों में ऐसे लोगो को रेफर किया जा रहा है,जिनकी न बिमारी का पता है और न रेफर करने वाले का।
याचिका में जिले के केलाखेड़ा अस्पताल का उदाहरण देते हुए कहा है कि इस अस्पताल से 47 लोगो को इन पैनल अस्पतालों के लिये रेफर किया गया,जबकि इनकी बिमारी की कोई पुख्ता जानकारी और न अस्पताल का कोई डाक्टर है।
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