दिल्ली पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए वोटर रजिस्ट्रेशन करने के आरोप में 6 लोगों को गिरफ्तार किया है।
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए जालसाज़ी कर वोटर रजिस्ट्रेशन करने के आरोप में 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में से कुछ लोग फर्जी दस्तावेज बनाने में शामिल बताये जा रहे हैं। पुलिस के अनुसार आरोपियों द्वारा जाली दस्तावेज बनाने के लिए एक कंप्यूटर का उपयोग किया जा रहा था। शाहीन बाग थाने में इस मामले में दो अलग-अलग केस दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
बीते 25 दिसंबर को ओखला विधान सभा क्षेत्र के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) विनोद कुमार ने शाहीन बाग में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने शिकायत में कहा था कि चार लोगों ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके मतदाता पहचान पत्र में पता बदलने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद 29 दिसंबर को एक और शिकायत विनोद कुमार, ईआरओ,ओखला विधान सभा से मिली कि फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके मतदाता पंजीकरण के कार्यालय में नए मतदाता पंजीकरण के लिए 4 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसके बाद साउथ दिल्ली के शाहीन बाग थाने में 2 केस दर्ज किए गए।
अब दिल्ली पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए वोटर रजिस्ट्रेशन करने के आरोप में 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में 32 वर्षीय मोहम्मद नईम (शाहीन बाग), 30 वर्षीय रिज़वान उल हक (जामिया नगर), 37 वर्षीय सबाना खातून (शाहीन बाग), 27 वर्षीय रजत श्रीवास्तव (फ़रीदाबाद), 51 वर्षीय वी. त्रिलोक चंद (चिराग दिल्ली) और सचिन कुमार (मालवीय नगर, दिल्ली) शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस के अनुसार चुनावी पंजीकरण प्रक्रिया में हेरफेर करने के लिए तकनीक और जाली दस्तावेजों का प्रयोग किया गया। शाहीन बाग में रहने वाले नईम (32) ने जाली बिजली बिल का इस्तेमाल कर अपने वोटर आईडी में पता बदलने के लिए आवेदन किया था। वह पेशे से इलेक्ट्रीशियन है। रिजवान उल हक (30) शाहीन बाग में एक साइबर कैफे के मालिक रिजवान ने मोहम्मद के लिए बिजली बिल में जालसाजी की। सबाना खातून (37) शाहीन बाग में रहने वाली एक गृहिणी, ने जाली बिजली बिल का उपयोग करके पता बदलने के लिए आवेदन किया था।
रजत श्रीवास्तव (27)- जसोला में एक साइबर कैफे संचालक, ने कई लोगों के बिजली बिल बनाने के लिए एक ऑनलाइन पीडीएफ संपादन उपकरण का उपयोग किया। वह शाहीन बाग थाने में दर्ज दोनों मामलों में शामिल पाया गया है। सचिन कुमार (27)- दिल्ली के एक अस्पताल में हाउसकीपिंग में कार्यरत, ने अपने मूक-बधिर चाचा किसुनी के लिए दस्तावेज तैयार करने के लिए त्रिलोक चंद से संपर्क किया। उसका कथित मकसद अपने चाचा के नाम से जमीन ट्रांसफर करना था।
त्रिलोक चंद (51) – मालवीय नगर में एक निजी शिक्षक, ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए रजत श्रीवास्तव के साथ सहयोग किया और कथित किसुनी को 4-5 सालों से जानता है।