शत्रु संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान के पुत्र अब्दुल्ला आज़म को कोर्ट ने ज़मानत दे दी है। लेकिन कोर्ट ने शर्त कहा है कि आदेश के बिना अब्दुल्ला देश नहीं छोड़ सकेंगे।
- अब्दुल्ला आज़म के अधिवक्ता बोले सभी मुकदमो में हो गई जमानत।
- जेल से बाहर सकते है अब्दुल्ला आज़म। हरदोई जेल में बंद है अब्दुल्ला आज़म
रामपुर( रिज़वान ख़ान): शत्रु संपत्ति खुर्द बुर्द करने के मामले में फंसे समाजवादी पार्टी के क़द्दावर वरिष्ठ नेता मो. आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला आज़म को कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शर्तों के साथ अब्दुल्ला आज़म की जमानत मंजूर कर ली है। अब्दुल्ला पिछले 17 महीनों से यूपी की हरदोई जेल में बंद हैं। उम्मीद की जा रही है कि अब्दुल्ला अब जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे।
अब्दुल्लाह की ज़मानत मंज़ूर होने की खबर सुनने के बाद समाजवादी पार्टी के पूर्व ज़िलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल और कार्यकर्ताओं ने सपा कार्यालय राजद्वारे में ख़ुशी मनाई गयी और मिठाइयाँ बांटी गयीं।
अब्दुल्ला आजम की जमानत मंजूरी होने के साथ ही कोर्ट ने चार शर्तें भी लगाई हैं। कोर्ट ने कहा है कि बिना न्यायायल की अनुमति के अब्दुल्ला आज़म देश से बाहर नहीं जाएंगे। हर तारीख़ पर अदालत में हाज़िर होंगे और गवाहों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। साथ ही केस के संबंध में पूरा सहयोग करेंगे।
बता दें कि कुछ माह पहले शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के आरोप से घिरे सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां व उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां को रामपुर पुलिस ने क्लीन चिट दी थी। जिस पर यह मामला शासन तक पहुंचा था। जिसके बाद इस मामले में शासन ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला के खिलाफ जांच बैठा दी थी। इस मामले की दोबारा से विवेचना करने के आदेश दिए गए थे।
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पुलिस अधीक्षक विद्यासागर मिश्रा ने इस मामले की विवेचना अपराध शाखा के इंस्पेक्टर नवाब सिंह को दी थी। नवाब सिंह इस वक्त शहर कोतवाल हैं। इस मामले में पिता-पुत्र को कोर्ट में आरोपी बनाया जा चुका है।
यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में अब्दुल्ला आजम की जमानत अर्जी पर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान अब्दुल्ला आजम के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पत्रावली पर उनके वादी के खिलाफ पुख्ता सुबूत नहीं हैं। पुलिस ने सह अभियुक्त के बयान पर झूठा फंसाया है।
अभियोजन की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी स्वदेश शर्मा ने दलील दी कि अब्दुल्ला आजम ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर अपराध को अंजाम दिया है और इसके सुबूत पत्रावली पर मौजूद है। लिहाजा, जमानत निरस्त की जाए। दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।