ईरान ने इस्राइल पर हमला कर दिया है, जो मिडिल ईस्ट में तनाव की स्थिति को और अधिक जटिल बना रहा है। यह हमला, हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैय्यद हसन नसरुल्लाह की हत्या के जवाब में किया गया है, जिसे इस्राइली हवाई हमले में निशाना बनाकर शहीद किया गया था। ईरान ने इस हमले को नसरुल्लाह की “शहादत” का बदला बताते हुए इसे खुला युद्ध करार दिया है।
ईरानी फौज और उसके सहयोगियों ने इस्राइल के कई सैन्य ठिकानों और महत्वपूर्ण संरचनाओं को निशाना बनाया। इस जवाबी हमले से मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, और दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ने की संभावना तेज हो गई है।
इस्राइल के अधिकारियों ने ईरानी हमले पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठाएंगे। इस्राइली प्रधानमंत्री ने इसे इस्राइल के खिलाफ एक “घातक हमला” बताया और इसके जवाब में और अधिक कठोर कार्रवाइयों की चेतावनी दी है। इस्राइल के रक्षा मंत्रालय ने देश में आपातकालीन स्थिति घोषित कर दी है और नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है।
ईरान के इस हमले के बाद, लेबनान, ईरान और अन्य इस्लामी देशों में हिज़्बुल्लाह समर्थकों ने बड़े पैमाने पर जश्न मनाया। ईरानी अधिकारियों ने घोषणा की है कि नसरुल्लाह की शहादत का बदला केवल एक शुरुआत है, और इस्राइल को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ईरानी फौजी नेतृत्व ने अपने बयान में कहा कि यह हमला इस्राइल को चेतावनी देने के लिए था, लेकिन अगर तनाव और बढ़ता है, तो इसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने मिडिल ईस्ट के देशों को एक बार फिर युद्ध की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र और कई यूरोपीय देशों ने तुरंत शांति वार्ता की पहल करने का प्रस्ताव रखा है, ताकि हालात को बिगड़ने से पहले संभाला जा सके।
आने वाले दिनों में इस्राइल और ईरान के बीच हालात और अधिक गंभीर हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले के बाद पूरे क्षेत्र में हिंसा की लहर फैल सकती है, जिससे मिडिल ईस्ट में स्थिरता और सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
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