UP Election: नवाबज़ादा हैदर अली खान उर्फ हमज़ा मियाँ ने थामा अपना दल का दामन

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पुरानी कहावत है मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज़ है और सियासत भी एक प्रकार की जंग ही है। शायद यही सोच कर नवाब खानदान के चश्मो चिराग़ नवाबज़ादा हैदर अली खान उर्फ हमज़ा मियॉँ ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहते हुए भाजपा गठबंधन की सहयोगी पार्टी अपना दल का दामन थाम लिया है।

अब हमज़ा मियां(Hamza Miyan) जनपद रामपुर की स्वार(Swar) टांडा विधानसभा सीट से कांग्रेस के बजाय भाजपा गठबंधन की सहयोगी पार्टी अपना दल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरेंगे।

ब्रिटिश शासन काल में रामपुर एक रियासत हुआ करता था। आजादी से पहले तक यहां पर नवाबों का शासन था। 1947 के बाद देश को आजादी मिली और यह रियासत भारत गणराज्य में विलय हो गई। फिर यहां के नवाबों का सियासत में मजबूत दखल शुरू हुआ।

नवाब घराना हमेशा से कांग्रेस का किला माना जाता रहा है। पूर्व में कई मर्तबा नवाज जुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां कांग्रेस के सांसद रहे। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी बेगम नूर बानो भी कई मर्तबा सांसद रहीं।

सियासी टकराव

हालांकि इस नवाब घराने का हमेशा से सियासी टकराव समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान से रहा है। बेगम नूर बानो के पुत्र नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां पहली बार 1996 में बिलासपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे। फिर उन्होंने अगले चुनाव में अपना क्षेत्र बदला और वह स्वार टांडा विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस से ही चुनाव मैदान में उतरे और फिर जीत हासिल की।

हालांकि उसके बाद वह बसपा में चले गए। मायावती सरकार में उन्हें राज्य मंत्री भी बनाया गया और फिर उसके बाद वह सपा में शामिल हो गए। लेकिन अब फिर वह काफी समय से कांग्रेस में ही वापस आ चुके हैं।

यूपी चुनाव का बिगुल बज चुका है और अब वह कांग्रेस पार्टी से शहर विधानसभा पर आजम खान के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। नवेद मियां के पहले बसपा में और फिर सपा में रहने के बावजूद भी दिलचस्प बात यह रही कि उनकी मां बेगम नूर बानो हमेशा से ही कांग्रेसी रहीं।

नूर महल

एक जमाना वह था जब उनके पैतृक आवास नूर महल में जहां एक तरफ पहले बसपा और फिर समाजवादी पार्टी का झंडा लगा हुआ करता था तो वहीं दूसरी तरफ इसी नूर महल में उनकी माँ की वजह से कांग्रेस का झंडा भी लगा हुआ करता था। वक्त ने एक बार फिर करवट बदली है और नूर महल की सियासत प्रत्यक्ष रूप से दो खेमों में बंट चुकी है। इसका बड़ा कारण यह है कि बेगम नूर बानो और नवेद मियां एक जगह ही कांग्रेस पार्टी में हैं जबकि नवेद मियां के बेटे नवाबजादा हमजा मियां कांग्रेस पार्टी छोड़कर अपना दल में शामिल हो चुके हैं। जिसके बाद उन्होंने आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम के मुकाबले स्वार टांडा विधानसभा सीट से बड़ी मजबूती के साथ भाजपा गठबंधन की सहयोगी पार्टी अपना दल से प्रत्याशी के तौर पर दावेदारी ठोंक दी है।

रामपुर का नूर महल हमेशा से ही सियासत का केंद्र रहा है। भले ही बेगम नूर बानो कई चुनाव हारने के बाद लोकसभा से दूर रही हों लेकिन उनका मन पूरी तरह कांग्रेसी है और ऐसे में उनके इस महल में उनके बेटे नवेद मियां के उनकी पार्टी में शामिल होने के बाद कांग्रेस के झंडे ही लहराते रहे हैं। लेकिन अब एक बार फिर से सियासत ने करवट बदली है और बेगम नूर बानो के पोते नवाबजादा हमजा मियां कांग्रेस को अलविदा कहते हुए जनहित में अपना दल में शामिल हो चुके हैं और अब एक बार फिर से यह नूर महल पुराना वाला इतिहास दोहराने जा रहा है। यहां पर कांग्रेस के साथ-साथ अपना दल का झंडा भी लहराया जाएगा।

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