NRC एक राजनीतिक छलावा है: नदीम खान (UAH)

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UAH
यूनाइटेड अगेंस्ट हेट द्वारा आराम गीता कॉलोनी में जनसभा का आयोजन

NRC अभी सिर्फ़ असम में लागू हुआ है और उसकी बुनियाद 1985 में हुआ असम समझोता है। जिसके मुताबिक़ जो लोग 24 मार्च 1972 से पहले भारत आए थे उन्हें भारतीय नागरिक माना जाएगा।

ग्लोबलटुडे, 29 सितंबर-2019

नई दिल्ली: यूनाइटेड अगेंस्ट हेट(UAH) द्वारा आराम गीता कॉलोनी के इलाक़े में NRC और मॉब लिंचिंग को लेकर जालसा-ए- आम नाम से एक जन सभा का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में लोगों को NRC के बारे में सही जानकारी दी गयी और सोशल मीडिया पर NRC को ले कर चल रही अफ़वाहों से लोगों को अवगत कराया गया। साथ ही साथ देश भर में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर भी वक्ताओं ने अपना रोष व्यक्त किया।

NRC के क़ानूनी पहलू को बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वक़ील फूजेल अय्यूबी कार्यक्रम में मौजूद रहे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि NRC अभी सिर्फ़ असम में लागू हुआ है और उसकी बुनियाद 1985 में हुआ असम समझोता है। जिसके मुताबिक़ जो लोग 24 मार्च 1972 से पहले भारत आए थे, उन्हें भारतीय नागरिक माना जाएगा और उसके बाद जो आए हैं उन्हें विदेशी माना जाएगा। इसलिए असम के लोगों को अपने वो काग़ज़ात पेश करने हैं,जिससे यह साबित हो सके कि वो लोग या उनके पूर्वज उस तारीख़ से पहले से असम में रह रहे हैं।

Nadeem Khan
नदीम खान,उमर खालिद, डॉ कफील

एडवोकेट अय्यूबी ने आगे बताया कि असम वाला फार्मूला बाक़ी राज्यों में लागू नहीं हो सकता। लेकिन उन्होंने उपस्थित भारी जन समूह को अपने सारे सरकारी दस्तावेज़ दुरुस्त रखने की सलाह दी।

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट(UAH) के मेंबर नदीम खान जो हाल ही में असम का दौरा करके लौटे हैं, ने बताया किस तरह NRC लिस्ट में नाम ना आने की वजह से 19 लाख से अधिक लोग परेशान हाल हैं। उन्होंने बहुत से ऐसे केस बताए जहाँ एक ही परिवार के कुछ लोगों के नाम लिस्ट में हैं और कुछ के नहीं, जबकि सभी ने एक जैसे दस्तावेज़ जमा करे थे। नदीम ख़ान ने सरकार पर इल्ज़ाम लगाते हुए कहा कि NRC और कुछ नहीं सिर्फ लोगों में भय पैदा करने का एक शगूफा है।

इस जन सभा में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद और गौरखपुर के डॉक्टर कफ़ील खान ने भी अपने विचार प्रकट किए। उमर ख़ालिद ने शाहिद भगत सिंह के 112वे जन्म दिवस पर श्रधांजलि देते हुए कहा कि जिस सामाजिक और राजनीतिक आज़ादी की लड़ाई भगत सिंह ने शुरू की थी, वो लड़ाई आज भी जारी है और जब तक समाज में बराबरी नहीं आती तब तक लड़ाई जारी रहेगी।

कार्यक्रम में कुछ युवा कवियों ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया, जिसमें पूजन साहिल, कौशिक राज, नबिया ख़ान और असीम सुडान शामिल थे।

प्रोग्राम का संचालन यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य ख़ालिद सैफ़ी ने किया। प्रोग्राम में यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सौरभ मिश्रा ने भगत सिंह की किताब का एक अंश पढ़ा, जो उन्होंने अपने साथी अशफकुल्लाह ख़ान के बारे में लिखा था। निकिता चतुर्वेदी ने भी लोगों को आपसी भाई चारा बढ़ाने का आग्रह किया और बताया किस तरह यूनाइटेड अगेंस्ट हेट(UAH) समाज में फैल रही नफ़रत को कम करने के लिए सभी धर्मों के त्योहार मिल कर मानाते हैं।

इस मौक़े पर फ़रमान अहमद, फ़ैज़ान ज़ैदी, सलीम अंसारी, डॉक्टर मुश्ताक़, सय्यद फ़रहत, राहत अली, अहमद हसन, ख़ालिद अली, मतलूब अहमद गणमानिए लोग मौजूद रहे।

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