नई दिल्ली, 11 सितंबर, 2024: इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर(IICC) में आयोजित कोगिटो मीडिया फाउंडेशन की बैठक में दर्जनों पत्रकारों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य मीडिया हाउसों को एक मंच पर लाकर मीडिया की चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना और समस्याओं के समाधान हेतु ठोस कदम उठाना था।
कोगिटो मीडिया फाउंडेशन(Cogito media faoundation) के अध्यक्ष शम्स तबरेज़ कासमी ने कहा कि मीडिया और मास मीडिया वर्तमान युग की सबसे बड़ी ताकत है,और हमारे देश को इसका एहसास होना बहुत जरूरी है। हाल के दिनों में मुसलमानों और अन्य वंचित वर्गों को मीडिया में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, और केवल नकारात्मक खबरें ही दिखाई जाती हैं। ऐसे में, मुसलमानों को मीडिया के क्षेत्र में आगे आकर अपने खुद के मीडिया हाउस स्थापित करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से, कोगिटो मीडिया फाउंडेशन की स्थापना की गई है ताकि पत्रकारों को मदद मिल सके और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।
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फाउंडेशन के महासचिव अली जावेद ने बताया कि फाउंडेशन का उद्देश्य पत्रकारों को कानूनी सहायता प्रदान करना और पत्रकारिता की गुणवत्ता में सुधार हेतु कार्यशालाओं का आयोजन करना है।
एशिया टाइम्स के संस्थापक और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सदस्य अशरफ अली बस्तवी ने कहा कि अब समाज को मीडिया की कमी की शिकायत करने का अधिकार नहीं है। इन सभी को संगठित करने और उन्हें सहयोग देने की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार अंजारूल बारी ने कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है और इसकी लंबे समय से आवश्यकता थी।
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फाउंडेशन के संयोजक सैफुर रहमान ने कहा कि वर्तमान में लड़ाई विचारधारा और नैरेटिव की है, और मीडिया सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। भारत के मुसलमानों के बीच पिछले 15 वर्षों में बड़ी संख्या में समाचार पोर्टल और यूट्यूब चैनल स्थापित हुए हैं। इसलिए, ऐसे सभी मीडिया संस्था व पत्रकारों को जोड़कर मुसलमानों और एवं वंचित वर्गों की आवाज़ को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
हक मीडिया के संपादक फैजुल बारी ने पत्रकारों से आग्रह किया कि वे इस्लामी दृष्टिकोण को समझें ताकि मुसलमानों के खिलाफ दुष्प्रचार का संतोषजनक उत्तर दिया जा सके। साथ ही, जिला स्तर तक डिजिटल मीडिया पत्रकारों से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
द ऑब्ज़र्वर पोस्ट के निदेशक मीर फैसल ने आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा कि चैनलों को वित्तीय संकट से निपटने के लिए बिज़नेस मॉडल पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी। साथ ही, मीडिया को मिल्लते इस्लामिया की अपेक्षाओं के अनुसार सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी कोशिश करनी चाहिए।
नफरत डिकोड के संस्थापक अंसार इमरान ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की और सदस्यों को शोध सामग्री प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, देशभर में पत्रकारिता की आवश्यकता पर जागरूकता बढ़ाने की बात कही।
मेवात टाइम्स के संस्थापक सुफयान सैफ और शयान असकर ने स्थानीय पत्रकारों को प्रशिक्षित करने और उनसे समाचार प्राप्त करने में सहायता हासिल करने की बात कही।
बैठक में शामिल अन्य पत्रकारों ने भी अपने अनुभव और विचार पेश किए, जिनमें जोरनो मिरर के संस्थापक मोहम्मद अली, आईएनएन न्यूज़ के संस्थापक साहिल नक़वी, पब्लिक रिएक्शन बैंक के संस्थापक दानिश अनज़ार, रज़ा ग्राफी के अली रज़ा, जामिया वर्ल्ड के संस्थापक मोहम्मद तसलीम, दो बोल न्यूज़ के संस्थापक शहनवाज़ हुसैन, एआर न्यूज़ के संस्थापक आक़िब रज़ा, होप इंडिया के संस्थापक बाबर, वतन समाचार के संस्थापक मोहम्मद अहमद, रुबा अंसारी, निशा खान, मोहम्मद अफजल और शाहनवाज़ हुसैन समेत कुल 60 पत्रकार शामिल थे।
बैठक में 6 सूत्रीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया, जो इस प्रकार है:
- देशभर के जिला स्तर के डिजिटल मीडिया पत्रकारों को फाउंडेशन से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
- पत्रकारों एवं पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यशालाएँ और लेक्चर्स आयोजित किए जाएंगे।
- आर्थिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, मीडिया संगठनों के महत्व को लेकर जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और पत्रकारों के लिए राजस्व मॉडल पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- देश और मिल्लत की समस्याओं और बयानों से संबंधित विषयों पर सदस्यों को सामग्री दी जाएगी, ताकि वे अपने-अपने तरीकों से कार्यक्रम प्रस्तुत कर सकें।
- वरिष्ठ और कनिष्ठ वकीलों पर आधारित एक कानूनी टीम बनाई जाएगी, और पेशेवर रूप से एक कनिष्ठ वकील को नियुक्त किया जाएगा।
- डिजिटल मीडिया के खिलाफ किसी भी प्रकार के पत्रकारिता विरोधी कानून को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे।
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