अवैध खनन की शिकायत रामपुर में अधिकारियों से की गई, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो इस संबंध में एनजीटी कोर्ट में मुस्तफा हुसैन ने एक याचिका दायर की थी।
ग्लोबलटुडे, 02 अक्तूबर -2019
सऊद खान की रिपोर्ट
उत्तराखंड के पहाड़ों से निकलकर रामनगर होते हुए कोसी नदी जब उत्तर प्रदेश के रामपुर क्षेत्र में दाखिल होती है तो अपने साथ बेशुमार बालू, रेत और बजरी का खजाना लेकर आती है।
कुदरत के इस बेशुमार कीमती खजाने की लूट का धंधा अधिकारियों, नेताओं, सफेदपोशो और अवैध खनन करने वाले माफियाओं पर धन की बरसात करती है। शायद यही वजह है कि यहां होने वाला अवैध खनन रुकने का नाम नहीं लेता।
कोसी नदी के किनारे हो रहे ऐसे ही अवैध खनन की शिकायतों की सुनवाई ना तो अधिकारी ही करते हैं और ना ही शासन स्तर पर कोई सुनवाई हो पाती है।
सब जगह अवैध खनन की शिकायतें करके निराश हो चुके एक सामाजिक कार्यकर्ता ने ही राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल(National Green Tribunal) में गुहार लगाई। एनजीटी(National Green Tribunal) ने वैज्ञानिकों को जांच के लिए भेजा और पर्यावरण को होने वाले नुकसान का आकलन करते हुए अब 9 करोड़ रूपये जुर्माना लगाने का आदेश पारित किया है।
बात सन 2017 की है जब कोसी नदी के किनारे स्वार(Suar) तहसील में खुलेआम खनन किया जा रहा था। पट्टे की शर्तों के विपरीत अधिकारियों ने भी भारी यंत्रों जैसे जेसीबी मशीन और पोकलेन से खनन करने की अनुमति दे रखी थी जो कि पूरी तरह अवैध थी।
यहां हो रहे अवैध खनन की शिकायत अधिकारियों से की गई लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो इस संबंध में एनजीटी कोर्ट में मुस्तफा हुसैन ने एक याचिका दायर की।
जनपद में भी अवैध खनन करने के मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण(NGT) की मुख्य बेंच नई दिल्ली ने रामपुर में जिला प्रशासन की मिलीभगत से वर्ष 2017 में हुए अवैध खनन के मामले में पट्टे धारकों पर 9 करोड़ का जुरमाना डाला है।
एनजीटी(National Green Tribunal) न्यायालय द्वारा आदेशित कर पर्यावरण मंत्रालय के वैज्ञानिक डॉक्टर सत्या व दिनेश चंद्र झकवाल के नेतृत्व में जांच दल को स्वार के पट्टी कला में अवैध खनन की जांच करने के लिए भेजा। जांच रिपोर्ट में पाया गया की क्षेत्र में भारी मात्रा में भारी मशीनों के द्वारा अवैध खनन हुआ।
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भारतीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 16 मार्च 2018 को अपनी रिपोर्ट एनजीटी(NGT) न्यायालय में प्रस्तुत की गई। जिसमें पाया गया कि क्षेत्र में अवैध खनन हुआ। प्रशासन द्वारा जिन स्थानों को खनन की मार से भर डाला है व पट्टा दिया गया, उस निर्धारित क्षेत्र पर कोई बाउंड्री निशान नहीं था। जांच के समय हैवी मशीनें भी पाई गई। नदियों में बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई दे रहे थे, जिससे लगा कि हैवी मशीनों का प्रयोग हुआ है। नदी में डंपरों के रास्ते बने हुए थे। नदी क्षेत्र में ही एक चाय की दुकान थी, जिससे पूछा गया तो उसने भी बताया कि यहां पर डंपरों की काउंटिंग होती है। नदी क्षेत्र के पास में दो स्टोन क्रेशर भी पाए गए।
27 सितंबर को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के जज रघुवेंद्र सिंह राठौर व डॉक्टर सत्यभान सिंह गर्बयाल ने निर्णय सुनाया। जिसमें आदेशित किया कि स्वार क्षेत्र के पट्टी में भारी मात्रा में अवैध खनन हुआ है। इसलिए गाटा संख्या 577 का 1,10,52,832 रुपया व गाटा संख्या 1126-1127 का 7,96,66,125 रूपया। कुल 9,16,61,677 रुपया पर्यावरण क्षतिपूर्ति का पट्टे धारक नीरज चतुर्वेदी से 15 दिन में जमा करे।
याचिकाकर्ता मुस्तफा हुसैन ने एनजीटी द्वारा दिए गए निर्णय पर कहा कि अवैध खनन के खिलाफ मेरा जो संघर्ष था वह कामयाब हुआ है। लेकिन मुझे अफसोस है कि मेरे द्वारा प्रशासन से शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई थी, जबकि अवैध खनन से तीन लोगों की मृत्यु हो गई थी। माफियाओं द्वारा अधिकारियों से मिलकर मुझे जान से मरवाने का षडयंत्र रचा गया, मेरा बहुत मानसिक उत्पीड़न हुआ, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।
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