अपने गाँव में विकास कार्य करवाने के लिए सांसद और विधायक के लिए चुनौती बने पत्रकार मुन्ने भारती, अस्पताल, स्कूल भवन के साथ कराये करोड़ों का काम

Date:

विकास कार्य करवाने के लिए कोई सांसद या विधायक होना ज़रूरी नहीं, सिर्फ जज़्बे की ज़रूरत है। यह साबित कर दिया है पत्रकार मुन्ने भारती ने। अपने इसी समाज सेवा के जज़्बे के चलते उन्होंने दिल्ली में रहते हुए अपने गांव में अस्पताल, स्कूल और सड़क बनवा डाली। अपने में मुन्ने भारती ने करोडो रुपया का विकास कार्य करवाया।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बैठकर बिहार में स्थित अपने पैतृक गांव करनेजी को विकास की राह के ज़रिये दिल्ली जैसा दर्जा देने की कोशिश करने वाले एक पत्रकार ने अपने गांव में कई सांसदों के सांसद निधि के करोडो रूपये के सहयोग से अस्पताल भवन , स्कूल भवन , कब्रिस्तान चारदीवारी , सड़क सहित अनेकों विकास योजनाओं को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। लेकिन स्थानीय नेताओं के अपने रौब और दबदबे पर आंच आने की वजह और अधिकारीयों की मिलीभगत से करोडो रूपयों की सांसद निधि वापस भी कर दी गयी। वहीं दूसरी ओर जहाँ उनकी कोशिश के ज़रिये केंद्रीय विद्यालय में कई परिवार के बच्चों को एडमिशन दिलाने के साथ साथ गांव में सैकड़ों बेवाओं को गैर सरकारी माध्यम से पेंशन, बीमार लोगो को इलाज में मदद, बाढ़ आने पर सैकड़ों परिवार को एक गैर सरकारी संस्था के सहयोग से 9 लाख रूपये के राशन किट वितरण के साथ अन्य कार्य को अंजाम दिया गया है।

मुन्ने भारती के इस तरह समाज के लिए काम करने के पीछे क्या वजह है? खुद बता रहे हैं एनडीटीवी में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार एवं ओखला प्रेस क्लब चेयरमैन एम् अतहर उद्दीन मुन्ने भारती-

सवाल : सबसे पहले तो आप हमें बताएं कि एम् अतहर उद्दीन के साथ मुन्ने भारती कैसे जुड़ गया?
जवाब : मेरे पिता कलाम उद्दीन साहब मूलरूप से बिहार के वैशाली ज़िले के करनेजी गांव के रहने वाले हैं और माता समस्तीपुर जनपद की हैं। पिता उत्तर प्रदेश में सेल्स टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिशनर के पद पर रिटायर्ड हुए हैं। मेरा जन्म 1971 में उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था और शिक्षा उत्तर प्रदेश के बहराइच से हुई। शिक्षा के बाद पत्रकारिता की तरफ रुझान हुआ। 1989 में नई दिल्ली के सोवियत दूतावास में रेडियो मास्को ( ऍफ़ सी) कॉन्फ्रेंस डिप्लोमा में मोहम्मद अतहरउद्दीन के नाम के साथ उप नाम भारती जुड़ा। दुनिया भर से रेडियो मॉस्को द्वारा आयोजित रेडियो मास्को ( ऍफ़ सी ) कॉन्फ्रेंस में जुटे पत्रकारों ने अपनी अपनी भाषा में अपनी बात रखी। हिंदी और उर्दू में अपनी बात रखने पर मुझे भारतीय का ख़िताब दिया गया जो भारती के नाम से अब तक जाना जाता है।

सवाल : आप अपने गांव में विकास को लेकर कब सक्रिय हुए और कामयाब कहाँ तक हुए ?

जवाब : मुझे याद है कि तीस-पैतीस साल पहले बिहार में अपने पैत्रिक गांव से शुरुआत हुई। उस समय जब गांव जाया करता था तब क़स्बे से गांव को जोड़ने वाली सड़क बहुत ख़राब हुआ करती थी। साथ ही गांव में स्थित क़ब्रिस्तान की चार दीवारी न होने की वजह से गांव के जानवर घुस जाया करते थे, जिससे मै बहुत आहत था। मैंने पोस्ट कार्ड से मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री को को पत्र लिखना शुरू किया। कम उम्र में कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी। मैंने स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया तो पता चला सड़क बन चुकी है। मैं यह सुनकर हैरान था कि ऐसा भी होता है कि कागज़ में सड़क बन जाती है। इसके बाद कभी मैंने हिम्मत नहीं हारी। सड़क बनाने और कब्रिस्तान की चारदीवारी को लेकर पत्राचार ने एक लम्बे समय के बाद अपना रंग दिखाया…रोड भी बनी और स्थानीय सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह ने क़ब्रिस्तान की चार दीवारी अपने सांसद निधि से बनवाई। इससे हिम्मत बढ़ी और अपने गाँव को दिल्ली जैसा बनाने के जूनून ने यहाँ तक पहुँचा दिया। आज मेरी कोशिश से गाँव में ,मनोनीत राज्य सभा सांसद एच के दुआ के सांसद निधि के सहयोग से उप स्वास्थ्य केंद्र भवन निर्माण , राज्य सभा सांसद शिवानंद तिवारी के सांसदनिधि के सहयोग से करनेजी उर्दू प्राथमिक विद्यालय भवन , राज्य सभा सांसद साबिर अली के अलावा अन्य सांसदों के सहयोग से करोडो रुपये का काम हुआ और मेरी कोशिश से ही करनेजी उर्दू प्राथमिक विद्यालय को अल्पसंख्यक स्कूल का दर्जा देते हुए हाई स्कूल कर दिया गया है। जो मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है क्योकि मेरे बेटे तो इस स्कूल में नहीं पढ़ेंगे लेकिन मेरे गांव के परिवार के अपने बच्चे ज़रूर शिक्षा में पढ़कर आगे बढ़ेंगे , गांव का नाम रौशन करेंगे।

सवाल : कभी आप की कोशिश में राजनैतिक बाधाएं आई किया?
जवाब : मुझे एक बात का अफ़सोस है कि मेरी इस कोशिश के दौरान स्थानीय राजनैतिक दल के नेताओं ने कई बार बाधा पहुंचने की कोशिश की जिसमें वे कई बार कामयाब भी हुए तो कई बात मेरी सक्रियता से नाकाम भी हुए। हां यह ज़रूर था कि गांव के विकास में नुकसान ज़यादा हुआ , जिसमे पेट्रोलियम मंत्री , भारत सरकार धर्मेंद्र प्रधान ने करनेजी उर्दू प्राथमिक विद्यालय के सामने गढ्ढे को भरकर उसके ऊपर स्कूल के छात्रों के लिए पार्क निर्माण के लिए लाखो रूपया का अनुशंसा पत्र जिलाधिकारी वैशाली को भेजा , लेकिन प्रशासनिक अधिकारीयों ने उस उनके सांसद निधि को ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि नियम के मुताबिक सांसद निधि से ये काम नहीं कराया जा सकता है ,क्योकि गड्ढे को भरने का प्रावधान सांसद निधि में नहीं है।

विकास कार्य करवाने के लिए सांसद या विधायक होना ज़रूरी नहीं- पत्रकार मुन्ने भारती
विकास कार्य करवाने के लिए सांसद या विधायक होना ज़रूरी नहीं- पत्रकार मुन्ने भारती

वहीँ राज्य सभा सांसद सी पी ठाकुर ने गांव में स्ट्रीट लाइट और एम्बुलेंस के लिए लगभग 20 लाख रूपया तक के कार्य के लिए जिलाधिकारी वैशाली को पत्र लिखा , सी पी ठाकुर के सांसद निधि द्वारा गांव में एम्बुलेंस हेतु पत्र को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने काफी समय तक लटकाये रखा। उसके बाद उस मामले में विभाग ने इतिश्री कर दिया। वहीं सी पी ठाकुर के सांसद निधि से गांव में सौर ऊर्जा रहित स्ट्रीट लाइट हेतु अनुशंसा पर बिजली विभाग से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि बिहार में फ़िलहाल सौर ऊर्जा रहित स्ट्रीट लाइट के लिए बिहार में सही व्यवस्था नहीं होने की वजह से गांव में व्यवस्था नहीं की जा सकती। कुल मिलाकर ये समझ पाना मुश्किल था कि किस नेता का क्या दबाव था कि सांसद निधि को अमली जामा पहनाने में जिला प्रशासन नाकाम कर रहा था , जबकि उस सांसद निधि से गांव का विकास ही होता। यह ज़रूर था कि ये सारे विकास कार्य स्थानीय सांसद या विधायक के सहयोग से नहीं नहीं हो रहे थे, ये सब कोशिश मैं दिल्ली में बैठकर कर रहा था और बिहार से राज्य सभा में सांसद अपनी संसद निधि से करवा रहे थे। स्थानीय नेताओं को जनता को समझा पाना मुश्किल हो रहा था कि आखिर उनके बिना सहयोग से करनेजी गांव में विकास कार्य कैसे हो रहा है और अगर विकास कार्य करवा रहे हैं तो सिर्फ उसी गांव में क्यों करवा रहे थे और कौन करवा रहा है ये विकास कार्य ! अगर उस सांसद निधि का इस्तेमाल हो जाता तो आज गांव में हर कोना स्ट्रीट लाइट से जगमगा रहा होता और गांव में एक एम्बुलेंस भी मौजूद होती। लेकिन ये सब अधिकारीयों की नाकामी से नाकाम हो गया…लेकिन फिर भी मैंने अभी भी हिम्मत नहीं हारी है। इस काम के लिए लगातार कोशिश जारी है और जब तक कामयाब नहीं हो जाता चैन से नहीं बैठूंगा और इस बार जो राजनैतिक लोग या अधिकारी मेरे गांव के विकास कार्य में रुकावट पैदा करेंगे उनसे कानूनी रूप से निपटने के लिए भी मैं तैयार हूँ।

सवाल : सुना है कि आप ने अपने गांव में गैर सरकारी माध्यम से बुज़ुर्गो को पेंशन और बीमारी में सहायता , और बाढ़ में लाखों रूपया का राशन किट पंहुचाया है
जवाब : मेरी ज़िन्दगी की लाइन है किसी की मदद करना अपनी ज़िन्दगी को सवारने जैसा है। उसी लाइन पर चलते हुए ये शुरू से समाजसेवा के प्रति ये कार्य कर रहा हूँ। जब जब गांव जाने का मौक़ा लगता है तो वहां के रहने वालों का दर्द जानने का मौक़ा भी मिलता है। मेरी कोशिश रहती है कि उन सब की मदद करूँ। कोशिश पूरी रहती है कहीं कामयाबी मिल जाती है कहीं नाकामी ! हमदर्द और इंसानियत की फ़िक्र रखने वाले फौजान अल्वी साहब के सहयोग से अपने गांव में में सैकड़ों बेवाओं को उनकी तरफ से पेंशन जाती है। वक़्ते ज़रुरत पर बीमारी में उनकी आर्थिक मदद भी की जाती है। इसके अलावा बहुत सारे काम में उनका योगदान है जिसका शुक्रिया पूरा गांव अदा करता है। वहीँ इसी साल जब बिहार में बाढ़ आई तो मेरा गांव भी जलमग्न हो गया। उस समय गैर सरकारी संस्था गूँज के संस्थापक अंशु गुप्ता जी के सहयोग से लगभग 9 लाख रूपया का राशन किट लोगो तक पहुंचने का काम किया गया। करनेजी फाउंडेशन ने भी बाढ़ में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। करनेजी फाउंडेशन के सहयोग से लाखों रूपया का सर्दियों में कम्बल भी ज़रुरत मंद लोगो तक बांटा जा चुका था। करनेजी फाउंडेशन के जफीरुद्दीन के सहयोग से कई बच्चो को केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन भी दिलाया जा चुका है।

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related

ए.एम.यू का अल्पसंख्यक दर्जा, न्यायपालिका और कार्यपालिका

भारत के नागरिक माननीय सुप्रीम कोर्ट के आभारी होंगे...

AMU’s Minority Character, the Judiciary and the Executive

The citizens of India would be grateful to the...

IGP Kashmir visits injured civilians of Srinagar grenade aattack

Assures Strict action would be taken against the perpetrators...

अमेरिका ने रूस को सैन्य उपकरण सप्लाई करने वाली 19 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया

विदेशी मीडिया के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया...
Open chat
आप भी हमें अपने आर्टिकल या ख़बरें भेज सकते हैं। अगर आप globaltoday.in पर विज्ञापन देना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें.