अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय के 9वीं क्लास के छात्र मोहम्मद शादाब ने विश्विद्यालय का इस तरह नाम रोशन किया

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अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय के छात्र मोहम्मद शादाब ने विश्विद्यालय का नाम रौशन करते हुए कनेडियन लुगर युथ एक्सचेंज एंड स्टडी ( यस) प्रोग्राम स्कालरशिप हासिल करने में कामयाबी हासिल की है

अलीगढ/तरन्नुम अतहर: अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय के सय्यदना ताहिर सैफुद्दीन हाई स्कूल के छात्र मोहम्मद शादाब ने विश्विद्यालय का नाम रौशन करते हुए कनेडियन लुगर युथ एक्सचेंज एंड स्टडी ( यस) प्रोग्राम स्कालरशिप हासिल करने में कामयाबी हासिल की है , जो 28 हज़ार डालर(20 लाख रूपया) है।
मोहम्मद शादाब को जुलाई 2019 में अमेरिका के लिए जाना है। लेकिन स्कालरशिप में कामयाबी हासिल कर चुके शादाब को अमेरिका जाने से पहले देश लॉकर अपनी तालीम को कैसे आगे बढ़ाया जा सकेगा उसको लेकर फिकरमंद है।

शादाब अपने परवार के साथ
शादाब अपने परवार के साथ

शादाब को 9 महीने में अमेरिका में रहकर पढ़ाई करने का मौक़ा मिलेगा जिससे पूरे स्कूल में ख़ुशी की लहार दौड़ पड़ी है।

शादाब के पिता मोटर मैकेनिक का काम करते है। शादाब ने 9वी कक्षा पास की है आगे 10वी की कक्षा में प्रवेश के साथ वो पूरी पढ़ाई स्कालरशिप के तहत अमेरिका में रहकर कर सकेगा। शादाब कहते हैं कि मैं अपने स्कूल और खानदान का जिन्होंने मुझे अमेरिका जाकर पढ़ाई करने के लये सहयोग दिया का शुक्रगुज़ार हूँ।
सय्यदना ताहिर सैफुद्दीन हाई स्कूल के प्रिंसिपल नफीस कहते हैं मुझे ख़ुशी है कि शादाब के लिए बड़ी कामयाबी है। उनका कहना है मुझे गर्व है कि हमारे स्कूल से वो बच्चा जो उस परिवार से आता है जिसके पास कोचिंग या गाइड करने की सुविधा तक नहीं थी , फिर भी उसने बड़ी कामयाबी हासिल करके ये दिखा दिया की ऊंचे मुक़ाम हिम्मत और जज़्बे के बल पर हासिल किया जा सकता है। उसकी कामयाबी में माँ-बाप के सहयोग के साथ स्कूल ने भी पूरा सहयोग किया।
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शादाब ने ग्लोबलटुडे से बात करते हुए कहा कि इस स्कालरशिप को हासिल करने के लिए 5 स्टेज पार करना ज़रूरी होता है। शदाब आगे कहते है कि मैं अपने देश और एएमयू के प्रतिनिधि के तौर पर अमेरिका में स्कालरशिप के तहत पढ़ाई करने जा रहा हूँ, मेरी ख्वाहिश है कि मै आई ए एस बनकर देश की सेवा करूँ।
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शादाब फिकरमंद है कि वो अमेरिका से अपनी स्कालरशिप के ज़रिये पढ़ाई पूरी करके जब वापस अपने घर आएगा तो एएमयू में आगे की पढ़ाई को कैसे पूरी करेगा, क्योकि उनके पिता जी की मोटर मैकेनिक की दुकान से बड़ी मुश्किल से घर का खर्च ही पूरा हो पता है तो फिर आखिर इंटरमीडिएट या उससे आगे की पढ़ाई का खर्च कैसे हो पायेगा।
इस मसले को लेकर वो अभी से फिकरमंद है , उनकी फ़िक्र को लेकर उनके परिवार के मुखिया उसको लगातार दिलासा दिला रहे है कि शादाब की आगे की पढ़ाई मुकम्मल कराने की पूरी कोशिश की जाएगी।

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