मुरादाबाद मंडल आयुक्त न्यायालय ने एक मामले में निर्णय देते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के बीच आ रही चकरोड और सार्वजनिक भूमि की जमीनों को दूसरी जमीनों से बदले जाने का पूर्व में एसडीएम द्वारा किया गया फैसला निरस्त करते हुए तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया है ।
ग्लोबलटुडे
सऊद खान, रामपुर
भले ही समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव लखनऊ में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान के खिलाफ की जा रही कार्रवाईयो पर चिंताजताते हुए इसे अन्याय ठहरा रहे हैं लेकिन आजम खान के खिलाफ कार्रवाइयों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अब मुरादाबाद मंडल आयुक्त न्यायालय ने एक मामले में निर्णय देते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के बीच आ रही चकरोड और सार्वजनिक भूमि की जमीनों को दूसरी जमीनों से बदले जाने का पूर्व में एसडीएम द्वारा किया गया फैसला निरस्त करते हुए तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया है।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान का ड्रीम प्रोजेक्ट मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश सरकार के निशाने पर है। इस बार कार्रवाई हुई है कमिश्नर मुरादाबाद के न्यायालय से जहां एक वाद में निर्णय देते हुए कमिश्नर मुरादाबाद ने जौहर यूनिवर्सिटी के बीच स्थित चकरोड और सार्वजनिक भूमि को दूसरी भूमि से बदलने के तत्कालीन एसडीएम रमेश चंद्र शुक्ला के आदेशों को गलत ठहराते हुए निरस्त करने के आदेश दिए हैं। कमिश्नर मुरादाबाद ने अपने फैसले में सार्वजनिक भूमि को दूसरी भूमियों से बदले जाने के आदेश में अनियमितता पाए जाने को लेकर यह आदेश दिए।
आपको बता दें कि यह मामला 2012 का है जब किसानों ने जौहर यूनिवर्सिटी पर चकरोड़ों पर कब्जा करने और सार्वजनिक उपयोग की भूमि को जौहर यूनिवर्सिटी के अंदर शामिल कर लिए जाने की शिकायत की थी।
जब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उस समय तत्कालीन एसडीएम टांडा रमेश चंद्र शुक्ला ने आदेश पारित करते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के बीच आने वाले चकरोड़ और सार्वजनिक भूमि को अन्य भूमि से बदले जाने को स्वीकृत करते हुए आदेश दिए थे। इसके बाद वह चकरोड जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल कर ली गई थी। लेकिन अब एसडीएम के तत्कालीन आदेशों को मंडलायुक्त मुरादाबाद में खारिज करते हुए डीएम रामपुर को तत्कालीन अधिकारियों विशेषकर गलत रिपोर्ट देने वाले तत्कालीन लेखपाल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
मंडल आयुक्त मुरादाबाद के इन आदेशों के बाद जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल कर लिए गए चकरोड एक बार फिर सार्वजनिक उपयोग की भूमि माने जाएंगे और सरकार की संपत्ति होंगे। इस आदेश के बाद से इन चकोड़ों पर आम आदमी को गुजरने का अधिकार होगा। ऐसे में जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी से बाधित किए गए यह चकरोड अगर खोले जाते हैं तो एक बार फिर जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी पर संकट खड़ा हो सकता है।
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