उत्तर प्रदेश/रामपुर: वर्ष 2010 में नक्सली हमले में प्रयोग किए गए कारतूस के चर्चित प्रकरण में लंबे इंतेज़ार के बाद पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत रामपुर की स्थानीय अदालत ने 24 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। छत्तीसगढ़ सहित कई इलाकों में हुए नक्सलियों के कारतूस सप्लाई से सीआरपीएफ, पीएसी और पुलिस जवानों के तार जुड़े थे। इसी को लेकर अदालत ने 24 अभियुक्त को दोषी करार दिया है।
रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के बाद वर्ष 2010 का नक्सलियों को कारतूस सप्लाई करने का प्रकरण काफी चर्चित रहा है। इस मामले में पुलिस के द्वारा सिविल लाइन क्षेत्र से सीआरपीएफ के जवान को भारी मात्रा में कारतूस के साथ हिरासत में लिया गया था और फिर पूरे प्रकरण का परत दर परत खुलासा हुआ तो कुल 24 लोग इसकी जद में आये थे। कुल अभियुक्त में से सिर्फ तीन बाहरी व्यक्ति थे जबकि इस कारतूस घोटाला कांड में 21 सीआरपीएफ, पीएसी एवं पुलिस के जवान थे।
पुलिस के द्वारा इस मामले में धारा 409, 413, 120 बी 7/ 25 आर्म एक्ट के तहत 31 जून 2013 को चार्जशीट दायर की गई थी। इस कारतूस कांड के तार कहीं ना कहीं छत्तीसगढ़ आदि में हुए नक्सली हमले से जुड़े पाए गए थे।
फिलहाल पूरी सुनवाई करते हुए रामपुर के स्पेशल जज विजय कुमार की अदालत ने सभी अभियुक्त को दोषी करार दिया है। हालांकि यह बात अलग है कि इस पूरे प्रकरण में शामिल एक अभियुक्त की मौत भी हो चुकी है।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अमित कुमार सक्सेना के अनुसार सीआरपीएफ के आयुक्त भंडार से कारतूस नक्सली गतिविधियों में उपयोग किए जाते थे। इसी को लेकर पुलिस की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया था और पूरे प्रकरण में 24 अभिकयों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई थी, जिसमें स्पेशल जज विजय कुमार की अदालत के द्वारा सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए हिरासत में ले लिया गया है।
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