इस तथ्य से कम लोग परिचित है कि अपने भारत में हजरत मोहम्मद (स.अ.व) के जीवन काल में बनी एक मस्जिद भी है। इसे देश की पहली जुमा मस्जिद कहा जाता है। हज़रत मोहम्मद(स.अ.व) के देहावसान के तीन साल पहले केरल के कोडुनगल्लूर में बनी इस ऐतिहासिक मस्जिद के गेट पर लिखा है – चेरमान जुमा मस्जिद, स्थापित 629। वक़्त के साथ इस मस्जिद के बाहरी ढांचे का कई बार पुनर्निर्माण किया गया, मगर मस्जिद का भीतरी हिस्सा यथावत रखा गया है।
केरल के समुद्री इलाके में एक किले के अवशेष के पास मौजूद इस मस्जिद के बारे में सदियों से जो किस्सा कहा जाता रहा है, वह यह है कि सातवीं सदी में यहां का राजा चेरमान पेरुमाल जब अपने महल की छत पर टहल रहा था तो उसने आसमान पर चांद को दो टुकड़ों में बंटा देखा।
कोई भी ज्योतिषी घटना का संतोषजनक समाधान प्रस्तुत नहीं कर सका। कुछ अरसे बाद दरबार में अरब व्यापारियों का एक प्रतिनिधि मंडल आया। ज्ञातव्य है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से सदियों पहले से भारत के समुद्र के रास्ते अरब देशों से व्यापारिक संबंध थे। मुख्य व्यापार मसालों का था। चांद के टुकड़ों की बात सुनकर अरबों ने उन्हें बताया कि यह पैगम्बर मुहम्मद(स.अ.व) का चमत्कार था जो अरब में भी देखा गया। राजा ने मन में पैगम्बर से मिलने की उत्कंठा जगी तो अपने राज को अपने सामंतों में विभाजित कर वह मक्का के लिए रवाना हो गया। मक्का में उसने पैगम्बर से मुलाकात के बाद उनसे प्रभावित होकर इस्लाम धर्म अपना लिया।