भारत की पहली मस्जिद का रहस्य ! -ध्रुव गुप्त

Date:

भारत की पहली मस्जिद का रहस्य !

FB IMG 1536675874102
ध्रुव गुप्त-लेखक

इस तथ्य से कम लोग परिचित है कि अपने भारत में हजरत मोहम्मद (स.अ.व) के जीवन काल में बनी एक मस्जिद भी है। इसे देश की पहली जुमा मस्जिद कहा जाता है। हज़रत मोहम्मद(स.अ.व) के देहावसान के तीन साल पहले केरल के कोडुनगल्लूर में बनी इस ऐतिहासिक मस्जिद के गेट पर लिखा है – चेरमान जुमा मस्जिद, स्थापित 629। वक़्त के साथ इस मस्जिद के बाहरी ढांचे का कई बार पुनर्निर्माण किया गया, मगर मस्जिद का भीतरी हिस्सा यथावत रखा गया है।
केरल के समुद्री इलाके में एक किले के अवशेष के पास मौजूद इस मस्जिद के बारे में सदियों से जो किस्सा कहा जाता रहा है, वह यह है कि सातवीं सदी में यहां का राजा चेरमान पेरुमाल जब अपने महल की छत पर टहल रहा था तो उसने आसमान पर चांद को दो टुकड़ों में बंटा देखा।

चेरामन जुमा मस्जिद, केरल
चेरामन जुमा मस्जिद, केरल

कोई भी ज्योतिषी घटना का संतोषजनक समाधान प्रस्तुत नहीं कर सका। कुछ अरसे बाद दरबार में अरब व्यापारियों का एक प्रतिनिधि मंडल आया। ज्ञातव्य है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से सदियों पहले से भारत के समुद्र के रास्ते अरब देशों से व्यापारिक संबंध थे। मुख्य व्यापार मसालों का था। चांद के टुकड़ों की बात सुनकर अरबों ने उन्हें बताया कि यह पैगम्बर मुहम्मद(स.अ.व) का चमत्कार था जो अरब में भी देखा गया। राजा ने मन में पैगम्बर से मिलने की उत्कंठा जगी तो अपने राज को अपने सामंतों में विभाजित कर वह मक्का के लिए रवाना हो गया। मक्का में उसने पैगम्बर से मुलाकात के बाद उनसे प्रभावित होकर इस्लाम धर्म अपना लिया

https://www.youtube.com/watch?v=vuiUunuaRT4
ताजुद्दीन नाम से वह मक्का में ही बस गया। एक बार जब वह गंभीर रूप से बीमार पड़ा तो उसने पैगम्बर के एक अनुयायी मलिक बिन दीनार को एक संदेश के साथ कोडुनगल्लूर भेजा। कोडुनगल्लूर में दीनार को सम्मान के साथ बसाया गया जहां उसने सन 629 में इस मस्जिद की स्थापना की | मस्जिद परिसर में दो पुरानी कब्रें हैं जिन्हें मलिक बिन दीनार और उसकी पत्नी ख़ुमरिया बी का माना जाता है| इसका ज़िक्र शेख जैनुद्दीन द्वारा सोलहवीं सदी में लिखी किताब ‘तुहाफत-उल-मुजाहिदीन’में मिलता है | इस पूरी कथा को कुछ लोग कल्पना की उड़ान मानते हैं। बावजूद इसके इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि हज़रत मोहम्मद(स.अ.व) के काल में व्यापार के सिलसिले में कोडुनगल्लूर में अस्थायी तौर पर रह रहे अरब व्यापारियों और उनके कारिंदों ने इबादत के लिए वहां एक छोटा-सा घेरा बनाया हो जिसे कालांतर में मस्जिद का रूप दे दिया गया।
सच्चाई जो भी हो, चेरमान जुमा मस्जिद गहन ऐतिहासिक और पुरातात्विक अनुसंधान की मांग करता है। अगर यह हो सका तो भारत में इस्लाम के इतिहास के एक रहस्यमय कालखंड पर से परदा उठ सकेगा।

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related

ए.एम.यू का अल्पसंख्यक दर्जा, न्यायपालिका और कार्यपालिका

भारत के नागरिक माननीय सुप्रीम कोर्ट के आभारी होंगे...

AMU’s Minority Character, the Judiciary and the Executive

The citizens of India would be grateful to the...

IGP Kashmir visits injured civilians of Srinagar grenade aattack

Assures Strict action would be taken against the perpetrators...

अमेरिका ने रूस को सैन्य उपकरण सप्लाई करने वाली 19 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया

विदेशी मीडिया के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया...
Open chat
आप भी हमें अपने आर्टिकल या ख़बरें भेज सकते हैं। अगर आप globaltoday.in पर विज्ञापन देना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें.