आमतौर पर पुलिस स्टेशन जुर्म को रोकने और मुजरिमों को पकड़ने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन जामिया नगर का ये थाना सिर्फ मुजरिमों को ही नहीं पकड़ता बल्कि नौजवान पीढ़ी के भविष्य को भी संवारता है।
जामिया नगर के इस थाने में एक पुलिस-पब्लिक लाइब्रेरी है जिसमें छात्र-छात्राओं के लिए कोचिंग का इंतज़ाम है।
ग्लोबलटुडे/नई दिल्ली[उबैद इक़बाल खान]: पुलिस-पब्लिक लाइब्रेरी शिखर एनजीओ और दिल्ली पुलिस दोनों ने मिलकर 2012 में दिल्ली के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के जामिया नगर थाने के परिसर शुरू किया था। आज इस लाइब्रेरी में तक़रीबन 2000 से ज़्यादा किताबें हैं, जिनमें साहित्य, प्रतिस्पर्धी, डिक्शनरी,एन्सिक्लोपीडिया, फिक्शन,नॉन फिक्शन और बच्चों के साहित्य से जुडी किताबें शामिल हैं।
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पुलिस पब्लिक लाइब्रेरी की देख-रेख मशहूर एनजीओ शिखर के स्टाफ द्वारा की जाती है। लाइब्रेरी के इस्तेमाल के लिए कोई सदस्यता शुल्क नहीं है। लेकिन जो छात्र-छात्राएं किताब घर ले जाना चाहते हैं उनको रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
शिखर एनजीओ के संस्थापक नदीम खान ने ग्लोबलटुडे के संवादाता को बताया कि इस इलाक़े में कोई भी इस तरह की लाइब्रेरी नहीं थी और इस इलाक़े के छात्र किसी भी तरह की पढ़ाई कि सुविधा से महरूम थे इसी को देखते हुए शिखर एनजीओ ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर इस लाइब्रेरी की शुरुवात की। नदीम के अनुसार दिल्ली पुलिस के अजय चौधरी और अमूल्या पटनायक साहब ने इस काम को शुरू करने में उनकी बहुत मदद की।
पुलिस-पब्लिक लाइब्रेरी सिर्फ छात्रों को ही कोचिंग नहीं कराती बल्कि ये पुलिस और आम जनता के बीच के फासले को भी कम करने में मदद कर रही है।
यहाँ पढ़ रहे छात्रों ने बताया कि थाने के SHO भी क्लास लेते हैं और पढ़ाई में बच्चों की मदद करते हैं।
हमने यहां के SHO से बात की तो उन्होंने बताय कि जो बच्चा पढ़ेगा वो आगे बढ़ेगा चाहे वो अमीर का बच्चा हो या फिर गरीब का। उन्होंने शिखर एनजीओ की तारीफ करते हुए कहा कि ये एक बहतरीन शुरुवात हुई है जिससे इलाक़े के बच्चों को फायदा हो रहा है।
शिखर के संस्थापक नदीम का कहना है की दुनिया के किसी भी थाने में इस तरह की डिजिटल लाइब्रेरी नहीं है। पूरी लाइब्रेरी में CCTV कैमरे लगे हुए हैं और छात्रों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है।