उत्तर प्रदेश में एक वृद्धाश्रम में इलाज के आभाव में बुज़ुर्ग की मौत, 15 घंटे पड़ा रहा शव

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वृद्ध आश्रम में वृद्ध की मौत के बाद 15 घण्टे तक पड़ा रहा शव,नही पहुँचा कोई अधिकारी, आश्रम का वृद्ध बोला।साहब कभी चटनी से तो कभी चिमन से मिलती है रोटी

Globaltoday.in|राहेला अब्बास| सम्भल

जनपद सम्भल(Sambhal) के हयातनगर थाना इलाके के बबैना गांव में स्थित वृद्ध आश्रम में इलाज के अभाव में एक वृद्ध की मौत हो गई। हैरान करने वाली बात ये है कि मौत के बाद 15 घंटे तक वृद्ध का शव वृद्ध आश्रम में ही पड़ा रहा लेकिन इस दौरान कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। लगभग 15 घंटे पड़े रहने के वृद्ध के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

खाने में मिलती है चटनी-रोटी

वृद्ध आश्रम में कहने को तो करोड़ों रुपए खर्च किए जाने की बात होती है लेकिन इसकी ज़मीनी हकीकत उस वक्त सामने आई जब वृद्ध आश्रम में मौजूद एक बुज़ुर्ग से वहां की व्यवस्थाओं के बारे में पूछा तो दबी जुबान से उन्होंने चटनी से रोटी मिलने की बात कही।

उत्तर प्रदेश सरकार वृद्ध आश्रम में रहने वाले वृद्धों के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर रही है जिससे कि वृद्ध आश्रम में रहकर जिंदगी गुजारने वाले वृद्धों को बुढ़ापे की दहलीज पर किसी के आगे हाथ फैलाने या भूखे पेट सोने की जरूरत ना पड़े लेकिन वृद्ध आश्रम में करोड़ों का बजट खर्च होने के बाद भी उसकी हकीकत उस वक्त सामने आयी जब संभल के वृद्ध आश्रम में इलाज के अभाव में एक वृद्ध की मौत हो गई और उसका शव भी लगभग 15 घंटे आश्रम में ही पड़ा रहा।

आश्रम की आगे की कहानी खुद आश्रम के ही वृद्ध की जुबानी सामने आई जिससे आगे की वह तस्वीर भी साफ हो गयी जिसमे कि वृद्ध आश्रम में बेहतर भोजन और अन्य सुविधाओं के दावे किए जाते है।

दरअसल हयातनगर थाना इलाके के वृद्ध आश्रम के जिम्मेदारों और प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाही के कारण बबैना गांव स्थित वृद्ध आश्रम में शनिवार शाम को एक वृद्ध की इलाज के अभाव में मौत हो गई। प्रशासन की लापरवाही की हद यहां तक हुई कि वृद्ध आश्रम में वृद्ध की मौत के बाद आश्रम की प्रभारी ने मामले की जानकारी प्रशासनिक अफसरों को दी लेकिन रविवार सुबह तक भी कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा और इसी तरह करीब 15 घंटे तक वृद्ध का शव वृद्ध आश्रम में ही पडा रहा।

सोमवार दोपहर को करीब 12 बजे एसडीएम राजेश कुमार वृद्ध आश्रम पहुंचे और उसके बाद वृद्ध के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।ऐसे में साफ है कि जब वृद्ध आश्रम में एक वृद्ध की मौत के बाद वृद्ध का शव 15 घंटे तक आश्रम में पड़ा रहा और कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा तो स्थिति स्पष्ट है कि वृद्ध आश्रम को संचालित करने वाला समाज कल्याण विभाग और तहसील के प्रशासनिक अफसर कितने गंभीर हैं कि वृद्ध आश्रम में वृद्ध की मौत के 15 घंटे तक वृद्ध का शव आश्रम में पड़ा रहता है और 15 घण्टे बाद शव के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू होती है।

वृद्ध आश्रम में वृद्ध की मौत के बाद मीडियाकर्मी बबैना गांव स्थित वृद्ध आश्रम पहुंचे और वहां पर मौजूद श्यामलाल नाम के वृद्ध से आश्रम की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और भोजन व्यवस्था के बारे में पूछा तो वृद्ध की जुबानी से मात्र 2 लाइन में ही वृद्ध आश्रम की असलियत की कहानी खुलकर सामने आ गई।

जब वृद्ध से कैमरे के सामने भोजन व्यवस्था के बारे में पूछा गया तो वृद्ध श्यामलाल ने कहा कि साहब कभी यहां पर चटनी से रोटी मिलती है तो कभी चिमन से मिल जाती है। श्यामलाल से जब कैसा खाना मिलने के बारे में पूछा तो वृद्ध कैमरे के सामने हाथ जोड़ने लगा और कहा कि।।।। साहब अगर इससे ज्यादा तुमको कुछ बताएंगे तो अभी तक जो कुछ मिल रहा है यहां पर वह भी खाने के लिए नहीं मिलेगा। वृद्ध आश्रम में इलाज के अभाव में हुई वृद्ध की मौत के मामले में जब एसडीएम संभल राजेश कुमार से मामले की जानकारी करनी चाहिए तो एसडीएम ने खुद के बाहर होने की बात कहकर मामले पर चुप्पी साध ली और कहा कि जब वह लौटेंगे तो इस मामले में बात करेंगे। लेकिन अधिकरियों के इस रवैय्ये को देखकर लगता है कि वृद्ध आश्रम में मौत के बाद 15 घंटे तक वृद्ध के शव पड़े रहने के सवालों मे घिरकर फजीहत होने से बचने के लिए प्रशासनिक अफसर इस मामले पर मीडिया के सामने चुप्पी साधना ही बेहतर समझ रहे हैं और इसलिए वह इस मामले के शांत होने तक मीडिया के सामने आने से बच रहे हैं?