सुप्रीम कोर्ट आज तीन तलाक को दंडनीय अपराध मान लेने वाले कानून के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद और वकील शाहिद अली की याचिका पर सुनवाई करेगा। ये सुनवाई जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी।
ग्लोबलटुडे, 23 अगस्त
न्यूज़ डेस्क
पीटीआई के हवाले से नवभारत टाइम्स ने लिखा है कि याचिका समस्त केरल जमियतुल उलेमा और दिल्ली के वकील शाहिल अली ने बिल के खिलाफ दायर की है।
उनका दावा है कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है और इसे खारिज कर देना चाहिए।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 अगस्त,2019 को एक साथ तीन-तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसके अंतर्गत सिर्फ तीन बार ‘तलाक’ बोल कर फौरन तलाक देना एक दंडनीय अपराध माना जायगा और इसमें तलाक़ देने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल तक की सजा दी जा सकती है।
जमियतुल उलेमा ने अपनी याचिका में कहा है कि ‘कानून को मज़हबी पहचान के आधार पर एक ख़ास वर्ग के लिए दंडात्मक बनाया गया है। अगर इसपर रोक नहीं लगाई गई तो यह समाज में भाईचारा खत्म करेगा और ध्रुवीकरण को बढ़ावा देगा।
उधर हाई कोर्ट में दिल्ली के एक वकील शाहिद अली की याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। इस याचिका में कहा गया है कि यह क़ानून मियां-बीवी के बीच समझौता करने की सभी गुंजाइशों को खत्म कर देगा।
याचिका में दावा किया गया है कि तीन तलाक को अपराध के दायरे में लाने का दुरुपयोग हो सकता है क्योंकि कानून में ऐसा कोई तंत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है जिससे आरोपों की सच्चाई का पता चल सके।
- एक दूसरे के रहन-सहन, रीति-रिवाज, जीवन शैली और भाषा को जानना आवश्यक है: गंगा सहाय मीना
- Understanding Each Other’s Lifestyle, Customs, and Language is Essential: Ganga Sahay Meena
- आम आदमी पार्टी ने स्वार विधानसभा में चलाया सदस्यता अभियान
- UP Bye-Elections 2024: नेता प्रतिपक्ष पहुंचे रामपुर, उपचुनाव को लेकर सरकारी मशीनरी पर लगाए गंभीर आरोप
- लोकतंत्र पर मंडराता खतरा: मतदाताओं की जिम्मेदारी और बढ़ती राजनीतिक अपराधीकरण- इरफान जामियावाला(राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पसमंदा मुस्लिम महाज़)