Azam Khan News: आज़म खान ने रामपुर पहुंचकर अदालतों को कहा शुक्रिया, और क्या कहा जानिए

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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान(Azam Khan) अदालत से जमानत प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीतापुर की जेल से रिहा होकर अपने गृह जनपद रामपुर पहुंचे, जहां पर उनके समर्थकों ने उनका जगह जगह फूल बरसा कर स्वागत किया।

इस दौरान उन्होंने मीडिया से रूबरू होकर देश की सर्वोच्च अदालत एवं हाई कोर्ट को शुक्रिया कहा। साथ ही जेल में गुजारे गए 27 महीनों का भी जिक्र किया।

समर्थकों ने फूल बरसा कर स्वागत किया

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान जैसे ही अपने गृह जनपद रामपुर में दाखिल हुए वैसे ही उनके समर्थकों ने फूल बरसा कर उनका जोरदार स्वागत किया। वह जैसे ही अपने घर से चंद कदमों के फासले पर पहुंचे तो मीडिया के कैमरों पर जेल में बिताए 27 महीनों का दर्द बयान करने से नहीं चूके।

हाई कोर्ट का शुक्रिया अदा किया

इसी दौरान उन्होंने देश की सर्वोच्च एवं उत्तर प्रदेश का हाई कोर्ट का शुक्रिया भी अदा किया वहीं उन्होंने पलके बिछाए इंतजार करने वाले अपने समर्थकों के अंदर अपने चिर परिचित अंदाज में दिल को छू लेने वाले अल्फाजों से जोश भरने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी।

सपा नेता आजम खान ने मीडिया से मुखातिब होते हुए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पर कहा,”मैंने एक मौके पर जेल में जब  वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई, जज साहब से यह कहा था कि आपके पास आसमान वाले की डेलीगेटेड पावर हैं और उन पावर का इस्तेमाल आपको कैसे करना है जाहिर है यह आपको ही तय करना है, मैं यह समझता हूं कि हमारे कुछ हाईकोर्ट के फैसलों में और सुप्रीम कोर्ट से शत-प्रतिशत मामलों में जिस तरह से हमें इंसाफ मिला है उसमें यही कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने विधाता की तरफ से जो कहा बस उनको डेडीकेटेड थी, डेडीकेट्स पावर थी, उसका सही और जाइज इस्तेमाल किया है और सुप्रीम कोर्ट ने हमारे दिलों को इस बात के लिए मजबूत किया है जिस तरह हमारे अब्दुल्लाह ने कहा उस तरह हम भी यह कहें कि सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद।

बड़ा मिशन सामने होगा तो तकलीफ भी बड़ी होगी

आजम खान से पूछे गए सवाल के पिछले 26 महीने से ज्यादा के मुश्किल भरे सफर में कैसे रहे, परिवार ने क्या कुछ सहा पर प्रतिक्रिया देते हुए आजम खान ने कहा,”देखो भई जब कोई बड़ा मिशन सामने होगा तो मुखालिफ भी बड़ा होगा और तकलीफ भी बड़ी होगी ,उस मिशन से फायदे भी बड़े होंगे नुकसान भी बड़े होंगे, हमारा मिशन राजनीतिक नहीं था, हमने अपने 40 साल के राजनीतिक कार्यकाल में पार्टी के नेताओं के अपने सियासी आक़ा या हमें अपने लिए सोने के कंगन चाहिए थे, हम कहां रहते हैं यह आपने देखा नहीं है, हमारा शहर कैसा था और अब कैसा हो गया है, यह भी आपने देखा है। यहां की इमारतें अगर आप देखें, अगर आप नगरपालिका देखें, गांधी समाधि देखें और बहुत सारी चीजें देखें तो आपको अंदाजा होगा हमने कैसा शहर बनाया, इस सब के पीछे जो एक बुनियादी मकसद था वह यह था क्योंकि मैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का पढ़ा हुआ हूं और यह मेरी किस्मत की खुशनसीबी कहें या बदनसीबी कि मैं जब एल.एल.एम फाइनल सेमेस्टर का स्टूडेंट था, स्टूडेंट का मैं सेक्रेटरी था, उसी वक्त मुझमें इमरजेंसी लग गई थी और तब भी मैं जेल गया और पौने दो बरस बनारस की जेल में, जब जिंदगी की शुरुआत हुई थी तब भी जेल में था और जब जिंदगी अपने आखिरी दौर में है तब भी जेल में…

सपा नेता आजम खान ने कहा,”मैंने अलीगढ़ में एक शेर सुना था इन तालीमी जिंदगी में कि “चश्मे सय्यद नागराह हैं तो फिर उठे शायर कोई दीवाना अलीगढ़ को बयाबान मकसूद,,, तभी मैंने अपने छात्र जीवन में यह तय किया था मैं कोशिश करूंगा कि एक और इल्मगाह तैयार की जा सके।

मुस्लिम बहुत नाराज हैं

आजम खान के बड़े भाई अखिलेश यादव से नाराज हैं पर उन्होंने कहा मुस्लिम बहुत नाराज हैं अखिलेश यादव वह आए नहीं और जो यातनाएं हमारे परिवार ने झेली हैं हमारे भाई ने झेली हैं उसे पूरा देश याद रखेगा इस सवाल पर सपा नेता आजम खान ने कहा देखिए मेरी तबाहीयों में मेरा अपना हाथ है, हम पर मुकदमे कायम कराने वाले लोगों में कौन लोग हैं, सबसे पहले 8 मुकदमे हम पर कायम हुए और उन्होंने कहा आजम खान ने जबरन हमसे जमीनें छीन लीं, उन 8 लोगों ने हम पर मुकदमे किए हैं सिविल कोर्ट में, उन 8 लोगों के पेमेंट चेक से किए गए थे और जो जमीनें 2000 रुपए बीघा की भी नहीं थीं उस वक्त हमने 40000 रुपए बीघा उसका दिया था, वह सारे लोग मुकदमे हार गए और हम से लिए हुए पैसों से उनमें से बेश्तर(ज़्यादातर) ने दो-दो हज किए, अगर दो बीघा जमीन थी तो 8 बीघा जमीन खरीद ली, वह सारे लोग मुकदमे हार गए, उम्मीद वह यह करते थे कि हम उनके खिलाफ मुकदमा करेंगे लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।

मेरी मौत नहीं आई थी, मैं नहीं मरा

आजम खान ने 1989 के दौर का जिक्र करते हुए कहा,”1989 में  में सबसे बड़ा बूथ सेंटर था, कांग्रेस की सरकार थी और यहां पर नवाब जुल्फिकार अली खान यहां पर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट हुआ करते थे, मैं और मेरी बीवी, मेरा बड़ा बच्चा उस वक्त बड़ा छोटा सा था, एक बच्चा गोद में था, मेरी तीनों बहने वोट डालने गए थे और उस वक्त किले के दरवाजे से चारों तरफ से जीपें दाखिल हुईं फायरिंग करते हुए और उस वक्त के मेंबर ऑफ पार्लिमेंट आ गए थे और मेरे सीने पर 7 से 8 तमंचे लगा दिए जिनमें जर्मन पिस्टल भी थे, हल्के जाड़े थे उस वक्त में सूट पहने हुए था, सबने गोलियां चलाई, मेरे पैरों पर गिरे रिवाल्वर लेकिन कोई गोली नहीं चली, पुलिस फायरिंग हुई, कई सौ राउंड गोली चली, मेरी मौत नहीं आई थी, मैं नहीं मरा और उसी मैदान में जिस मैदान में यह हादसा हुआ था उसी मैदान में जीत का जलसा किया। आजम खान ने कहा कि मैंने वहीं लोगों से कहा कि तुमने सुना होगा कि अल्लाह है भगवान है लेकिन मैंने देखा है।

मैं जिंदा बाहर आ गया

आज़म खान ने कहा,”मैं इलेक्शन कैंपेनिंग में था, आप लोगों को पता होगा, हेलिकॉप्टर के पर में अगर मख्खी के बराबर कुछ आ जाए तो हेलीकॉप्टर क्रैश हो जाएगा, दो परों का हेलीकॉप्टर था, इतना बड़ा टुकड़ा टूटकर हेलीकॉप्टर के पर का गिरा, हेलीकॉप्टर नाचता रहा, पायलट पसीने पसीने हो गए, उन्हें मालूम था हेलीकॉप्टर क्रैश होगा और वह हेलीकॉप्टर जमीन पर गिरा, वह ऐसी जगह गिरा जहां से आलू निकाले गए थे, खेत बहुत नरम था, जब मैं उस वक्त नहीं मरा, किले के मैदान में मेरे सीने पर इतने तमंचे चलाए गए, मैं तब उस वक्त नहीं मरा, मुझे इतना भयानक कोरोना हुआ मैं पूरे अस्पताल में अकेला जिंदा बचा था, मेरे सामने से सारी लाशें जाती थीं, मेरे सामने वार्ड खाली होता था, मैं तब नहीं मरा, मेरे चाहने वालों ने बहुत कोशिश की मैं फिर जिंदा बाहर आ गया।

शर्म आ रही है कि मैं कहां पैदा हो गया

जेल से वापस आने के बाद आज़म खान का अंदाज़ कैसा रहेगा इसपर आज़म खान ने कहा,” देखिये मैंने आपसे अर्ज किया कि मैंने 40 साल सोने और चांदी के कंगन हासिल करने के लिए नहीं दिए थे, न मेरे पास कोई बंगला है, जब ईडी वाले मेरे इंटेरोगेशन करने के लिए जेल में 5 दिन आए और उन्होंने मुझसे पूछा विदेशों में कहां-कहां आप की प्रॉपर्टीज हैं, कहां-कहां बैंक अकाउंटस हैं आपके तो मैंने बस उनसे इतना ही कहा कि मुझे आपके सवाल आप पर गुस्सा नहीं आ रहा है बल्कि इस बात पर शर्म आ रही है कि मैं कहां पैदा हो गया।

वो तकरीर मेरी 1 दिन में कई करोड़ लोगों ने सुनी थी, मैं नहीं जानता क्या हुआ मैं तो यह जानता हूं कि मैं 1 साल सीन से आउट रहा क्योंकि पुलिस कहती थी के एनकाउंटर हो जाएगा और 27 , 28 महीने में एक ऐसी कोठरी में रहा जिसमें उन लोगों को बंद किया जाता था जिन्हें 2 दिन बाद फांसी होती थी, बिल्कुल अकेला रहता था जिंदा आ गया वापस, नहीं बिल्कुल नहीं है खुश हो गई हैं आंखें।

लीडर तो हम कभी थे ही नहीं

लीडरशिप को लेकर पूछे गए सवाल पर आज़म खान ने कहा,” नहीं देखिये लीडर तो हम कभी थे ही नहीं, अगर लीडर होते तो इतने बहुत से काम कर नहीं पाते, अगर लीडर होते तो यूनिवर्सिटी नहीं बनाते, बच्चों के स्कूल नहीं बना पाते और आपको यह मालूम होना चाहिए कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट जिसका मैं चेयरमैन हूं और यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी का जिसका मैं चांसलर हूं, ये नॉन बेनिफेसरी ऑर्गनाइजेशन हैं, हम लोग इसमें देते हैं पैसा, ना तो सेलरी लेते हैं, खाना और नाश्ता भी हमारे घर से जाता है, ना हम, ना हमारा कोई सदस्य हाँ ये अलग बात के जब दरोगा जी हमारा बयान लेने के लिए जेल में गए तो उन्होंने बहुत तारीफ करी थी, आपने बड़ा अच्छा शहर बनाया है, यूनिवर्सिटी बड़ी अच्छी बनाई है, हमदर्दी जाहिर की और यह भी कहा कि आप जब रामपुर आए जमानत पर तो कोशिश करिएगा कि भूमिगत रहें, आप पर इतने मुकदमे हैं कि आपका एनकाउंटर भी हो सकता है, तो जब ये थ्रेट मुझे जेल में मिल सकती है उसके बाद तो फिर कोई अपना कोई पराया रह ही नही जाता।

अगला कदम क्या होगा?

आजम खान से किए गए सवाल कि उनका अगला कदम क्या होगा ? बसपा सुप्रीमो मायावती भी आजम खान की तारीफ कर रही हैं, हर कोई आजम खान के समर्थन में आ रहा है, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आजम खान ने कहा,” मैंने बरहाल अपनी सारी जिंदगी एक चीज साबित करने की कोशिश की कि मैं, मेरी इंटीग्रिटी डाउटफुल नहीं है, मैं जमीर बेचने वाला नहीं हूं, ना मैं मुल्क बेचने वाला हूं, ना मैं कौम बेचने वाला हूं, यह मैंने इमरजेंसी के वक्त भी साबित कर दिया था और 40 साल तक शायद ही पूरे भारतवर्ष में कोई ऐसी मिसाल हो और शायद अभी तक नहीं है कि एक ही कांस्टीट्यूएंसी से कोई 11 बार जीता हो और एक बार जब वह जेल में हो तो इतने वोट मिले हों जितने उसे बाहर रहकर भी ना मिले हों, अगर पार्लियामेंट के इस चुनाव में भी धांधली और पुलिस की दादागिरी और डीएम साहब की इनायत ना रही होती तो मैं तकरीबन 3:30 लाख वोट से जीतता,
अगर आजम खान बाहर होते तो समाजवादी पार्टी के चुनावी समीकरण पर पूछे गए सवाल पर आजम खान ने कहा देखिए अगर की बातों पर यकीन इसलिए मत करिए कि हम आप सब एक ताकत को मानने वाले हैं, सुप्रीम पावर को, यही सब होना था।

आजम खान से पूछे गए सवाल मेंबर ऑफ अपोजिशन के लिए आपका नाम क्यों नहीं जाता पर आजम खान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा इसलिए क्योंकि मैं उससे भी ज्यादा सीनियर हूं।

हमारे शरीर से अखिलेश यादव को बदबू आती है

आजम खान के समर्थकों द्वारा अखिलेश यादव पर किए गए बयान कि उन्हें हमारे शरीर से अखिलेश यादव को बदबू आती है, आज भी कितने समर्थक सड़कों पर थे वह चाहते हैं कि आजम खान खड़े होते हैं तो बीजेपी का एक विकल्प दे सकते हैं, आजम खान क्या मुस्लिमों का एक बड़ा चेहरा बनकर एक विकल्प दे सकते हैं पर प्रतिक्रिया देते हुए आजम खान ने कहा,”इस वक्त मेरे लिए बीजेपी, बहुजन समाज पार्टी या कांग्रेस इसीलिए बहुत बड़ा सवाल नहीं है क्योंकि यह मेरे, मेरे परिवार पर, मेरे लोगों पर हजारों की तादाद में जो मुकदमें दायर किए हैं, मैं बस यह कह सकता हूं कि मेरी तबाहियों में मेरा अपना हाथ है। मेरे अपने लोगों का बड़ा कंफ्यूजन है उस मालिक से दुआ है कि उन्हें सद्बुद्धि आए।

सपा नेता आजम खान को लेकर समाजवादी पार्टी के रवैए पर पूछे गए सवाल पर आजम खान ने तंज भरे अंदाज में कहा लेकिन सुना यह है कि महबूबा के कहने पर किसी ने अपनी मां का दिल निकाल लिया था और वह दिल निकाल कर जब महबूबा की तरफ बढ़ गया तो उसे ठोकर लगी और मां के दिल के साथ गिर गया तो मां के दिल से आवाज आई बेटे तेरे चोट तो नहीं लगी। उन्होंने कहा मैं खतावार मानता ही नहीं हूं, मैं खतावार मानता ही नहीं हूं तो मैं माफ किस चीज के लिए करूं, मेरे लिए जिसने जितना किया उसका शुक्रिया, जिसने नहीं किया उसका भी शुक्रिया, किसने कितना किया आप से बेहतर कौन जान सकता है।

आजम खान से पूछे गए सवाल शिवपाल यादव से आपने मुलाकात की लेकिन अखिलेश यादव के डेलिगेशन से आपने मुलाकात नहीं की पर आजम खान ने कहा, मेरी तबीयत ठीक नहीं थी।

मैं मोबाइल चलाना भी भूल गया

सुप्रीम कोर्ट ने देश के बड़े वकील कपिल सिब्बल ने आजम खान की वकालत की इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आजम खान ने कहा,” मेरे पास तकरीबन साढे 3 साल से कोई मोबाइल नहीं है और मैं आपसे सच कहता हूं मैं मोबाइल चलाना भी भूल गया हूं।

ज्ञानवापी मस्जिद पर प्रतिक्रिया

ज्ञानवापी मस्जिद के सवाल  पर आजम खान ने कहा,”थोड़ा सा फर्क है दोनों चीजों में, बाबरी मस्जिद मूवमेंट और बाबरी मस्जिद के कैसेस बहुत लंबे अरसे तक चले, लोकल कोर्ट में चले, 22/ 23 दिसंबर 1949 की रात जब एसडीएम का एक आर्डर पास हुआ उसके बाद से लेकर डेमोलेशन तक जब सुप्रीम कोर्ट के जज साहब की बेंच का फैसला आया उस वक्त तक कई दहाईयाँ गुजर गयीं लेकिन जिन मसाजिद का जिक्र आप कर रहे हैं उन मुकदमों की स्पीड लोकल कोर्टस से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चंद दिनों में तय हो गई, लिहाजा क्योंकि मैं खुद भी वकालत का स्टूडेंट होने के नाते आपसे यह कहना चाहूंगा हमें इस स्टेज पर न सिर्फ के मुझे बल्कि किसी को भी किसी किस्म की राय इसलिए नहीं देनी चाहिए क्यों के उस से मुल्क का माहौल भी खराब होगा और इंसाफ पर से लोगों का भरोसा भी मुताज़लल होगा।

मुसलमानों को जो भी सजा मिल रही है उनके राइट ऑफ वोट की सजा मिल रही है

जौहर यूनिवर्सिटी बनाने के कारण आज़म खान पर हुई कार्यवाही पर आज़म खान ने कहा,”मेरे ऊपर एक मुकदमा कायम हुआ था जब मैंने किसी के बारे में यह कहा था कि आपने अपने बच्चे और बच्चियों को कलेक्टर और एसपी की कुर्सी पर बैठा दिया, लेकिन मेरा बच्चा कहां है और उसका मुस्तकबिल क्या है, यह मैं नहीं जानता, लिहाजा मैं यह कोशिश कर रहा हूं कि अगर मेरा बच्चा यानी कमजोरो का बच्चा कलेक्टर, एसपी ना बन सके तो डॉक्टर और इंजीनियर तो बन जाए, नर्स बन जाए, क्लर्क बन जाए, चपरासी बन जाए, लेकिन आज के हालात में मैं यह समझ रहा हूं कि मुसलमानों को जो भी सजा मिल रही है उनके राइट ऑफ वोट की सजा मिल रही है, वजह यह है कि सारे राजनीति दल यह समझते है कि मुसलमान सियासीयो के समीकरण खराब कर देते हैं लिहाजा में क्योंकि पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसी यीशु को लिया हैं जिसके बारे में मोहतरमा जिक्र कर रही थी और आप और बहुत से मामलात पर लॉ बोर्ड है, हमारे दिगर उलेमा हैं, हमारे कई सेंटर्स हैं जैसे बरेली का मरकज़ है, मुबारक पुर में है, देवबंद में है,नदवा है, इन सारे लोगों से में कोशिश करूंगा इस बार, इस बारे में के हम इस पर भी सोचें कि कहीं यह वोट तो हमारी बर्बादी की वजह नहीं है, शायद आप मेरा मतलब समझ सके होंगे।

बुलडोजर की राजनीति पर

बुलडोज़र की राजनीति पर आज़म खान ने कहा,”कोई शिकायत नहीं है, हमने तो विधानसभा में कहा था एक बार कि सिर्फ मुसलमानों पर कानून ए-शरियत लागू कर दिया जाए, अगर उसके रिजल्ट अच्छे हों तो और भी सोचेंगे,आज रेप के मामले में जो सजा दी जा रही हैं, वही सजाएं इस्लाम भी तजवीस करता है, कातिल के बारे में जो सजाएं हैं वो इस्लाम भी करता है।

मीडिया के पूछे गए सवाल पर कि शिवपाल यादव मायावती और कांग्रेस उनके समर्थन में इस पर आजम खान ने कहा,”मैं तमाम उन लोगों का शुक्रगुजार हूं जो मुझसे जेल में मिले हैं, उनका भी शुक्रगुजार हूं जिनसे मैं नहीं मिल सका, उनका भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरे बारे में अच्छी राय बनाई, अच्छी राय कायम की, मैं शायद मैं पहला बदनसीब हूं पूरे चुनाव में जिसे माफियाओं की लिस्ट में नंबर एक पर रखा गया, पहले मेरा नाम, बाद में अंसारी का नाम मुख्तार अंसारी का नाम, तीसरा अतीक का, मैं आपसे और समाज से यह जानना चाहता है जिस शख्स की गाड़ी से आज तक भी कोई नहीं टकराया, जिसने आज तक किसी पर हाथ नहीं उठाया, जिसके खिलाफ आज तक 323 का एक मुकदमा भी कायम नहीं हुआ, जिसके खिलाफ जल निगम में मेरे ऊपर रिपोर्ट हुई एसआईटी बैठी उसमें भी गबन का इल्जाम और रिश्वत लेने का इल्जाम नहीं है, जज साहब ने कहा जिस व्यक्ति के खिलाफ एक एविडेन्स नहीं है वे 2 साल से जेल में क्यों रखे हुए हो, सुप्रीम कोर्ट के जज साहब का भी में एहसानमंद हूं, उन्होंने कहा एक दो मुकदमे तो सही हो सकते हैं, लेकिन 80 मुकदमे किसी पर सही नहीं हो सकते।

मैं तो चुनाव लड़ूंगा नहीं

सांसद के उपचुनाव पर आजम खान ने कहा अभी मैं  कुछ नहीं कह सकता क्योंकि मैं तो चुनाव लड़ूंगा नहीं और सेहत भी मेरी अभी ऐसी नहीं है कि मैं भागदौड़ कर सकूँ, जो कुछ भी हमारे साथ जेल में हुआ है वह हमारी शक्ल से नजर आ रहा होगा, समझ में नहीं आता कि आज की सरकार को और पार्टी को हमसे इतनी घृणा की वजह क्या है? आजम खान ने कहा असेंबली में मैं कम से कम जाने की कोशिश करूंगा। उन्होंने कहा कि जेल में ऑर्डिनरी कैदी था, कच्ची दाल के पानी से रोटी खाता था, दाल नहीं होती थी, उसमें सिर्फ पानी होता था।

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