चुनाव आयोग के अनुसार, 6 राज्यों की 8 संसदीय सीट के कुल 92 मतदान केंद्रों के लिए ईवीएम(EVM) सत्यापन की मांग की गई है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के वाईएसआरसीपी और बीजेडी के उम्मीदवारों ने भी 3 विधानसभा सीटों पर ईवीएम जांच के लिए आवेदन किया है।
नवजीवन की ख़बर के अनुसार निर्वाचन आयोग को चार जून को लोकसभा चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद 6 राज्यों की 8 लोकसभा सीट पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में लगी माइक्रो-कंट्रोलर चिप में छेड़छाड़ या हेरफेर संबंधी सत्यापन के लिए आवेदन मिले हैं। आवेदन करने वालों में बीजेपी और कांग्रेस सहित अन्य दलों के उम्मीदवार शामिल हैं।
अहमदनगर (महाराष्ट्र) से बीजेपी के उम्मीदवार सुजय विखे पाटिल ने 40 मतदान केंद्रों से संबंधित ईवीएम का सत्यापन कराने की मांग की है। विखे पाटिल एनसीपी (शरद पवार) गुट के नीलेश लंके से हार गए थे। निर्वाचन आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कषगम (डीएमडीके) के एक-एक उम्मीदवार ने भी सत्यापन के लिए आवेदन किया है।
आयोग के अनुसार, छह राज्यों की आठ संसदीय सीट के लिए ईवीएम सत्यापन की मांग की गई है। इसने कहा कि जिन मतदान केंद्रों के लिए सत्यापन की मांग की गई है, उनकी कुल संख्या 92 है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश और ओडिशा से क्रमशः वाईएसआरसीपी और बीजेडी के उम्मीदवारों ने भी चार जून को विधानसभा चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद ईवीएम जांच के लिए आवेदन किया है। विधानसभा चुनाव परिणामों के सत्यापन के लिए जो आवेदन आए हैं उनमें कुल तीन विधानसभा क्षेत्र हैं जहां 26 मतदान केंद्रों की सत्यापन की मांग की गई है। लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हुए थे।
निर्वाचन आयोग द्वारा एक जून को जारी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को ईवीएम सेट के लिए 47,200 रुपये का भुगतान करना होगा। संबंधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, ईवीएम की जांच और सत्यापन के लिए ईवीएम बनाने वाली कंपिनयों-भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) ने 40,000 रुपये (और 18 फीसदी जीएसटी) की राशि तय की है।
ईवीएम के एक सेट में कम से कम एक बैलेट यूनिट, एक कंट्रोल यूनिट और एक वीवीपैट मशीन होती है। एसओपी के अनुसार, संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को परिणाम घोषित होने की तारीख से 30 दिन के भीतर चार जुलाई तक आवेदकों की समेकित सूची निर्माताओं को भेजनी होगी। निर्वाचन आयोग ने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी तय समय से 15 दिन पहले ही निर्माताओं को इस बारे में बता चुके हैं।
बता दें कि ईवीएम में छेड़छाड़ के संदेह को निराधार करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को मतपत्र से मतदान कराने की पुरानी प्रणाली को फिर से शुरू करने की मांग खारिज कर दी थी।मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि उम्मीदवार चाहे तो चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिन के भीतर परिणाम की दोबारा जांच की मांग कर सकता है और ऐसी स्थिति में माइक्रो-कंट्रोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर के द्वारा की जाएगी। अदालत ने इसके साथ ही यह भी साफ कर दिया था कि इस जांच का खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा। अदालत ने कहा था कि चुनाव परिणाम में गड़बड़ी साबित होने की स्थिति में उम्मीदवार को सारा खर्च वापस मिल जाएगा।
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