रमजान के इस पाक महीने में कुछ मुस्लिम युवकों ने कैंसर से पीड़ित एक हिन्दू बच्ची को रक्तदान कर न सिर्फ उसकी जान बचाई बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और इंसानियत की मिसाल भी पेश की है। एक निजी कंपनी में काम करने वाले 39 वर्षीय अंकिता के पिता ब्यासमुनि गोंड ने बताया कि मैं इन अनजान लोगों का आभारी हूं जो मेरी बेटी की मदद के लिए आगे आए।
रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बड़ा ही अहम और खास होता है जिसमें हर मुसलमान पर रोज़ा रखना फ़र्ज़ होता है। एक बार रोज़ा रख लिया तो उसको किसी भी हालत में तोड़ने का हुक्म नहीं है जबतक कि कोई बेहद ही खास वजह न हो।
उत्तराखंड के देहरादून में जहां पांच युवकों के सामने एक तरफ धर्म था और दूसरी तरफ मानवता। इन युवकों ने धर्म को ही मानते हुए मानवता का साथ दिया और भाईचारे की मिसाल पेश की। क्यूंकि इस्लाम धर्म कहता है कि जिस किसी इंसान ने किसी एक भी इंसान की जान बचायी तो समझो उसने पूरी मानवता की जान बचाई।
ये सभी पांच मुस्लिम युवक रोज़ा रखे हुए थे जब उन्हें पता चला कि कैंसर से पीड़ित एक 14 वर्षीय लड़की को खून की सख्त ज़रुरत है। युवकों ने बच्ची की मदद करने के लिए रोज़ा तोड़ने का फैसला किया और बच्ची को रक्तदान किया।
- एक रोज़ा ऐसा भी !
- इस्लाम में रोज़ा क्यों ज़रूरी है?
- रमज़ाननुल मुबारक अपनी रहमतों व बरकतों के साथ सायाफगन होने वाला है.
रक्त देने वाले शाहरुख के मुताबिक उन्हें ब्लड की जरूरत के बारे में सोशल मीडिया की पोस्ट से पता चला। शाहरुख के साथ ज़ीशान अली (26), आसिफ अली (24), शावेज़ अली (24) और साहिल अली (25) ने रक्तदान किया।
सभी युवक लेबर क्लास के हैं
ख़ास बात यह है कि ये सभी युवक लेबर क्लास यानी मजदूर वर्ग से हैं। शाहरुख डोईवाला में डेरी की दुकान चलाने में अपने पिता की मदद करते हैं। वहीं, ज़ीशान, आसिफ और शावेज प्लंबिंग से जुड़ा काम करते हैं। साहिल फर्नीचर पॉलिशिंग के पारिवारिक व्यवसाय में मदद करते हैं।
युवकों की माने तो बच्ची की जान के आगे उन्होंने रोज़ा तोड़ने का फैसला लिया। दरअसल, रमजान के दौरान इंजेक्शन तक लगाने की अनुमति नहीं होती है। सूर्यास्त से पहले भोजन करने की इजाजत नहीं मिलती है। युवकों ने रक्तदान के जरिए मानवता की सेवा का फैसला लिया।
- Winter Vaccation Anounced In J&K Degree Colleges
- National Urdu Council’s Initiative Connects Writers and Readers at Pune Book Festival
- पुणे बुक फेस्टिवल में राष्ट्रीय उर्दू परिषद के तहत ”मेरा तख़लीक़ी सफर: मुसन्निफीन से मुलाक़ात’ कार्यक्रम आयोजित
- एएमयू में सर सैयद अहमद खान: द मसीहा की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित
- Delhi Riots: दिल्ली की अदालत ने 4 साल बाद उमर खालिद को 7 दिन की अंतरिम जमानत दी
- पत्रकारों पर जासूसी करने के आरोप में आयरिश पुलिस पर भारी जुर्माना लगाया गया