रामपुर में आज़म ख़ान से प्रशासनिक अधिकारियों को जान का ख़तरा,अधकारियों ने मांगी छुट्टी

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आज़म ख़ान से प्रशासनिक अधिकारियों को जान का ख़तरा
आज़म ख़ान से प्रशासनिक अधिकारियों को जान का ख़तरा

रामपुर में आज़म ख़ान और अधिकारियों ने बताया एक दूसरे को जान से खतरा,कुछ अधिकारी छुट्टी पर

ग्लोबलटुडे/रामपुर[सऊद खान]: ज़िला रामपुर में प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी जान को पूर्व मंत्री आजम खां से खतरा बताते हुए पर्याप्त सुरक्षा की गुहार लगाई है।
दूसरी ओर पूर्व मंत्री आज़म ख़ान ने अधिकारियों से अपनी जान को खतरा बताते हुए इसको साज़िश बताया। उन्होंने कहा कि यह उनकी हत्या कराने के लिए पेशबंदी की जा रही है।
इस राजनैतिक और प्रशासनिक जंग में कहीं न कहीं ज़िला रामपुर में लाॅ एन ऑर्डर की समस्या उत्पन्न होती दिखाई दे रही है।
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क्या है पूरा मामला?

आमजन की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी जिन प्रशासनिक कांधों पर है वही जिम्मेदार कांधे कह रहे हैं हमें पूर्व मंत्री आजम खां से जान का खतरा है, लिहाज़ा हमारी सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ामात किये जायें।

दरअसल राजनीति और प्रशासन की ये जंग ज़िले में आचार संहिता लागू होने से शुरू हुई थी जो अब लाॅ एन ऑर्डर को संभालने पर आकर टिक गई है।

आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले जैसे ही जिला प्रशासन ने जिले में स्थित उर्दू गेट को ध्वस्त कराया और यूनानी अस्पताल को आजम खां द्वारा संचालित किये जा रहे आरपीएस स्कूल से खाली कराया वहीं से पूर्व मंत्री आजम खां ने जिला प्रशासन एंव पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

आज़म खां लगातार डीएम, एसपी व अन्य दो प्रशासनिक अधिकारियों पर मतदान और मतगणना को प्रभावित करने के आरोप लगा रहे हैं।

हालांकि मतदान तो सकुशल निपट गया लेकिर अब जिले की राजनीति मतगणना पर केंद्रित हो गयी है।
इसी बीच आरोपों के मददेनजर जिले के अपर जिलाधिकारी प्रशासन जगदम्बा प्रसाद गुप्ता और नगर मजिस्टेªट सर्वेश कुमार गुप्ता ने पुलिस अधीक्षक को एक पत्र देकर अपनी जान को आजम खां से खतरा बताया। उन्होंने कहा कि उनके आवास के आसपास संदिग्ध लोग घूम रहे हैं और उनके घरों की रैकी कराई जा रही है। इसलिए उनकी सुरक्षा के पर्याप्त इंतेजाम किये जायें।
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हालांकि यह पत्र गुपचुप तरीके से एसपी को दिये गये लेकिन मीडिया में लीक होने पर जब इनके बारे में एडीएम और नगर मजिस्ट्रेट से उनका अधिकारिक वर्जन लेना चाहा तो उन्होंने खामोशी अख्तियार कर ली।
वहीं जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह से पूछताछ की तो वह भी अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आये और मामले को सिर्फ आशंका पर लाकर रोक दिया। डीएम के मुताबिक प्रशासनिक अधिकारियों ने आशंका जताई है और इसका आधार बताया है जिस पर संज्ञान विधिवत लिया जा रहा है।

इसके अलावा पुलिस अधीक्षक शिव हरि मीना से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जान को खतरा बताते हुए एक पत्र सौंपने के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने अपने घर की संदिग्ध लोगों द्वारा रैकी होने की शिकायत की है और पर्याप्त सुरक्षा की मांग की है। इन अधिकारियों को पहले ही सुरक्षा दी जाती है जिसे अब और बढ़ा दिया गया है।

हालांकि जान को खतरा बताने वाला शिकायती पत्र गुपचुप तरीके से दिया गया था लेकिन इसकी भनक पहले आजम खां को लग गयी और उन्होंने एक प्रेसवार्ता कर मामले का खुलासा करते हुए कहा कि अधिकारियों द्वारा दरअसल पत्र दिया जाना खुद उनकी हत्या कराने के लिए पेशबंदी मात्र है। जिला प्रशासन एंव पुलिस उनकी हत्या कराना चाहता है जिसके लिए पेशबंदी की जा रही है।

बहरहाल राजनैतिक और प्रशासनिक इस उठापटक में आमजन की सुरक्षा पर कहीं न कहीं सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर आम ओ खास शहरियों की हिफाजत करने वाले खुद ही अपनी जान को खतरा बता रहे है तो शहरी किस प्रकार महफूज हैं। ऐसे में लाॅ एण्ड ऑर्डर पर समस्या खड़ी होती साफ नजर आ रही है, जबकि अभी मतगणना बाकी है।