मज़हबी आस्थाओं के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होना चाहिए-आज़म खान

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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान ने तीन तलाक के मुद्दे पर अपने ही अंदाज में प्रतिक्रिया दी है, वहीं चमकी बुखार को लेकर इशारों इशारों में सीएम योगी को भी निशाने लिया

रामपुर/सऊद खान: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान ने तीन तलाक के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम पहले दिन से ही इस राय के हैं कि मजहबी आस्थाओं के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होना चाहिए, छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए, ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए।
आज़म खान ने कहा कि हमारे लिए कुरान फाइनल अथॉरिटी है और कुरान में तलाक का तरीका दिया हुआ है। उस तरीके से कोई मुसलमान नहीं हट सकता। अगर जो बिल लाया गया है अकॉर्डिंग कुरान है तो काबिले कबूल है और अगर अकॉर्डिंग कुरान नहीं है तो हमें कबूल नहीं है।
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यह ऐसे क़ानून हैं जिन्हें ज़ोरजबरदस्ती से नहीं मनवाया जा सकता है। जिन्हें एक तलाक पसंद है वह एक पर समझौता कर लें, जिन्हें दो पर भरोसा है वह दो कर लें, जिन्हें तीन पर भरोसा है वह तीन करलें और निकाह ही क्यों कर लें, शादी ब्याह क्यों कर लें, यह जो गवर्नमेंट का तरीका है इस तरह से यह जरा खतरनाक है लोगों की आस्था खत्म होगी शादी ब्याह की।
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आज़म खान ने कहा कि पूरी दुनिया में जो एक लिविंग रिलेशनशिप का चलन चला है कहीं ऐसा ना हो कि हिंदुस्तान में भी लिविंग रिलेशनशिप को वही जगह ना मिल जाए जो अमेरिका और यूरोप में है। लोगों को घर बसाने दें, शादी करने दें। अपनी आस्थाओं के द्वार से उनकी तलाक होने दें।

मुस्लिम मर्द के ऊपर यह जुल्म की सजा तीन गुनी, बाकी के किसी धर्म में कोई सजा नहीं या बहुत मामूली तो यह जो कर्म नवाजी है मुसलमानों पर सिर्फ तलाक को लेकर हमें इससे बहुत इत्तेफाक नहीं है। मैं तो यह कह रहा हूं के तलाक उतना अहम मुद्दा नहीं है जितनी जरूरत है नौकरियों की, बच्चों के इलाज की, अस्पताल की, शिक्षा की। शिक्षा का कोई इंतजाम तो सरकार के पास है नहीं जो शैक्षिक संस्थान हैं उन्हें भी डुबोने पर उतर आए हैं बरहाल देश चलाने वाले बहतर समझें l

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गोरखपुर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का क्षेत्र है उनका राजनीतिक इलाका भी है वहीं से वह सांसद होते रहे हैं,विधायक होते रहे हैं। यह बीमारी बिहार में पहुंची है उम्मीद तो यह की जाती थी के जब गोरखपुर में यह बीमारी आई तो एंटीवायरस तैयार कर लिया जाता, कोई मेडिसन तैयार कर ली जाती, मगर नहीं की गई। अब बजाय इसके इसका इलाज तलाश करें बल्कि अब एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाली जा रही है और कुछ लोग जाकर जो डॉक्टर संजीदगी से काम कर रहे हैं उनको डरा रहे हैं धमका रहे हैं उनके साथ बदतमीजी कर रहे हैं बेअदबी कर रहे हैं।

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दरअसल बहुत फ़ैलेर्स हैं गवर्नमेंट का 2 और 3 चीजों पर, बेरोजगारी पर, नौकरियों के लिए शिक्षा का इंतजाम कॉलेज बंद हो रहे हैं बहुत तेजी के साथ। आप जो नया कानून उत्तर प्रदेश सरकार ला रही है उसके बाद तो और ज्यादा कमी आएगी शिक्षा के क्षेत्र में। हो सकता है यूनिवर्सिटी भी बंद होना शुरू हो जाएं, हो सकता है जरूरत ही ना हो पढ़े लिखे लोगों की, पढ़ेंगे लिखेंगे तो नौकरियां भी मांगेंगे। मंशा जो भी हो मगर आज जो जरूरत इलाज की है नौकरियों की है बेरोजगारो को रोजगार चाहिए बेघरों को मकान चाहिए कपड़े चाहिए भूखे को पेट भर रोटी चाहिए बीमार को दवा चाहिए यह सारे सवाल तो पीछे हो गए।

 

शपथ ग्रहण समारोह में जो, मंजर देखने को मिला उससे अंदाजा हो गया के अगले 5 साल भी इन्हीं सवालों पर लोग एक दूसरे दस्तों गरबा होते रहेंगे और यह भूले रहेंगे कि उनकी बुनियादी समस्याएं क्या हैं, बुनियादी सवाल क्या है। अच्छा नहीं था लोकतंत्र में संवैधानिक देश में इन चीजों की कोई जगह नहीं थी। हमारी शपथ का आपने एहसास किया होगा के हमने किस तरह अपनी शपथ ली वही तरीका होना चाहिए था जो नहीं हुआ l

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