रामपुर में किसान के अन्तिमसंस्कार में उमड़ा जनसैलाब

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जनपद रामपुर में शीत लहरों के साथ आज शोक की लहर भी है। कल जिस किसान ने गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानून के विरोध में आत्महत्या की थी आज कड़ी सुरक्षा के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

किसान के अंतिम संस्कार में रामपुर के ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से भी काफी लोग पहुंचे थे। सभी ने अपनी नम आंखों से किसान कश्मीर सिंह को अंतिम विदाई दी।

इस दौरान जहां लोगों की आंखों में गम था, वहीं सरकार के प्रति आक्रोश भी साफ नजर आ रहा था।

आपको बता दें कि कृषि क़ानून के विरोध को लेकर अब तक कई किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन सरकार अभी भी अपनी बात पर अड़ी हुई है। लेकिन किसान भी अपनी बात मनवाने के लिए 1 महीने से ज्यादा हो गया, खुले आसमान के नीचे  विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

जनपद रामपुर की तहसील बिलासपुर के पसियापुरा गांव निवासी 80 वर्षीय कश्मीर सिंह जो पिछले कई दिनों से गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन में डटे हुए थे। वह सरकार से इस कदर नाराज थे कि उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

उनका अंतिम संस्कार पूरा सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान आसपास के लोगों के साथ साथ जिले के तमाम आला अधिकारी भी मौजूद थे।

वहीं मृतक बुजुर्ग किसान कश्मीर सिंह के बेटे लाडी सिंह से हमने बात की तो उन्होंने कहा,”सरकार गलत कर रही है उनका जो भी फैसला है वह गलत है उसको वापस लेना चाहिए और जो काले कानून है उसको भी वापस लेना चाहिए।

लाडी सिंह ने कहा उनके पिताजी 20 से 25 दिन से वहां पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। म्रतक के बेटे लाडी सिंह ने कहा सरकार ने कोई मदद का ऐलान नहीं किया है हम तो यह कह रहा है कि सरकार अपने काले कानून वापस ले ले किसान अपने घर पहुंचे।  वहां पर बच्चे बूढ़े बुजुर्ग वहां पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं अपने काले कानून वापिस ले।

वही  दूसरे किसान अवतार सिंह ने कहा लोगों में काफी आक्रोश है 75 वर्षीय बुजुर्ग किसान कश्मीर सिंह ने गाज़ीपुर बॉर्डर पर आत्महत्या की है, उससे सभी लोगों में आक्रोश है। आज उनका अंतिम संस्कार हुआ है। इसमें बहुत बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। हमारी केंद्र सरकार से मांग है कि जो कृषि कानून है इनको सरकार वापस ले 4 तारीख को जो बैठक होने वाली है उसमें किसानों की मांगें मानकर उनको एक तोहफा देना चाहिए। किसान इस तरह से खुदकुशी कर रहे हैं उस पर विराम लग सके और जो लाखों की तादाद में किसान वहाँ बैठे हैं वह अपने घर वापस जा सके।

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