उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे आजम खान के करीबी पूर्व सीओ सिटी आले हसन के नाम से बड़े-बड़े सूरमा खौफ खाते थे। जलवा इतना था कि पुलिस महकमे के आला अफसर भी अपने सीओ सिटी को आले हसन भाई कह कर संबोधित किया करते थे।
सत्ता परिवर्तन के बाद जहां आजम खान पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए तो वहीं पूर्व सीओ सिटी आले हसन खान पर भी कई मुकदमे कायम हुए। अब ऐसे ही 3 मुकदमों में उनकी ओर से अदालत में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिए गए थे, जिन्हें सरकारी वकील के दखल के बाद खारिज कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश में 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव की कयादत में समाजवादी पार्टी की सरकार रही। इस सरकार में आजम खान कैबिनेट मंत्री बने।
आले हसन भी आजम खान के विरोधियों के लिए खौफ का दूसरा नाम
आज़म खान का 5 सालों में ऐसा सियासी रसूख था कि दौर में उनके एक इशारे पर कानूनी लीग से हटकर काम करने वाले उनके बेहद करीबी तत्कालीन सीओ सिटी आले हसन भी आजम खान के विरोधियों के लिए खौफ का दूसरा नाम था। ऐसा खौफ कि या तो उनकी बात मान लो या फिर भारी भरकम चरस के साथ जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाओ। यह सिलसिला अनगिनत लोगों के साथ जारी रहा।
प्रदेश में सत्ता पलट होने और भाजपा की सरकार आने पर आले हसन पर जौहर यूनिवर्सिटी के आसपास की जमीनों की किसानों से जबरन रजिस्ट्री कराए जाने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। यह मामला अदालत में लंबित है और अब अदालत ने तीन मामलों में सीओ की जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है।
पूर्व सीओ सिटी आले हसन खान अपने ऊपर दर्ज कई मामलों में जेल भी गए और फिर कई महीने के बाद जेल से रिहाई भी मिली। कुछ इसी तरह कई मुकदमों में स्थानीय अदालतों के अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी जमानत मिली और कुछ में स्टे ऑर्डर भी मिला।
कुछ इसी तरह गुरुवार को तीन मामले में आले हसन खां की ओर से अपने वकील के माध्यम से जमानत को लेकर प्रार्थना पत्र दिए गए जिन पर अदालत ने सुनवाई करते हुए रद्द कर दिया।
पुलिस ने जुटाए पर्याप्त साक्ष्य
सरकारी वकील अरुण प्रकाश सक्सेना के मुताबिक आले हसन के खिलाफ पुलिस द्वारा पर्याप्त साक्ष्य जुटाये गए हैं। आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया है। हमने वह सभी तथ्य माननीय न्यायालय के सामने रखे हैं। माननीय न्यायालय एमपी एमएलए कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आज तीन जमानत प्रार्थना पत्र आले हसन खा के रद्द कर दिए हैं।
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