जब से हम पैदा हुए हैं, हर साल हमारा जन्मदिन(Birthday) मनाया जाता है, लेकिन जन्मदिन मनाते वक़्त अगर हम केक(Cake) नहीं काटते तो लगता है जैसे जन्मदिन (Birthday) है ही नहीं। जब भी हम सभी जन्मदिन मनाते हैं तो केक ज़रूर काटते हैं।
लेकिन क्या हममें से किसी ने भी, कभी सोचा है कि हम अपना जन्मदिन (Birthday) मनाने के लिए केक (Cake) ही क्यों चुनते हैं और इस केक (Cake) पर मोमबत्ती क्यों लगाते हैं? यह चलन कब और कहाँ से शुरू हुआ?
पहला केक कब और कहाँ बना?
तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि आपने जन्मदिन (Birthday) मनाने के लिए केक क्यों काटा और उस पर मोमबत्तियां क्यों लगाईं।
अगर हम इतिहास पढ़ें तो पता चलता है कि पहली बार जन्मदिन (Birthday) का केक जर्मनी में बनाया गया था और जर्मन के लोग अपने बच्चों के जन्मदिन पर केक काटते और ख़ुशी मनाते थे। ख़ुशी के इस मौके को ‘किंडर फेस्ट’ कहा जाता था।
शुरुआत में जन्मदिन (Birthday) के केक (Cake) मोटे, ब्रेड जैसी चीजों के बनते थे, लेकिन वक़्त के साथ इनमें चीनी का इस्तेमाल होने लगा और केक मीठे हो गए। इस तरह के केक (Cake) को उस वक़्त ‘जब्र टस्टागोर्टन’ के नाम से जाना जाता था।
फिर 17 वीं सदी में, जन्मदिन (Birthday) के केक की शक्ल बदल गयी और इसमें आइसिंग की परतों में फूलों की पत्तियां को सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा जो कि काफी महंगा केक होता था। महंगा होने की वजह से इस तरह का केक केवल मालदार लोग ही खरीदते थे।
18 वीं सदी आते आते केक की शक्ल और बदल गयी और इसके बनाने में खाने की अन्य चीज़ों का इस्तेमाल होने लगा। केक बनाने के बर्तन भी बाज़ार में आसानी से और सस्ते मिलने लगे, यही वजह है कि केक बनाना सस्ता हो गया और साथ ही साथ केक की लागत में भी काफी कमी आई। सस्ता होने की वजह से केक की संख्या में भी काफी बढ़ौत्तरी हुई।
वक़्त के साथ साथ जन्मदिन (Birthday) मनाने के तरीके में भी नयापन आ गया, जन्मदिन मनाने के तरीके में एक और बदलाव आया।
जन्मदिन के केक पर अब मोमबत्तियाँ रखी जाने लगीं
अब जन्मदिन मनाने के दौरान केक पर मोमबत्तियां भी रखी जाने लगीं हैं। मोमबत्तियों को केक रखकर जलाया जाता है और फिर फूंक मारकर उनको बुझाया जाता है, फिर केक काटा जाता है और तालिया बजाकर,गण गाकर ख़ुशी मनाई जाती है।
अब तो केक (Cake) पर मोमबत्तियां रखकर जलाना इस चलन का हिस्सा बन गया है जो कि तक़रीबन दुनिया के हर मुल्क में नज़र आता है।
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