टीबी उन्मूलन के लिए तम्बाकू उन्मूलन और ग़ैर-संक्रामक रोग नियंत्रण ज़रूरी

Date:

भारत सरकार ने 2025 तक (45 माह शेष) और दुनिया के सभी देशों ने 2030 तक (105 माह शेष) टीबी उन्मूलन के सपने को साकार करने का वादा किया है। परंतु जब तक वह अनेक कारण जो टीबी रोग होने का ख़तरा बढ़ाते हैं, जाँच में मुश्किल पैदा करते हैं, उपचार निष्फल करते हैं, और टीबी से मृत्यु तक का ख़तरा बढ़ाते हैं – जब तक ऐसे कारणों पर अंकुश नहीं लगेगा, तब तक टीबी उन्मूलन कैसे मुमकिन होगा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक साल में (2020) 25.90 लाख लोग टीबी से संक्रमित हुए, और 5.1 लाख से अधिक लोग मृत। इन टीबी से ग्रसित 25.90 लाख लोगों में से सिर्फ़ 63% को उपचार नसीब हुआ। जब दवाएँ उपलब्ध हैं और टीबी सेवा केंद्र देश भर में हैं, तो 37% लोग क्यों टीबी उपचार से वंचित रह गए? उपचार समय से नहीं मिलेगा तो टीबी संक्रमण कैसे रुकेगा?

ऑस्ट्रेल्या के वरिष्ठ श्वास-सम्बन्धी रोग विशेषज्ञ और इंटरनैशनल यूनीयन अगेन्स्ट टुबर्क्युलोसिस एंड लंग डिजीस (द यूनीयन) के निदेशक प्रोफ़ेसर डॉ गाय मार्क्स ने कहा कि ऐसा पिछले एक दशक में पहली बार हुआ है कि टीबी मृत्यु दर बढ़ी है। कोविड ने स्वास्थ्य प्रणाली को एक भीषण चुनौती दी और लाखों लोग जिन्हें टीबी रोग था वह अनेक देशों में टीबी के इलाज और देखभाल से वंचित हुए। दवा-प्रतिरोधक टीबी हो या टीबी रोग से बचाव करने के लिए ‘लेटेंट टीबी’ सभी की जाँच-इलाज सेवाएँ कुप्रभावित हुईं हैं।

पर यह भी सच है कि कोविड महामारी के पहले भी दुनिया के अधिकतर देश, अपेक्षित तेज़ी से नए टीबी रोगी की संख्या में कमी नहीं ला पा रहे थे जो २०३० तक टीबी उन्मूलन करने के लिए ज़रूरी है। इन देशों में जिस रफ़्तार से टीबी दर में गिरावट आ रही थी उस रफ़्तार से टीबी २०३० तक ख़त्म कैसे हो सकती थी? पर कोविड महामारी ने जो प्रगति टीबी कार्यक्रम ने पिछले दशक में की थी वह भी पलट दी है।

टीबी एसेंबली की अध्यक्ष और इंडोनेशिया श्वास-सम्बन्धी रोग विशेषज्ञों के संगठन की अध्यक्ष डॉ एर्लिना बुरहान ने कहा कि हम लोग टीबी उन्मूलन के किए ट्रैक पर इसलिए नहीं हैं क्योंकि टीबी नियंत्रण अभी भी हर किसी का मुहिम नहीं बना है। उदाहरण स्वरूप टीबी के कारण शोषण, भेदभाव अभी भी व्याप्त है। पर कोविड महामारी में एक लाभकारी बात हुई है कि अनेक स्वास्थ्य-वर्धक आदतें हम लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बन गयी है जैसे कि मास्क पहनना, साफ़-सफ़ाई रखना, भौतिक दूरी बना के रखना, लक्षण होने पर जाँच करवाना, इलाज करवाना आदि। यह ज़रूरी जन स्वास्थ्य हितैषी व्यवहार हैं और न सिर्फ़ कोविड बल्कि टीबी समेत अनेक संक्रमण रोग को फैलने से रोकने में सहायक रहेंगे। जब कोविड के टीके में एक साल से कम का वक्त लगा है तो अन्य टीबी जैसे घातक रोग जो महामारी स्वरूप लिए हुए हैं उनके लिए भी इसी प्राथमिकता से कार्य हो तो टीबी उन्मूलन का सपना साकार हो सकता है।

टीबी रोग के इलाज के साथ लेटेंट टीबी उपचार ज़रूरी

लेटेंट टीबी, यानि कि, व्यक्ति में टीबी बैकटीरिया तो है पर रोग नहीं उत्पन्न कर रहा है। इन लेटेंट टीबी से संक्रमित लोगों को न कोई लक्षण रहता है न रोग, और न ही किसी अन्य को संक्रमण फैल सकता है। जिन लोगों को लेटेंट टीबी के साथ-साथ एचआईवी, मधुमेह, तम्बाकू धूम्रपान का नशा, या अन्य ख़तरा बढ़ाने वाले कारण भी होते हैं, उन लोगों में लेटेंट टीबी के टीबी रोग में परिवर्तित होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) की संस्थापिका शोभा शुक्ला ने कहा कि हर नया टीबी रोगी, पूर्व में लेटेंट टीबी से संक्रमित हुआ होता है। और हर नया लेटेंट टीबी से संक्रमित रोगी इस बात की पुष्टि करता है कि संक्रमण नियंत्रण निष्फल था जिसके कारणवश एक टीबी रोगी से टीबी बैक्टीरिया एक असंक्रमित व्यक्ति तक फैला।

मलेशिया के माहसा विश्वविद्यालय में चिकित्सा अध्यक्ष और वरिष्ठ श्वास-सम्बन्धी रोग विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर डॉ अब्दुल रज़ाक़ मुत्ततलिफ ने कहा कि दुनिया की एक-चौथाई आबादी को लेटेंट टीबी है। इनमें से 10% को यह ख़तरा है कि लेटेंट टीबी, टीबी रोग में परिवर्तित हो जाए। इसीलिए यह ज़रूरी है कि लेटेंट टीबी से ग्रसित लोगों को चिन्हित करें, और उन्हें “टीबी प्रिवेंटिव थेरपी” दिलवाए जिससे कि टीबी रोग होने का ख़तरा न्यूनतम रहे।

तम्बाकू उन्मूलन के बिना कैसे होगा टीबी उन्मूलन?

द यूनीयन के एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के निदेशक और एशिया पैसिफ़िक सिटीस अलाइयन्स फ़ोर हेल्थ एंड डिवेलप्मेंट (एपीकैट) के बोर्ड निदेशक डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि तम्बाकू सेवन से न केवल यह ख़तरा बढ़ता है कि लेटेंट टीबी एक संक्रामक रोग में परिवर्तित हो जाए, बल्कि टीबी जाँच मुश्किल होती है, इलाज के नतीजे संतोषजनक नहीं रहते और मृत्यु का ख़तरा भी बढ़ता है। इसीलिए ज़रूरी है कि सरकारें टीबी उन्मूलन के लिए, तम्बाकू नियंत्रण में निवेश करें और तम्बाकू उन्मूलन की ओर प्रगति तेज करें, ग़ैर-संक्रामक रोगों से बचाव कार्यक्रम को प्रभावकारी रूप से संचालित करें, जाँच-इलाज मुहैया करवाएँ।

दुनिया में सबसे घातक संक्रामक रोगों में से पहले स्थान पर है टीबी। कोविड से पिछले दो सालों में 60 लाख से अधिक मृत्यु हुई हैं और टीबी से 30 लाख, परंतु यदि पिछले दशक के आँकड़े देखें तो टीबी सबसे घातक संक्रामक रोग रही है। विश्व में 2020 में 1 करोड़ से अधिक लोग टीबी से संक्रमित हुए और 15 लाख से अधिक लोग मृत। कुपोषण, तम्बाकू सेवन, शराब सेवन, एचआईवी और मधुमेह – टीबी होने का ख़तरा बढ़ाते हैं।

कोविड महामारी(Covid Pandemic)) ने यह स्पष्ट किया है कि सबकी स्वास्थ्य सुरक्षा कितनी अहम है – न सिर्फ़ आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बल्कि मानव विकास के लिए भी। जिस रोग से बचाव मुमकिन है और जिसका पक्का परीक्षण और इलाज मुमकिन है, उससे १५ लाख लोग हर साल मृत हो रहे हो तो हमारी “सबकी स्वास्थ्य सुरक्षा” के वादे पर गम्भीर सवाल खड़े होते हैं। टीबी उन्मूलन सिर्फ़ टीबी विभाग या स्वास्थ्य विभाग का मामला नहीं, बल्कि सबकी साझेदारी ज़रूरी है, सबकी ज़िम्मेदारी है। इसी के साथ टीबी कार्यक्रम और अन्य स्वास्थ्य और विकास कार्यक्रम में कुशल तालमेल भी है ज़रूरी।

लेखक:- शोभा शुक्ला और बॉबी रमाकांत – सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)

(शोभा शुक्ला और बॉबी रमाकांत, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) से जुड़े हैं। ट्विटर पर उन्हें पढ़ें: @shobha1shukla, @bobbyramakant)

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि ग्लोबलटुडे इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related

Badaun News: बदायूं डबल मर्डर मामले में DM और IG ने की शांति बनाए रखने की अपील, अभी भी हत्या की वजह नहीं...

बदायूं(सालिम रियाज़): बदायूं में डबल मर्डर से इलाके में सनसनी...

Election Commission: DM Bandipora Orders Blanket Ban On Use of Official Vehicle By Political Parties/Candidates

Bandipora, Mar 17: In terms of the instructions from...