7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा बंधक बनाए गए बंधकों की तलाश के लिए इजरायली सेना ग़ज़ा में कई तरह के हथकंडे अपना रही है, लेकिन साड़ी कोशिशों के बावजूद सेना को कैदियों की मौजूदगी का कोई ठोस सबूत अभी तक नहीं मिला है।
इस हवाले से इजरायली सेना ने पिछले कुछ दिनों में ग़ज़ा में कई कब्रिस्तानों में कब्रों को खोद डाला। इजरायली सेना का कहना था कि वह युद्ध के दौरान मारे गए बंधकों की तलाश कर रही है।
इसी सिलसिले में इजराइली सेना ने ग़ज़ा में पम्फलेट गिराए हैं, जिसमें उनसे कहा गया है कि बंधकों की तलाश में मदद करके वे अपना और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के साथ ही उचित इनाम भी पा सकते हैं।
बंदियों की तलाशी के लिए पम्फलेट
अल अरबिया के अनुसार ग़ज़ा पट्टी के निवासियों ने कहा कि इजराइल की सेना ने शनिवार को ग़ज़ा भर में ठिकानों पर बमबारी की, जबकि उसके विमानों ने ग़ज़ा पट्टी के दक्षिण में रफा क्षेत्र में विस्थापित फिलिस्तीनियों को निशाना बनाते हुए पम्फलेट गिराए जिनमे बेघर फ़िलस्तीनों से कैदियों की तलाश में मदद करने को कहा गया है।
ये भी पढ़ें:-
- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित
- ईरान के सर्वोच्च नेता ने ट्रम्प की बमबारी की धमकी पर जवाब दे दिया
- वेनिस में होगी अमेज़न के संस्थापक जेफ बेजोस और उनकी पार्टनर लॉरेन सांचेज़ की शादी
इज़राइल ने अपनी सेनाएँ वापस बुलानी शुरू कर दीं
निवासियों ने बताया कि फ़िलिस्तीनी लड़ाकों ने उत्तरी ग़ज़ा में जबालिया क्षेत्र के पूर्वी बाहरी इलाके में फिर से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे टैंकों से लड़ाई की। दूसरी ओर, इज़राइल ने अपनी सेनाएँ वापस बुलानी शुरू कर दीं और छोटे पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
ग़ज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की कि पिछले 24 घंटों में इजरायली हमलों में 165 लोग मारे गए और 280 घायल हुए, जो 2024 में एक दिन में होने वाली मौतों की सबसे अधिक संख्या है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी पुष्टि की कि 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने के बाद से 24,927 फिलिस्तीनी, ज्यादातर नागरिक मारे गए हैं।
सरकारी हिब्रू मीडिया के अनुसार, यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब हिरासत में लिए गए लोगों के परिवारों ने बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार को अविश्वसनीय बताया है।
नेतन्याहू सरकार से विश्वास उठा
इज़राइल ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी ने उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया कि उन्होंने “नेतन्याहू और उनकी सरकार पर विश्वास खो दिया है। वह अपना काम करेंगे” लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह क्या करना चाहते हैं।
लापता व्यक्तियों के एक रिश्तेदार के हवाले से उन्होंने कहा, “बातचीत में किसी भी तरह की देरी से उनकी जान को खतरा हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि बंदियों के दर्जनों परिवार उत्तरी इजरायली शहर कैसरिया गए और वहां नेतन्याहू के घर के सामने धरना दिया। वे रात भर वहीं रुकेंगे।
प्राधिकरण ने खुलासा किया कि हिरासत में लिए गए लोगों के परिवारों ने पिछले हफ्ते मिस्र के खुफिया अधिकारियों से संपर्क किया और उनके परिवारों की रिहाई में मध्यस्थता करने की कोशिश पर चर्चा की।
उन्होंने उनके हवाले से कहा, “हम अपना काम खुद करने की पहल कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि ग़ज़ा पट्टी में चल रहे इजरायली युद्ध का एक घोषित लक्ष्य ग़ज़ा पट्टी में 7 अक्टूबर के बंधकों की तलाश करना और उनकी जिंदा वापसी है।
माना जाता है कि ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी लड़ाकों की हिरासत में अभी भी 130 से अधिक इज़रायली कैदी हैं।
- The Waqf Bill is a highly condemnable move that paves the way for legislative discrimination against Muslims: Syed Sadatullah Husaini
- उत्तराखंड: सरकार ने मुस्लिम इतिहास से जुड़े 15 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की
- क्या ‘सिकंदर’ सलमान खान की पुरानी फिल्मों का रिकॉर्ड तोड़ने में नाकाम रही?
- दुबई: ईद पर मज़दूरों के लिए अनोखा ईद मिलन, ईदी में कारें और सोने की ईंटें दी गईं
- गुजरात में पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट, 17 लोगों की मौत
- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित