सरकार एमएसपी पर कोई कानून नहीं बनाना चाहती, ऐसा करके सरकार अपने कॉर्पोरेट मित्रों को फायदा पहुँचाना चाहती है- कुँवर दानिश अली

Date:

सांसद कुँवर दानिश अली ने संसद में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मंत्री से लोक सभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हेतु कानूनी गारंटी प्रदान करने लिए एक समिति की गठन करने एवं एमएसपी पे कानून बनाने पर प्रश्न पूछा था जिसका उत्तर आज सदन में भारत सरकार के मंत्री को सदन में देना था।

कुँवर दानिश अली जैसे ही अपने प्रश्न के उत्तर के लिए खड़े हुए लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सदन स्थगित कर दिया गया जिसपर सांसद कुँवर दानिश अली खासे नाराज दिखे।

दानिश अली ने कहा कि सरकार किसानों के मांगों पे कोई उत्तर नहीं देना चाहती है, जिसके डर से सदन को स्थगित कर दिया गया है, आगे उन्होंने ने कहा कि मेरे प्रश्न के लिखित उत्तर में दिए गए बक्तव्य से साफ़ जाहिर होता है कि सरकार किसानों के प्रति कितनी उदासीन है। सरकार एमएसपी पर कोइ कानून बनाना नहीं चाहती है और ऐसा कर के सरकार अपने कॉर्पोरेट मित्रों को फायदा पहुँचाना चाहती है।

क्या था सवाल


कुँवर दानिश अली ने प्रश्न पूछा था कि:-
(क) क्या सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को दिसंबर, 2021 के दौरान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हेतु कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया था और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(ख) उपर्युक्त समिति के गठन हेतु संयुक्त किसान मोर्चा को आश्वस्त की गई समय-सीमा तथा किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी प्रदान करने हेतु समिति गठित करने के लिए किए गए प्रयासों का तारीख-वार ब्यौरा क्या है;
(ग) क्या सरकार इस समिति में प्रत्येक राज्य सरकार से सदस्यों को सम्मिलित करेगी और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(घ) क्या सरकार का विचार किसानों के उत्थान हेतु एमएसपी के लिए कोई कानून बनाने का है;

(ङ) (ड.) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं; और
(च) क्या सरकार की योजना एमएसपी व्यवस्था का विस्तार 22 अनिवार्य कृषि फसलों के अलावा अन्य फसलों तक करने का है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने उत्तर में कहा है की सरकार ने एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए फसल पैटर्न में बदलाव करने के लिए समिति का गठन करने का आश्वासन दिया था। तदनुसार, एक समिति गठित की गई है जिसमें किसानों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, कृषि अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक, आदि के प्रतिनिधि शामिल हैं।

सरकार राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के विचारों और अन्य प्रासंगिक कारकों पर विचार करने के बाद कृषि लागत और मूल्य आयोग(सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर 22 अधिदेशित कृषि फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) निर्धारित करती है। 22 अनिवार्य फसलों में 14 खरीफ फसलें नामतः धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, नाइजरसीड, कपास और 6 रबी फसलें, गेहूं, जौ, चना, मसूर, रेपसीड और सरसों, कुसुम और दो व्यावसायिक फसलें; जूट और खोपरा शामिल हैं। इसके अलावा, तोरिया और छिलका रहित नारियल के लिए एमएसपी भी क्रमशः रेपसीड/सरसों और खोपरा के एमएसपी के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
सरकार ने वर्ष 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत लाभ के साथ सभी अधिदेशित खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related

ए.एम.यू का अल्पसंख्यक दर्जा, न्यायपालिका और कार्यपालिका

भारत के नागरिक माननीय सुप्रीम कोर्ट के आभारी होंगे...

AMU’s Minority Character, the Judiciary and the Executive

The citizens of India would be grateful to the...

IGP Kashmir visits injured civilians of Srinagar grenade aattack

Assures Strict action would be taken against the perpetrators...

अमेरिका ने रूस को सैन्य उपकरण सप्लाई करने वाली 19 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया

विदेशी मीडिया के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया...
Open chat
आप भी हमें अपने आर्टिकल या ख़बरें भेज सकते हैं। अगर आप globaltoday.in पर विज्ञापन देना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें.